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2055 तक अमरावती को भरपूर जलापूर्ति निश्चित

विधायक सुलभा खोडके ने कर दिखाया

* अंबानगरी के लोगों को पानी की चिंता से कर दिया दूर
* 55 किमी की लोहे की पाइप लाइन का आच्छादन शीघ्र
* बनेगा महादेवखोरी में नया जलशुद्धिकरण केंद्र
* महानगर के विभिन्न भागों में एक दर्जन से अधिक टंकियां भी
अमरावती/दि.12 – जलमहर्षि कहे जा सकते प्रा. बीटी देशमुख पश्चात शहर की विधायक सुलभा खोडके ने वह कार्य कर दिखाया है. जिसकी बदौलत अमरावती और बडनेरा तथा आसपास रहनेवाले लोगों को अगले 2055 वर्ष तक पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पेयजल घर बैठे उपलब्ध होगा. विधायक खोडके के महत प्रयासों से 865 करोड की नई पाइप लाइन आच्छादन सहित घर-घर पानी की पहुंच सुनिश्चित करने की योजना को शासन ने मान्यता पश्चात अब टेंडर भी जारी कर दिया है. वर्क ऑर्डर होते ही काम प्रारंभ हो जाएगा. 30 माह में नई पाइप लाइन बिछा दी जाएगी, जो सख्त लोहे के साथ-साथ लगभग 2 मीटर चौडी (व्यास) की होगी. बता दें कि, उस समय अमरावती महापालिका क्षेत्र की जलसंख्या 14 लाख 50 हजार से अधिक हो सकती है. अर्थात सतत चौथी पीढी की जलसमस्या को विधायक खोडके ने दूर कर दिया है.
* लीकेज, डैमेज से छुटकारा
अमरावती को अप्पर वर्धा सिंभोरा डैम से जलापूर्ति होती है. इसके लिए कोई 35 बरस पहले सीमेंट की 1500 एमएम व्यास की पाइप लाइन बिछाई गई थी. पाइप लाइन की आयु सीमा 30 वर्ष रहने से हाल के वर्षों में देखा गया था कि, अलग-अलग कारणों से पाइप लाइन डैमेज या उसमें लीकेज हो रहे थे. बारंबार जलापूर्ति खंडित हो रही थी. जिससे अमरावती और बडनेरा के लोग परेशान हो गये थे. शासन द्वारा पाइप लाइन आच्छादन का टेंडर मंजूर करने से लीकेज और डैमेज की इस भारी समस्या से छुटकारा मिल जाने का दावा विधायक सुलभा खोडके ने अमरावती मंडल से बातचीत में किया.
* नई पाइप लाइन लोहे की और अधिक चौडी
सुलभा खोडके ने बताया कि, नई पाइप लाइन सिंभोरा बांध से नेरपिंगलाई लगभग 22 किमी और वहां से अमरावती तपोवन स्थित जलशुद्धिकरण केंद्र तक करीब 33 किमी लंबी रहेगी. पहले की 1500 एमएम की बजाय अब लोहे की 1950 एमएम की पाइप लाइन रहने से भरपूर मात्रा में और तेजी से बांध से छोडा गया पानी अमरावती में पहुंचेगा. लोगों को नियत समय पर पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध होता रहेगा.
* अभी लगता 130 दलली पानी
अमरावती-बडनेरा को अभी रोज 130 दलली पानी की आवश्यकता होती है. वह मजीप्रा के माध्यम से उपलब्ध करवाया जा रहा है. सिंभोरा से नेरपिंगलाई के बीच 22 किमी की 1400 एमएम की पाइप लाइन के बाजू में ही एक और लोहे की पाइप लाइन बिछाई जा रही है. यह वर्तमान लोहे की लाइन से अतिरिक्त रहने की जानकारी देते हुए विधायक सुलभा खोडके ने बताया कि, भविष्य की बस्तियों के विस्तार एवं जनसंख्या को ध्यान में रखकर ही नई पाइप लाइन आच्छादन का काम होगा.
* मिलेगा रोज 228 दलली पानी
विधायक सुलभा खोडके के अनुसार अगले कुछ वर्षों में बस्ती विस्तार और जनसंख्या बढने के साथ पानी की आवश्यकता बढ जाएगी. उसे ध्यान में रखते हुए वर्ष 2055 तक रोज 228 दशलक्ष लीटर पानी उक्त माध्यम से अमरावती महापालिका क्षेत्र को उपलब्ध करवाने का नियोजन किया गया है. अनेक बातों को ध्यान में रखकर पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है. अंबानगरी पर जलदेवता पहले ही मेहरबान है. तत्कालीन विधायक बीटी देशमुख की दूरदर्शिता के कारण यहां के निवासियों और उद्योगों को भरपूर पानी अपर वर्धा बांध से मिल रहा है. आगे भी मिलता रहेगा.
* महादेवखोरी में नया जलशुद्धिकरण केंद्र
विधायक सुलभा खोडके ने बताया कि, तपोवन के 24 घंटे में 156 दशलक्ष लीटर पानी साफ करने की क्षमता वाले जलशुद्धिकरण केंद्र के अलावा महादेवखोरी में भी नया जलशुद्धिकरण केंद्र स्थापित किया जा रहा है. जिसकी क्षमता रोज 70 दशलक्ष लीटर पानी स्वच्छ करने की होगी. वर्तमान में जहां पानी की टंकी स्थित है. उसी के पास 21 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में नया जलशुद्धिकरण केंद्र बनेगा.
* शहर में एक दर्जन नई टंकियां
जल है, तो कल है. इस बात में पूरी तरह विश्वास रखते हुए विधायक सुलभा संजय खोडके ने शहर और बडनेरा के प्रत्येक भाग में रोज की आवश्यकता हेतु भरपूर पानी उपलब्ध करवाने का बडा काम कर दिया है. इसी के तहत 55 किमी की लंबी अधिक चौडी पाइप लाइन बिछाने के साथ विभिन्न एरिया में 12 नई अलग-अलग क्षमता की जल टंकियां भी स्थापित की जा रही है. संबंधित यंत्रणा ने इसके लिए जगह नक्की कर काम लगभग शुरु कर दिया है. जिससे खुशनसीब अमरावतीवासियों को अगले साढे तीन दशकों तक पर्याप्त जलापूर्ति होती रहेगी. घर-घर नल से स्वच्छ जल अर्थात पीने का पानी उपलब्ध होता रहेगा.

* मनपा पर नहीं धेले का भी बोझ
865 करोड की पाइप लाइन योजना के लिए 33 प्रतिशत खर्च केंद्र, 36 प्रतिशत खर्च राज्य शासन और शेष लागत महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण वहन करेगा. विधायक सुलभा खोडके ने स्पष्ट कर दिया कि, महापालिका पर एक पैसे का भी बोझ उपरोक्त बडे प्रकल्प में नहीं डाला गया है. जिससे मनपा अपनी इनकम और अनुदान का विकास कामों के लिए एवं मूलभूत सुविधाओं के लिए उपयोग कर सकती है. जानकारों ने बताया कि, आम तौर पर ऐसे प्रकल्प के लिए स्थानीय निकाय पर कम से कम 10 प्रतिशत का बोझ पडता है. मगर अमरावती महापालिका को उपरोक्त 865 करोड के प्रकल्प में कौडी भी नहीं देना है.

* बढेंगे प्रॉपर्टी के दाम
पश्चिम विदर्भ के अनेक भाग जलसंकट से जूझते हैं. जिला मुख्यालय अकोला जैसे शहर में भी पिछले कुछ वर्षों से जलसंकट कायम रहने के बीच अंबानगरी की जनता किस्मत वाली कही जा सकती है. जहां ग्रीष्मकाल सहित वर्ष के बारह महीने भरपूर मात्रा में पेयजल उपलब्ध है. यहां विमानतल शीघ्र एक्टीव हो रहा है. उसी प्रकार रेल सेवाओं में भरपूर बढोत्तरी हुई है. अब अगले तीन दशकों तक पर्याप्त मात्रा में जल घर-घर तक पहुंच जाने से यहां परिसंपत्तियों के दाम बढने की संभावना देखी जा रही है. अनेक गांव-देहांत से लोग पहले ही अमरावती में बसते जा रहे हैं. उनकी संख्या आने वाले वर्षों में बढने वाली है.

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