अमरावतीविदर्भ

कचरे पर प्रक्रिया व 40 फीसद हरियाली के चलते सबसे शुद्ध साबित हुई अमरावती की हवा

नागरिकों द्बारा किए गए वृक्षारोपण से प्रदूषण घटने का हुआ फायदा

* राष्ट्रीय स्तर पर हुए सर्वेक्षण में मनपा को मिले 200 में से 194 अंक
अमरावती /दि.9- केंद्र सरकार की स्वच्छ वायु सर्वेक्षण स्पर्धा में 3 से 10 लाख की जनसंख्या वाले शहरों में अमरावती शहर ने 200 में से 194 अंक हासिल करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया. हवा शुद्ध रहने हेतु शहर की नियोजनबद्ध रचना, शहर के लिए फुसफुस का काम करने वाली शहर में 40 फीसद हरियाली, चौडे रास्ते, मुख्य रास्तों का काँक्रिटीकरण, सडक किनारे पेविंग ब्लॉक, मुख्य रास्तों पर यंत्र के जरिए धुल की सफाई, शहर में विभिन्न स्थानों पर खुली जगह, रोजाना 300 टन कचरे की संग्रह क्षमता रहने वाला कचरा प्रक्रिया डिपो, शहर के पास वन जमीन, सरकारी जमीन सहित शहर के रास्तों के किनारे व मैदानों के चारो ओर वृक्षारोपण आदि बातें इस चयन के लिए परिणामकारक साबित हुई है.
इसके साथ ही इलेक्ट्रीक वाहनों की बढती संख्या और शहर में निवासी, वाणिज्यिक व औद्योगिक क्षेत्रों द्बारा प्रदूषण कम करने हेतु मिले सहयोग, शाला, महाविद्यालय व सामाजिक संगठनों द्बारा जनजागृति सहित वृक्षारोपण हेतु चलाए गए अभियान आदि की वजह से विगत 5 वर्षों के दौरान चरणबद्ध तरीके से प्रदूषण कम होता चला गया. जिसके परिणाम स्वरुप 3 से 5 लाख की जनसंख्या वाले शहरों में अमरावती शहर को सर्वाधिक शुद्ध हवा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम क्रमांक वाला शहर माना गया.
अमरावती शहर में इस समय 7 हजार 445 इलेक्ट्रीक वाहन है. इसके अलावा पेट्रोल व डीजल पर चलने वाले वाहनों की नियमित तौर पर पीयूसी की जाती है. साथ ही शहर में रास्तों के किनारे बडे पैमाने पर वृक्षारोपण किया गया है. इसके अलावा श्री शिवाजी शिक्षा संस्था विदर्भ ज्ञान विज्ञान संस्था, एचवीपीएम, वडाली उद्यान, बांबू गार्डन, छत्री तालाब, सरकारी अभियांत्रिकी महाविद्यालय, दो ऑक्सीजन पार्क, स्वस्तिक गार्डन व जापानी गार्डन सहित विविध उद्यानों के चलते शहर के वातावरण में ऑक्सीजन का प्रमाण अधिक है और शहर की हवा पूरी तरह से शुद्ध है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के मुताबिक अमरावती शहर में हवा की गुणवत्ता अतिउत्तम है और यहां पर आरएसपीएम का प्रमाण 66 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर है. जो कम से कम 88 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर है. इसी तरह अमरावती के हवा में प्रदूषण बढाने वाले सर्फरडाय ऑक्साइड व नॉयट्रोजन ऑक्साइड का प्रमाण 13 से 14 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर है.
* शहर में लगाए 32 हजार पौधें
एक घर एक वृक्ष की संकल्पना के अनुसार विगत कुछ माह के दौरान शहर में 32 हजार पौधें लगाए गए. इसके लिए शहर की सभी सामाजिक संस्थाओं, शैक्षणिक संस्थाओं, विविध नागरिक संगठनों सहित जनप्रतिनिधियों व आरटीओ द्बारा पूरा सहयोग किया गया. भविष्य में भी सभी शहरवासियों ने शहर में प्रदूषण कम करने के लिए सहकार्य करना चाहिए.
* मनपा के प्रयास रहे सफल
शहरवासियों द्बारा शहर को हरा भरा रखने हेतु दिए गए योगदान तथा शहर में 40 फीसद हिस्से पर हरियाली बनाए रखने वृक्षों की संख्या बढाने तथा शहर के आसपास स्थित वन्य क्षेत्रों का संवर्धन करने के लिए मनपा द्बारा किए गए उपाय पूरी तरह से सफल रहे है. जिसके चलते शहर की आबोहवा पूरी तरह से साफ-सुथरी है.
– जयंत वडतकर,
सचिव, वन्यजीव व पर्यावरण संवर्धन संस्था.
* स्वच्छ वायु सर्वेक्षण स्पर्धा के ऐसे थे मानक
– शहर में प्रदूषण का स्तर विगत 5 से 6 वर्ष के दौरान कम हुआ होना चाहिए.
– आरएसपीएम का प्रमाण 100 मायक्रो ग्राम प्रति घनमीटर से कम रहना चाहिए.
– वर्ष 2019 में आरएसपीएम 88 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर था. जिसमें कम से कम 5 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर से कमी आनी चाहिए.
– वर्ष 2021-22 तथा 2022-23 में आरएसपीएम का प्रमाण न्यूनतम 78 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर होना चाहिए था. लेकिन अमरावती शहर में आरएसपीएम का प्रमाण 66 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर पाया गया.
– सर्फरडॉय ऑक्साइड व नॉयट्रोजन ऑक्साइड जैसे हवा में प्रदूषण फैलाने वाले घटक का न्यूनतम प्रमाण 80 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर रहना अपेक्षित था. लेकिन अमरावती शहर की हवा में इन दोनों ऑक्साइड का प्रमाण केवल 13 से 14 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर ही पाया गया.
– उपरोक्त सभी बातों को देखते हुए और आंकडे जुटाते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के पास भेजी थी.

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