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शिंदे सरकार के पहले विस्तार में अमरावती की अनदेखी

निर्दलियों का वेट एन्ड वॉच, भाजपा विधायकों के नाम पर भी नहीं

* हुआ विचार
अमरावती/दि.10- राज्य मेंं विगत जुन माह के दौरान हुई राजनीतिक उथल-पुथल के चलते जुलाई माह में सत्ता परिवर्तन हो गया और शिंदे-फडणवीस सरकार अस्तित्व में आयी, लेकिन इस सरकार के अस्तित्व में आने के बाद अगले 40 दिनों तक सरकार में केवल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इन दो मंत्रियों के जरिये ही कामकाज चलता रहा. वही अब 40 दिन बाद मंत्रिमंडल का पहला विस्तार हुआ. जिसके तहत राज्य मंत्रिमंडल में 18 कैबिनेट मंत्री शामिल किये गये, लेकिन हैरत की बात रही कि, इस मंत्रिमंडल में अमरावती जिले को कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला है. ऐसे में संभागीय मुख्यालय रहनेवाले अमरावती जिले की राज्य सरकार द्वारा अनदेखी किये जाने को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है.
बता दें कि, विगत जून माह के दौरान शिवसेना से बगावत करते हुए अलग हो जानेवाली एकनाथ शिंदे के साथ कंधे से कंधा लगाकर निर्दलिय विधायक बच्चु कडू ने भी मोर्चा संभाला था और महाविकास आघाडी सरकार में राज्यमंत्री रहनेवाले विधायक कडू ने अपने पद की परवाह किये बिना कई निर्दलिय विधायकों को शिंदे गुट के साथ जोडे रखा था. ऐसे में शिंदे सरकार में विधायक कडू को मंत्री पद मिलना तय माना जा रहा था. वही दूसरी ओर भाजपा नेता व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बेहद करीबी माने जाते और शिवसेना के खिलाफ हमेशा ही मोर्चा खोलकर रखनेवाले विधायक रवि राणा को भी मंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था. लेकिन मंगलवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार में अमरावती जिले से वास्ता रखनेवाले इन दोनों विधायकों में से किसी का भी नाम मंत्री के तौर पर सामने नहीं आया. जिसे लेकर अब हैरत जताई जा रही है. वही दूसरी ओर विगत विधानसभा चुनाव में अमरावती जिले से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर अकेले प्रताप अडसड ही विधायक निर्वाचित हुए थे. इसके अलावा अमरावती स्थानीय स्वायत्त निकाय क्षेत्र से एकतरफा जीत हासिल करने का इतिहास रचनेवाले विधान परिषद सदस्य प्रवीण पोटे पाटील इससे पहले राज्यमंत्री व जिला पालकमंत्री रह चुके है. इन दो भाजपा विधायकों को भी नई सरकार में मंत्री पद का दावेदार माना जा रहा था. लेकिन इन दोनों भाजपा विधायकों के नाम भी मंत्री परिषद विस्तार की सूची में दिखाई नहीं दिये. ऐसे में इस बात को लेकर चर्चा चल रही है कि, आखिर अमरावती जिले की शिंदे-फडणवीस सरकार में यह अनदेखी क्यों हुई है और इसे लेकर अब सवाल पूछे जाने लगे है.

* अमरावती का पालकमंत्री कौन, किसके हाथों होगा ध्वजारोहण
अमरावती जिले के एक भी विधायक को मंत्री पद की शपथ नहीं दिलाई गई है. ऐसे में अमरावती जिले के पालकमंत्री पद का जिम्मा फिलहाल किसी के पास नहीं है. जिसके चलते आगामी 15 अगस्त को स्वाधिनता दिवस के अवसर पर झंडावंदन किसके हाथोें होगा, इसे लेकर उत्सूकतापूर्ण चर्चा चल रही है. हालांकि यदि स्वाधिनता दिवस के अवसर पर भी पालकमंत्री पद रिक्त रहता है, तो जिले के मुख्य शासकीय समारोह में ध्वजारोहण करने की जिम्मेदारी संभागीय आयुक्त या जिलाधीश द्वारा पूर्ण की जा सकती है. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, यदि सरकार के समय से अमरावती जिले को हमेशा ही मंत्री पद मिलता रहा है और यह सिलसिला महाविकास आघाडी सरकार में भी कायम रहा. लेकिन शिंदे सरकार के कार्यकाल के प्रारंभिक चरण में ही अमरावती जिले की अनदेखी हुई है. जिसे लेकर आश्चर्य जताया जा रहा है. साथ ही साथ अब इस बात को लेकर भी उत्सूकता बनी हुई है कि, आखिर अमरावती जिले का पालकमंत्री पद किसे मिलेगा.

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