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अमरावती ने खोया ढाई हजार करोड का प्रकल्प

हर्मन फार्मा ने किया दवा निर्मिति कारखाना कैंसल

* हजारों रोजगार की आशा धूल धुसरित
* ऐन शीतसत्र से पहले विपक्ष को मिला बडा मुद्दा
अमरावती/दि.6 – महाराष्ट्र से एक के बाद एक अनेक बडे औद्योगिक प्रकल्प छूट रहे है. उसमें भी पश्चिम विदर्भ में मुश्किल से कोई बडी कंपनी प्रकल्प के लिए तैयार होती है. ऐसे में अमरावती नांदगांवपेठ एमआईडीसी में धूमधडाके से शुरु हुआ हर्मन फिनोकेम लि. का बडा दवा कारखाना रद्द हो गया है. कंपनी के स्थानीय प्रभारी अधिकारियों ने प्रोजेक्ट अमरावती में रद्द होने की केवल पुष्टि करते हुए आगे की कोई भी जानकारी देने की अथॉरिटी नहीं होने की बात कही है. उधर एमआईडीसी असो के अध्यक्ष किरण पातुरकर ने दावा किया कि अमरावती के भले हेतु उन्होंने इस प्रकल्प को रोकने का भरसक प्रयत्न किया. किंतु लोकल इशुज के कारण वह नहीं हो रहा है. ऐसे ही एमआईडीसी के संचालक पारधी ने अमरावती मंडल से बातचीत में कह दिया कि ऐसे प्रकल्प का आना-जाना लगा रहता है. एमआईडीसी की उसमें कोई भूमिका नहीं है. वहीं ऐन शीतसत्र से पहले आई दवा कारखाने के अमरावती से बोरिया बिस्तर समेट लेने की खबर से महायुति सरकार को घेरने का बडा मुद्दा विपक्ष को मिल जाने की चर्चा आरंभ हो गई. यह भी बता दें कि हजारों बेरोजगारों की उम्मीदों पर तुषारापात हो गया है.
* क्या था प्रकल्प
हर्मन कंपनी नांदगांवपेठ में दवा कारखाना लगाने जा रही थी. कंपनी को एमआईडीसी में डी-9 प्लॉट अलाट हुआ था. तीन माह पहले कंपनी ने बांधकाम शुरु किया. कम्पाउंड वॉल सहित कुछ मशनरी भी लाई गई थी. 118 एकड जमीन पर प्रकल्प साकार होना था. इससे निश्चित ही बडे प्रमाण में रोजगार पैदा होते. अमरावती और परिसर के विशेषकर फार्मा क्षेत्र से जुडे कुशल-अकुशल कामगारों को यहां रोजागर की आशा बढ गई थी.
* औरंगाबाद के हैं मिनाज
हर्मन कंपनी के कर्ताधर्ता हरप्रितसिंह मिनाज औरंगाबाद निवासी हैं. उनकी वहां शेंद्रे एमआईडीसी में कई कंपनियां कार्यरत है. अमरावती में उन्होंने तीनों भागीदारों के साथ मिलकर दवा कारखाना लगाने का विचार किया था. यहां मानवीय औषधी निर्माण कंपनी बननी थी.
* 2500 करोड का निवेश
इस कंपनी में 2500 करोड रुपए का निवेश किया जाना था. अभी तक अनेक कार्य शुरु हो गए थे. उन पर भी करोडों की लागत आने की जानकारी है. बावजूद इसके पिछले माह स्वयं हरप्रितसिंह मिनाज अमरावती आए और उन्होंने प्रत्यक्ष कंपनी स्थल का मुआयना किया. बताया जाता है कि उसके बाद ही कंपनी ने अमरावती में कामकाज समेट लेने का निर्णय कर लिया था. एमआईडीसी में बडी कंपनी ने हाथ पीछे खीच लिए.
* किसानों से तकरार
नांदगांव पेठ एमआईडीसी से सटी लगभग 118 एकड जमीन दी गई थी. वहां पर सुरक्षा दीवार का कार्य शुरु किया गया. एमआईडीसी को औद्योगिक प्रकल्प लगाने के लिए जमीन देने के बाद भी किसानों ने उस पर खेतीबाडी जारी रखी थी. जिस पर कंपनी के लोग ऐतराज करते तो उनसे रार-तकरार होती. गत माह 22 नवंबर को भी ऐसे ही विवाद के बारे में माहुलीजहांगीर थाने में रपट लिखाई है. थानेदार मिलिंद सरकटे ने भी इसकी पुष्टि कर कहा कि उस समय थोडा तनाव था. अब सब कुछ सामान्य हो गया है. किसान भी चाहते हैं कि कंपनी का काम शुरु हो जाए.
* विभागीय अधिकारी ने क्या कहा
एमआईडीसी के विभागीय अधिकारी पारधी ने कहा कि उन्हें इस विषय में बोलने का अधिकार नहीं है. इस बारे में औद्योगिक निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ही बता सकते हैं. साथ ही पारधी ने कहा कि प्रकल्पों का आना-जाना लगा रहता है.
* पातुरकर ने की कोशिश
भाजपा नेता और एमआईडीसी असो के अध्यक्ष किरण पातुरकर ने दावा किया कि हरमन कंपनी का प्रकल्प को अमरावती से न जाने देने की उन्होंने काफी कोशिश की. किंतु स्थानीय मुद्दों के कारण कंपनी संचालकों ने काम समेटने का निर्णय किया है.
* यह भी है वजह
इतने बडे प्रकल्प के अमरावती से चले जाने के कारण औद्योगिक और राजनीतिक सभी क्षेत्र में हलचल मची है. विशेषकर कंपनी के चले जाने के कारणों पर चर्चा हो रही है. बताया गया कि स्थानीय मुद्दों के कारण अमरावती से बडा निवेश चला गया. यहां किसान और कुछ अन्य लोग कंपनी अधिकारियों को लगातार परेशान करने की बात सामने आई है. यह भी कहा जा रहा है कि लोकल सपोर्ट नहीं मिलने से कंपनी ने प्रोजेक्ट रद्द करना बेहतर समझा. 4-5 मुद्दों पर कंपनी नाराज हो जाने की खबर मिल रही है.
* चला गया हजारों का रोजगार
हर्मन फिनो कैम प्रकल्प के अमरावती से रुखसत हो जाने से हजारों युवकों का रोजगार नाहक चले जाने की चर्चा लोग कर रहे हैं. जानकारों के मुताबिक कंपनी में आरंभिक स्तर पर 10-12 लोगों को नियुक्त किया गया था. उसी प्रकार आनेवाले दिनों में और भी लोगों की नियुक्तियां होनी थी. कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि जिन्हें नियुक्त किया गया था, उन्हें कंपनी में अन्यत्र समायोजित कर लिया जाएगा. जबकि फार्मा और इस क्षेत्र से जुडे युवाओं को यहां जॉब की उम्मीद जागी थी.
* क्या मामूली झगडे से चली गई कंपनी
बताते हैं कि कंपनी के कर्मचारी और स्थानीय किसानों के बीच कुछ दिन पहले झगडा हुआ था. वहां हालात व्यग्रतापूर्ण हो गए थे. ऐसे ही झगडा-झझंट की वजह से हर्मन कंपनी अमरावती से चली गई, ऐसा बताया जा रहा है. किंतु जानकारों को यह कारण पर्याप्त नहीं लग रहा. उनका मानना है कि अवश्य ही इसके पीछे और भी वजहें रही होगी. समय बीतने के साथ वे कारण सामने आएंगे.

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