विमानतल को गुलाबराव महाराज का नाम दिए जाने से अमरावती गदगद
प्रा. अरविंद देशमुख के महत प्रयास

* अमरावती मंडल को बतलाया गत सवा वर्ष से चल रहे प्रयत्नों का विवरण
* 5 किमी दूर लोणी में है जन्मस्थली
अमरावती/ दि. 7-बेलोरा विमानतल के ऑपरेटिव होने की तिथि घोषित होने से जहां अमरावती के व्यापारी, उद्यमी से लेकर सामान्य जन उत्साहित और प्रफुल्लित है. वहीं विमानतल को प्रज्ञा चक्षु संत गुलाबराव महाराज का नाम दिए जाने की घोषणा से भी अमरावतीवासी गदगद हैं. इस बारे में संत साहित्य के अध्येता और सामाजिक, धार्मिक आयोजनों के पुरस्कर्ता एवं सुंदर वक्ता प्रा. डॉ. अरविंद देशमुख के महत प्रयास रहे. प्रा. देशमुख ने अमरावती मंडल से विशेष बातचीत में स्पष्ट कर दिया कि सबकुछ महाराज श्री की अपनी मेधा और ईश्वरीय कृपा से संभव हुआ. इतना जरूर है कि पिछले सवा वर्ष से इस दिशा में सतत एवं व्यक्तिगत रूप से प्रयत्न शुरू थे. प्रा. देशमुख ने यह भी बताया कि विमानतल को प्रज्ञा चक्षु का नाम देने का प्रस्ताव सीमित लोगों तक रखा गया था.
लोणी में है जन्मस्थान
प्रा. डॉ. देशमुख ने बताया कि प्रज्ञा चक्षु गुलाबराव महाराज की जन्मस्थली बेलोरा विमानतल से मात्र 5 किमी अंतर पर लोणी में स्थित है. वहां महाराज जी का स्मारक भी है. ज्ञानेशकन्या भी कहलाते गुलाबराव महाराज की महती के उपरांत भी अमरावती या पश्चिम विदर्भ में उनके नाम से कोई बडी वास्तु या स्मारक नहीं था. अत: उनके नाम से ही हवाई अड्डा करने का अनुरोध मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से उस समय किया गया. जब वे प्रदेश के उप मुख्यमंत्री थे.
अदभूत विभूति, अल्पायु में रचे ग्रंथ
प्राचार्य देशमुख ने ज्ञानेशकन्या कहलाते प्रज्ञाचक्षु गुलाबराव महाराज के विषय में बतलाया कि इतनी अदभूत विभूति आप थे कि मात्र 9 वर्ष की आयु में 130 ग्रंथों की रचना आपने की. उसी प्रकार महाराज जी ने मराठी, हिन्दी, संस्कृत, ब्रज और वर्हाडी इन पांच भाषाओं में ग्रंथ, साहित्य की रचना की. उसी प्रकार मराठी भाषा के साथ अपनी भाषा का अन्वेषन भी किया. वेदों के प्रति अपार श्रध्दा रखनेवाले गुलाबराव महाराज के नाम से विमानतल को अलंकृत करने के लिए सतत प्रयत्न अनेक ने जारी रखे. प्रत्येक व्यक्ति महाराज जी के प्रति अगाध श्रध्दापूर्ण हैं.
गोविंददेव जी गिरि से अनुरोध
प्रा. डॉ. देशमुख प्रज्ञाचक्षु गुलाबराव महाराज के साहित्य के गहन अध्ययनकर्ता हैं. उसी प्रकार महाराज जी के साहित्य पर राज्य शासन से अधिकृत दो दिवसीय सम्मेलन आयोजन में भी डॉ. देशमुख का योगदान रहा है. ऐसे में उन्होंने अयोध्या जन्मभूमि न्यास के कोषाध्यक्ष और मथुरा कृष्ण जन्मभूमि न्यास के उपाध्यक्ष आचार्य गोविंद देव गिरि जी के माध्यम से विमानतल के नामकरण का अनुरोध किया गया. अंबानगरी के प्रसिध्द समाजसेवी एड. आरबी अटल का बडा सहयोग प्राप्त हुआ. इसी प्रकार मुंबई में डॉ. राहुल पंडित के माध्यम से भी राज्य शासन को इस विषय में विनती की गई.
श्रध्दा का विषय, सीएम सकारात्मक
प्राचार्य देशमुख ने बताया कि निश्चित ही उनके और इस मुहिम में जुडे प्रत्येक के लिए यह अत्यंत श्रध्दा का विषय रहा. अत: कहीं चर्चा न करने की गरिमा भी रखी गई. मुख्यमंत्री फडणवीस से भेंट की गई. वे भी इस विषय पर प्रारंभ से ही सकारात्मक रहे. उन्हें जब भी भेंट होती, प्रत्येक अवसर पर विमानतल नामकरण का विषय स्मरण कराया जाता. सीएम फडणवीस मुस्कुराकर सकारात्मक संकेत देते.
महीना भर पहले पता चला
प्राचार्य देशमुख ने मान्य किया कि बेलोरा विमानतल को महाराज जी के नाम से अलंकरण का संकेत उन्हें करीब महीना भर पहले प्राप्त हो गया था. किंतु विषय की गरिमा को ध्यान में रखकर ही उन्होंने अपनी पत्नी को भी इस बारे में कुछ नहीं बताया था. श्रीमती देशमुख को मात्र दो दिन पहले प्राचार्य अरविंद जी ने यह विषय अत्यंत प्रसन्नता से बतलाया. सभी बडे प्रफुल्लित, आनंदित, रोमांचित हो गये.
* बधाई के फोन, जीवन धन्य
प्राचार्य देशमुख ने बताया कि अमरावती मंडल में इस विषय में अधिकृत समाचार प्रकाशित होने के पश्चात कल से ही उनके परिचित और इस विषय में प्रयत्न और सहयोग करनेवाले अनेक के फोन कॉल आए और बधाई दी. फोन कॉल की संख्या सैकडाेंं में रही होगी. आधे से अधिक मान्यवरों ने प्राचार्य देशमुख को जीवन धन्य होने की बात कही. डॉ. देशमुख ने भी विनम्रता से यह विशेषण स्वीकार किया. उन्होंने कहा कि ‘बाकी जीवनाचं सार्थक झालं’
अत्यंत प्रसन्नता
बेलोरा विमानतल के पास ही गुलाबराव महाराज गुरूकुल संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका रखनेवाले प्रसिध्द समाजसेवी एड. आर. बी. अटल ने अमरावती मंडल से बातचीत में विमानतल को गुलाबराव महाराज का नाम अलंकृत करने के निर्णय पर अपार प्रसन्नता व्यक्त की. उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें प्रसन्नता है कि प्रयासों में उनका भी खारी जैसा योगदान (खारीचा वाटा) है.