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अमरावती मेरी जन्मभूमि, यहां का उद्धार मेरा लक्ष्य

संसदीय सीट से संभावित उम्मीदवार अभ्यंकर का कहना

* पूरे जिले का दौरा, जनसंपर्क पूर्ण
अमरावती/दि.19- लोकसभा 2024 के प्रत्यक्ष मतदान हेतु अब 11 माह से कम समय रह गया है. ऐसे में शिवसेना उबाठा ने अमरावती की अपनी हक की प्रतिष्ठापूर्ण सीट पर अभी से न केवल तैयारी शुरु कर दी, बल्कि उसके उम्मीदवारी के प्रबल दावेदार जगन्नाथ अभ्यंकर ने जिले में व्यापक दौरा, जनसंपर्क पूरा कर लिया है. शिवसैनिक ही नहीं तो समाज के विभिन्न प्रतिष्ठितों से मेलमुलाकात कर रहे अभ्यंकर ने अमरावती को अपनी जन्मभूमि बताया और यहां शहर, बडनेरा और अंजनगांव में अपने निवास होने की जानकारी भी दी. वे मूलरुप से विहीगांव के हैं. यहां आज भी उनका पैतृक घर और खेती-बाडी हैं. शिक्षा उपसंचालक से लेकर मंत्रालय में सहसचिव तक रहे अभ्यंकर की अंजनगांव में विद्यानिकेतन शिक्षा संस्था है, जो फार्मसी से लेकर आईटीआई और कनिष्ठ महाविद्यालय और डिग्री कॉलेज भी संचालित कर रही है. अभ्यंकर से अमरावती लोकसभा चुनाव को लेकर अमरावती मंडल ने वार्तालाप किया. प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश-
* अमरावती से ही चुनाव क्यों लडना है?
अभ्यंकर- अमरावती मेरी जन्मभूमि है. विहीगांव में मेरा जन्म हुआ. प्रारंभिक शिक्षा हुई. यहां कुछ सामाजिक क्षेत्र में काम भी किया. शैक्षणिक क्षेत्र में भी काम किया है. अंजनगांव में हमारी विद्यानिकेतन संस्था है, जो फार्मसी, आईटीआई, कनिष्ठ महाविद्यालय और अन्य कॉलेजस संचालित कर रही है. इसके अलावा मैं एक बार दर्यापुर क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड चुका हूं. अमरावती के लिए कुछ करने का पक्का इरादा है. काफी कुछ सोचकर रखा है. अपने प्रशासनिक अनुभव से अमरावती की तरक्की में योगदान का भरोसा है.
* अमरावती में आना-जाना लगा रहता है?
अभ्यंकर- जी हां. विद्यानिकेतन शिक्षा संस्था के कामकाज हेतु महीने में एक बार तो आना होता ही है. इसी प्रकार मेरा अमरावती, बडनेरा और विहीगांव में अपना घर है. जिससे 2008 के बाद तो करीब-करीब हर पखवाडे अमरावती आया हूं. यहां के लोगों से काफी परिचय भी है. कई काम हम कर चुके हैं.
* शिवसैनिक कब से है?
अभ्यंकर- 2006 में सेवानिवृत्ति पश्चात शिवसेना से ही जुडा. सेना के माध्यम से अनेक सामाजिक कार्य किए. 2008 से तो सक्रिय शिवसैनिक के रुप में कार्य किए हैं. पहले बालासाहब ठाकरे और बाद में उद्धव ठाकरे व्दारा दिए गए दायित्व निभाए हैं. अमरावती में प्रा. श्रीकांत देशपांडे के शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव के इंचार्ज के रुप में भी मेरी नियुक्ति हुई थी. जिसे निष्ठापूर्वक और प्रभावी ढंग से पूर्ण किया. प्रा. देशपांडे उच्च सदन हेतु चुने भी गए. इसी प्रकार समय-समय पर पार्टी व्दारा दी गई कई अहम जिम्मेदारियों का मुंबई से लेकर अमरावती तक निर्वहन किया है. अमरावती के सभी शिवसैनिकों से अच्छा संपर्क भी है.
* उद्धव सेना से कैसे जुडे, उनसे ही निष्ठा क्यों?
अभ्यंकर- शिवसेना से 2006 से जुडा हूं. 2008 से सक्रिय रहा. उद्धव ठाकरे की कार्यशैली पसंद रही है. उसी प्रकार बालासाहब ठाकरे के प्रति अटूट निष्ठा रही है. इसीलिए टूट के बावजूद वे उद्धव ठाकरे के साथ फेविकॉल के मजबूत जोड समान जुडे हैं. बालासाहब ठाकरे के व्यक्तित्व ने सदैव प्रभावित किया. फिर वह शासकीय अधिकारी के रुप में हो या पार्टी पदाधिकारी के रुप में. बालासाहब की साफगोई और दो टूक शैली का हमेशा प्रशंसक रहा हूं. इसलिए उबाठा सेना से ही जुडा रहा.
* अमरावती लोकसभा को लेकर आपका क्या विचार है?
अभ्यंकर- गत 5 वर्षो में यहां के सांसद ने जनता की अपेक्षानुसार काम नहीं किया. जिस दृष्टि से विकासात्मक और जिन क्षेत्रों में काम वरिर्यता से होना चाहिए, वह नहीं हो पाए हैं. अभी भी विमानतल का विषय प्रलंबित है. 20 वर्षो से यही सुन रहे हैं, विमानतल सक्रिय होने से यहां उद्योग आएंगे. देशभर में स्ट्रैंथ मिल सकती है. काफी कुछ किया जा सकता है.
* अमरावती से आप ही प्रत्याशी होंगे?
अभ्यंकर- पिछले चुनाव के समय ही कुछ हलकोें में मेरा नाम अमरावती सीट को लेकर चर्चा में आया था. हालांकि मैंने कोई प्रयास नहीं किया. इस बार पक्ष प्रमुख के पास इच्छा व्यक्त की है. अमरावती सीट को लेकर हमारी पार्टी बेहद गंभीर है. इसलिए लगता है कि, पक्षादेश प्राप्त होगा.
* आपने जनसंपर्क भी शुरु कर दिया है? कैसा प्रतिसाद देखने आया?
अभ्यंकर- जी हां. अमरावती जिले की सभी तहसीलों का एक दौरा हो गया है. निष्ठावान शिवसैनिकों से मेल मुलाकात हुई है. अधिकांश पदाधिकारियों से सकारात्मक चर्चा हुई है. लोगों का रिस्पॉन्स भी जोरदार है. शिवसेना के सभी पदाधिकारी न केवल एकजुट है, बल्कि उद्धव साहब की इच्छा पूर्ण करने उत्साह से लबालब हैं. दर्यापुर हो या अंजनगांव. चांदूरबाजार हो या बडनेरा सभी जगह जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला है. जिससे हमारा भी उत्साह बढा है.
(शेष अगले अंक में )

* शिवसेना ही क्यों?
अभ्यंकर- शिक्षा उपसंचालक और संचालक रहते हुए सभी दलों के विधायकों से दाखिले के आवेदन आते थे. जिससे संपर्क रहता था और बढता गया. शिवसेना के छगन भुुजबल हो या, राज ठाकरे अथवा सुधीर जोशी, प्रमोद नवलकर, मनोहर जोशी, गजानन कीर्तिकर जैसे नेता भी किसी बच्चे का एडमिशन का विषय लाते तो, बडी विनम्रता से अनुरोध करते. उनकी यह शैली भा गई. यहां तक की एक बार राज ठाकरे भी बडी लिस्ट लेकर आए. किंतु आपको जानकार आश्चर्य होगा कि, उन्होंने भी बडी विनम्रता से जितने हो सके, उतने दाखिले का आग्रह किया. दबाव प्रभाव की कतई चेष्टा न की. ऐसे ही अनुभव ऊपर उल्लेखित नेताओं के साथ रहे. 1995 में युति सरकार के समय से बने रिश्ते आज तक कायम है. इसलिए सेवानिवृत्ति पश्चात राजकारण में जाने का विचार आया तो, सर्वप्रथम जेहन में शिवसेना ही आई. उससे जुड गया.

* अभ्यंकर रहे हैं दो आयोग के अध्यक्ष
जगन्नाथ मोतीराम अभ्यंकर राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष रहे हैं. इस पद पर उन्हें कैबिनेट मंत्री का रुतबा प्राप्त था. ऐसे ही अभी भी वे राज्य अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के अध्यक्ष हैं. राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त है. शिक्षक सेना के राज्य अध्यक्ष है. इस संगठन में 1 लाख से अधिक शिक्षक सभासद है और प्रत्येक जिले में इसकी शाखा खासी सक्रिय है.

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