अमरावती

अमरावती गार्डन क्लब की कार्यशाला संपन्न

बोन्साई जो दुनिया में प्रसिध्द है हर घर में होना चाहिए -डॉ. किशोर बोबडे

  • बोन्साय निर्माण तकनीकी का सैकड़ों बागकर्मियों ने लिया लाभ

अमरावती प्रतिनिधि/दि.२२ – वृक्षारोपण की पसंद और छंद की सुरक्षा करनेवाले बाग प्रेमी के लिए अमरावती गार्डन क्लब हमेशा नये-नये प्रावधान करता है. उस अनुसार विविध नियोजनबध्द कार्यशाला लेकर मार्गदर्शन करते है. दुनियाभर में कोरोना का संक्रमण फेल गया है. सभी लोग इस आपातकालीन संकट का सामना करते हुए क्लब द्वारा प्रयोग करके इस उपक्रम को जारी रखा है.इसका मुख्य कारण यानी निसर्गप्रेमी बाग पे्रमी नागरिको की मांग और अपना सुसंबध्द आयोजन के लिए क्लब की ख्याति है. हाल ही में केवल अमरावती ही नहीं महाराष्ट्र के कोने-कोने से और अन्य राज्य से अनेक बागप्रेमी मंडल ऑनलाइन से जुड़े है और अपने बाग काम के छंद की सुरक्षा करते है. इस अनुसार जिनकी फूलों और पेड़ों में रूचि है. परंतु जगह की कमी के कारण वे अपना शौक पूरा नहीं कर सकते. ऐसे सभी नागरिको के लिए गार्डन क्लब द्वारा बोन्साय निर्माण कार्यशाला २० सितंबर को आयोजित की गई थी.
बोन्साय यह कला छोटे से माध्यम से निसर्ग हरा और छोटे से छोटी बातों की ओर सकारात्मकता से देखने का दृ़ष्टिकोण निर्माण करते है. छोटे कंटेनर्स में तुम सदियों तक पेड़ को जीवित रख सकते है. उचित देखभाल,अच्छी मिट्टी, सूर्य प्रकाश, पानी जिसके कारण अपन पुराने पेड़ अनेक वर्ष तक संभाल सकते है. हमेशा अपन बाग काम के लिए जिस तकनीकी का उपयोग करते है. उसी प्रकार बुआई अथवा रोपण, आकार देना, कुंडी में बढ़ाने इन जैसे तकनीकी का उपयोग करके ही यह पेड़ तिकोणे आकार में लाकर नैसर्गिक पेड़ को सुंदरता से बढ़ा सकते है और इन पेड़ को मिलाकर छोटे बाग में घर में ही बना सकते है.
बोन्साय एक जापानी कला है. उसका वास्तुशास्त्र में उतना ही महत्व है. सीमेंट कांक्रीट का जंगल में वृक्ष लगाने के लिए जगह उपलब्ध नहीं उसी प्रकार शहरी क्षेत्र होने के कारण बड़े पेड़ का रोपण लगभग असंभव हो गया है.तब बोन्साय अर्थात वामन वृक्ष इस पध्दति के कारण आज यह बात संभव है. पर्यावरण की दृष्टि से निसर्ग का समतोल रखने के लिए यह उत्तम पर्याय है. बोन्साय इस अंतर्गत हार्टीकल्चर विज्ञान और सौंदर्य शास्त्र इस विषय का अभ्यास करने का अवसर अवसर प्राप्त होकर बाल्कनी, खिड़की, गच्ची अथवा कम जगह में फूल पेड़ का सौंदर्य सरलता से साकार कर सकते है. यह कला दुनिया भर में अत्यंत प्रसिध्द है. इस कला का उपयोग अंतर्गत सौंदर्यीकरण के लिए भी होता है. जिसके कारण यह पारंपरिक पेड़ अपन वर्षो तक संभाल कर रख सकते है. पीपल गुलमोहर आम संतरा-मोसंबी जैसे पेड़ भी बोन्साय तैयार करने के लिए उपयोग में लाए जा सकते हैे. बोन्साय तैयार करने के लिए केवल चाहिए चिकाटी बोन्साय कैसे करे? इसके लिए पेड़ कहा से ढूंढे? शुरूआत कब करना है? पेड़ की छाटणी आदि सर्वशास्त्रीय जानकारी अनेक वर्षो से प्रसिध्दि प्राप्त किए गये डॉ. किशोर बोबडे के मार्गदर्शन में प्राप्त हुई. कार्यशाला के प्रथम सत्र में डॉ.किशोर बोबडे ने पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन द्वारा प्रत्यक्ष शास्त्रीय जानकारी दी और दूसरे सत्र में कृति द्वारा प्रयोग करके दिखाया. इस प्रयोग के लिए अच्छी मिट्टी, बोन्साय बनाने के लिए लगनेवाले रोपण का उपयोग किया गया. इस कार्यशाला में महाराष्ट्र के कोने-कोने से सैकड़ों बागप्रेमी नागरिक ने सहभाग लेकर तकनीकी ज्ञान प्राप्त किया. . इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. मीनल केचे ने किया. आयोजन सचिव ने किया तथा प्रास्ताविक और अतिथियों का परिचय डॉ.सुचिता ने खोडके पूर्व अध्यक्ष ने किया.े शामिल होनेवाले की शंका का निराकरण करने की दृष्टि से विशेषत्व ने आयोजित किए गये चर्चासत्र और तकनीकी बाजू प्राध्यापक डॉ.दिनेश खेडकर, अध्यक्ष ने सुसुत्रता संभाली. प्रयोग का प्रक्षेपण डॉ. उमेश करनेकर ने किया. अंत में डॉ. मयूर गावंडे कार्यशाला समन्वयक ने आभार माना. इस कार्यशाला को सफल बनाने के लिए सुभाष भावे, डॉ. शशांक देशमुख,डॉ. रेखा मग्गीरवार, डॉ. गणेश हेडावु,सह सचिव उसी प्रकार सम्मानीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. गजेन्द्र पचलोरे और विशेष आमंत्रित सदस्य डॉ. मोनाी घुरडे,डॉ.युगंधरा राजगुरे ने विशेष परिश्रम किए. एक बागप्रेमी नागरिको की विशेष आग्रास्तव फिर एक नये विषय पर कार्यशाला आयोजित की जायेगी. उसी प्रकार आगामी समय में हँगिंग और सिझनल्स प्लांट्स पर कार्यशाला नियोजित होने का क्ल्ब के सचिव डॉ.रेखा मग्गीरवार ने बताया.

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