अमरावती

अमरावती जेल की अब ड्रोन कैमरे से होगी निगरानी

अंतर्गत व बाह्य सुरक्षा पर रखी जाएगी वीडियो कैमरे से नजर

अमरावती/दि.19 – राज्य की जेलों में अंतर्गत व बाह्य सुरक्षा पर नजर रखने हेतु अब ड्रोन व वीडियो कैमरों का प्रयोग किया जाएगा. देश में इससे पहले यह प्रयोग उत्तर प्रदेश की जेलों में किया जा चुका है. वहीं अब राज्य की 9 चुनिंदा जेलों में इस प्रयोग पर अमल करने का निर्णय लिया गया है. जिसमें अमरावती सेंट्रल जेल का भी समावेश है. कल मंगलवार 18 अप्रैल को ही पुणे स्थित दौलतराव जाधव जेल अधिकारी प्रशिक्षण केंद्र में कुछ चुनिंदा जेल कर्मचारियोें को ड्रोन एवं वीडियो कैमरे चलाने व संभालने का प्रशिक्षण दिया गया.
बता दें कि, राज्य में अधिकांश कारागार ब्रिटीशकाल के दौरान शहर से बाहर बनाए गए थे. परंतु अब जेलों के आसपास भी रिहायशी बस्तियां बस गई है. जिसके चलते कारागारों की अंतर्गत व बाह्य सुरक्षा के लिए काफी खतरा पैदा हो गया है. इसके अलावा कई कारागार राष्ट्रीय व राज्य महामार्ग के आसपास स्थित है. जिनके उडानपुलों से कारागार के भीतर क्या चल रहा है. यह सहज तरीके से दिखाई देता है. यूं तो कारागारों की दीवारों के आसपास बंदुकधारी सुरक्षा रक्षकों की गश्त होती है. साथ ही कारागारों की उची दीवारों पर वॉच टावर भी बनाए गए है. जहां पर खडे रहकर पूरे जेल परिसर पर नजर रखी जाती है. लेकिन इसके बावजूद कारागार की मजबूत पथरीली दीवारों तथा फैलादी सुरक्षा को भेदकर जेल के भीतर कैदियों तक मोबाइल, गांजा, चरस, सिगरेट, शराब व गुटखा जैसी वस्तूएं पहुंच जाती है. जो अपने आप में संशोधन का विषय है. साथ ही यह भी कहा जा सकता है कि, जेल स्टॉफ की मिलीभगत के बिना ऐसा होना संभव नहीं है. इसके अलावा गत वर्ष जून माह के दौरान अमरावती सेंट्रल जेल में जेल ब्रेक की घटना हुई थी और तीन कैदी जेल से भाग निकले थे. जिसमें से 2 कैदियों का आज तक कहीं कोई पता नहीं चल पाया है. वहीं नागपुर सेंट्रल जेल में कुछ समय पहले गैंगवार वाली स्थिति बनी थी. विशेष उल्लेखनीय है कि, अमरावती व नागपुर सहित मुंबई व ठाणे की जेलों में नक्सलवादियों व आंतकवादियों सहित विदेशी कैदियों को बंद रखा गया है. ऐसे में जेलों में अंतर्गत व बाह्य सुरक्षा का पूरी तरह से चाकचौबंद होना बेहद जरुरी है.
इन सभी बातों के मद्देनजर राज्य के अप्पर पुलिस महासंचालक व कारागार महानिरीक्षक अमिताभ गुप्ता की पहल पर राज्य के कारागार विभाग में मनुष्यबल की कमी, आधुनिकीकरण, सुसज्ज सुरक्षा व्यवस्था, कर्मचारियों के निवासस्थान का मसला तथा बंदीजनों की समस्या आदि मामलों की ओर विशेष ध्यान दिया गया है. जिसमेें जेलों की अंतर्गत व बाह्य सुरक्षा व्यवस्था को पहली प्राथमिकता दी जा रही है. इसी के तहत राज्य की 9 हाई सिक्युरिटी वाली जेलों में अब अंतर्गत व बाह्य सुरक्षा पर नजर रखने हेतु ड्रोन एवं वीडियो कैमरों के प्रयोग का निर्णय लिया गया है.

* 9 सेंट्रल जेलों में ड्रोन की तैनाती
अमरावती सेंट्रल जेल सहित मुंबई की ऑर्थर रोड जेल, पुणे की येरवडा जेल तथा औरंगाबाद, नासिक, कोल्हापुर, ठाणे, तलोजा व नागपुर इन 9 सेंट्रल जेलोंं में सुरक्षा व्यवस्था पर ड्रोन एवं वीडियो कैमरों की नजर रहेगी. इसके अलावा अमरावती जिले में मोर्शी स्थित खुले कारागार सहित कल्याण व चंद्रपुर, जिला जेल में भी ड्रोन कैमरों के जरिए सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी की जाएगी. इस हेतु प्रयेक मध्यवर्ती कारागार के 4-4 व जिला कारागार के 3-3 कर्मचारियों को ड्रोन एवं वीडियो कैमरे चलाने व संभालने का पुणे में प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

* विदेशी, नक्सलवादी व मोका कैदियों पर विशेष नजर
कई बहुचर्चित हत्याकांड के आरोपी, विदेशी कैदी, नक्सलवादी, मोका, उम्रकैद, एमपीडीए व एनडीपीएस के विविध आरोपी जेलों में बंद रहते है. जो काफी खतरनाक भी होते है. जिसके चलते मध्यवर्ती कारागारों में ड्रोन कैमरों का प्रयोग किया जाएगा. जिसके जरिए विदेशी नक्सलवादी व मोका कैदियों पर विशेष रुप से नजर रखी जाएगी.

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