व्यर्थ नहीं गया अमरावती मंडल का प्रयास
प्रारूप सूची से संशोधित सूची 90 फीसद ‘मैच’
* प्रभागों के क्रम व नामों में किया गया थोडा बहुत फेरबदल
* बुधवारा प्रभाग को सरकाने पुरानी रचना में की गई कुछ काट-छांट
अमरावती/दि.2- राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश पर अमरावती मनपा प्रशासन द्वारा 30 नवंबर 2021 को प्रभाग रचना की प्रारूप सूची राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपी गई थी. जिसका विस्तृत ब्यौरा उसी दिन दैनिक अमरावती मंडल द्वारा पूरे विस्तार के साथ प्रकाशित किया गया था. हालांकि उस समय सभी को यह ज्ञात था कि, इस प्रारूप सूची में राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा कुछ संशोधन सुझाये जायेंगे तथा कुछ त्रृटियों व दिक्कतों को दूर करते हुए नई संशोधित सूची घोषित की जायेगी. किंतु इसके बावजूद दैनिक अमरावती मंडल द्वारा प्रकाशित प्रारूप रचना के ब्यौरे पर अविश्वास जताने के साथ ही इसे लेकर सवालिया निशान भी खडे किये गये. लेकिन अब प्रभाग रचना की संशोधित सूची घोषित होते ही यह बात पूरी तरह से साफ हो गई है कि, अमरावती मंडल द्वारा प्रकाशित प्रारूप सूची पूरी तरह से विश्वसनीय व सही थी. क्योंकि दोनोें ही सूचियों का ब्यौरा आपस में एक-दूसरे के साथ 90 फीसद तक मेल खाता है.
यदि 30 नवंबर को सामने आयी जानकारी तथा गत रोज जारी की गई सूची का आपस में मिलान किया जाये, तो कहा जा सकता है कि, दैनिक अमरावती मंडल द्वारा 30 नवंबर को प्रकाशित सूची 85 से 90 फीसद सही थी और उसी सूची को थोडे-बहुत फर्क के साथ संशोधित सूची के तौर पर मंजूरी दी गई है. इसके तहत कई प्रभागों के केवल क्रमांक उपर-नीचे करते हुए क्रमवारी को बदल दिया गया है. साथ ही कुछेक प्रभागोें के नामों में बदलाव किया गया है, ताकि यह महसूस हो सके कि, दोनों सूचियों में काफी फर्क है. किंतु यदि दोनों सूचियों की प्रभाग रचना और प्रभागों में शामिल क्षेत्रों के नामों का अध्ययन किया जाये, तो उसके मद्देनजर कहा जा सकता है कि, प्रारूप सूची और संशोधित सूची में ‘तोले-माशे’ का ही फर्क है तथा ज्यादातर प्रभागों को जस का तस ही रखा गया है.
* कुछ प्रभागों के नाम बदले, कुछ के क्रमांक हुए उपर-नीचे
प्रारूप प्रभाग रचना एवं संशोधित प्रभाग रचना की सूची को ध्यान से देखने पर साफ पता चलता है कि, जहां कुछ प्रभागों का नये सिरे से परिसिमन किया गया है, वहीं कुछ प्रभागों के केवल नाम बदल दिये गये है. साथ ही साथ प्रभागों की सूची में उनके क्रमांक बदल दिये गये है. ऐसे में प्रभागों का क्रम थोडा उपर-नीचे हो गया है. मसलन पहले शेगांव तथा रहाटगांव ऐसे दो प्रभाग बनाये गये थे. किंतु अब शेगांव-रहाटगांव को एक प्रभाग बनाया गया है तथा पहले रहाटगांव प्रभाग में शामिल किये जानेवाले क्षेत्रों को तपोवन प्रभाग के तौर पर मान्यता दी गई है. इसी तरह इससे पहले बनाये गये लक्ष्मीनगर प्रभाग को अब नया कॉटन मार्केट प्रभाग बनाया गया है. वहीं रतनगंज प्रभाग को मोरबाग, गणेश कालोनी प्रभाग को एचवीपीएम, अंबिका नगर प्रभाग को किरण नगर, ताज नगर प्रभाग को पठानपुरा, रहमत नगर प्रभाग को अलीम नगर, जवाहर गेट प्रभाग को सराफा, गोपाल नगर प्रभाग को सूतगिरणी, छाया नगर प्रभाग को अॅकडेमिक हाईस्कुल, श्रीकृष्ण पेठ प्रभाग को जोग स्टेडियम प्रभाग का नाम दिया गया है. इससे पहले प्रारूप रचना में सातूर्णा व अकोली ऐसे 2 प्रभाग बनाये गये थे. किंतु संशोधित सूची में साईनगर प्रभाग बनाते हुए इन दोनों प्रस्तावित प्रभागों का काफी क्षेत्र गडगडेश्वर व साईनगर प्रभाग में बांट दिया गया है. साथ ही पहले जहां बडनेरा उपनगर के लिए 2 प्रभाग प्रस्तावित थे, वहीं अब बडनेरा उपनगर में 3 प्रभाग होंगे. ऐसे में पुराने साईनगर प्रभाग का कुछ हिस्सा काटकर पूर्व बडनेरा प्रभाग के साथ जोडा गया है.
* बुधवारा को दो सदस्यीय रखने में कुछ हर्ज या गलत नहीं था
विगत 30 नवंबर को मनपा द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग के पास भेजी गई प्रारूप प्रभाग रचना में शहर के बीचोंबीच स्थित बुधवारा प्रभाग को दो सदस्यीय प्रभाग बनाये जाने की बात तय की गई थी. जिसे लेकर कईयोें के माथे पर बल पड गये थे. क्योेंकि निर्वाचन आयोग द्वारा प्रभाग रचना की शुरूआत उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर करने की बात कही गई थी. पश्चात पश्चिम से पूर्व की ओर आगे बढते हुए दक्षिणी या पूर्वी छोर पर स्थित अंतिम प्रभाग को दो सदस्यीय रखने की बात कही गई थी. जिसमें बुधवारा प्रभाग फिट नहीं बैठ रहा था. किंतु इसे लेकर आपत्ति दर्शानेवाले लोगोें का ध्यान इस बात की ओर गया ही नहीं कि, राज्य निर्वाचन आयोग ने प्राकृतिक व भौगोलिक बाधाओं का ध्यान रखने की बात कही थी. जिसके मद्देनजर इसी प्रभाग की सदस्य संख्या कम या अधिक की जा सकती है. चूंकि बुधवारा प्रभाग परकोट के भीतर है और परकोट अपने आप में एक भौगोलिक बाधा है. जिससे नई व पुरानी अमरावती आपस में विभाजीत होते है. ऐसे में परकोट के भीतर रहनेवाली जनसंख्या के लिहाज से 3-3 सदस्य संख्यावाले दो प्रभाग बनाना संभव ही नहीं था. जिसके चलते एक प्रभाग तीन सदस्यीय बनाया गया था तथा बुधवारा के रूप में दूसरा प्रभाग दो सदस्यीय बनाया गया था. वहीं अब संशोधित प्रभाग रचना के तहत परकोट के भीतर सराफा व बुधवारा ऐसे दो प्रभाग बनाये गये है और दोनों प्रभागों की सदस्य संख्या 3-3 रहेगी. जिसके लिए परकोट से बाहर रहनेवाले कई इलाकों को भी बुधवारा व सराफा इन दोनों प्रभागों के साथ जोडा गया है. देखा जाये तो नियमानुसार यह भी गलत है. साथ ही ऐसा करने की वजह से इन दोनों प्रभागों के साथ जुडे हर ओर के प्रभागों का परिसिमन प्रभावित हुआ. जिसकी वजह से अन्य प्रभागों के भौगोलिक आकार-प्रकार पर भी असर पडा है.