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अमरावती सीट कांग्रेस-राकांपा के हिस्से में!

अमरावती लोकसभा

* क्या उद्धव ने दावा छोड दिया?
अमरावती/दि.16 – पिछले सप्ताह अनेक प्रमुख समाचार पत्रों, टीवी समाचार चैनलों में महाविकास आघाडी का लोकसभा-2024 हेतु प्रदेश की 48 सीटों पर तालमेल हो जाने के समाचार कन्फर्म सूत्रों के हवाले से दिया गया. उसके बाद अमरावती सीट को लेकर अभी तक अलग-अलग राजनीतिक दलों, गुटों, समूहों में कयास और चर्चा शुरु है. एक खबर को कन्फर्म माने तो अमरावती की लोस सीट अभी मविआ में नहीं बंटी है. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बिंदू यह है कि, शिवसेना उबाठा ने दावा छोड दिया है. यह सीट अब महाविकास आघाडी ने कांग्रेस और राकांपा के बीच किसी एक दल के लिए छोडी जाएगी. सीट किसके हिस्से में आएगी, इसका निर्णय इन दोनों दलों को करना है.
अमरावती लोकसभा क्षेत्र की दृष्टि से देखा जाए, तो पिछले 7 चुनाव में यहां कभी किसी कांग्रेस उसका कोई प्रत्याशी यहां जीता नहीं है. एक बार राकांपा समर्थित रिपब्लिकन पार्टी और एक बार राकांपा समर्थित अपक्ष एवं 5 बार शिवसेना यहां जीती है. पिछला चुनाव राकांपा के समर्थन से नवनीत राणा ने अपने नाम किया था.
शिवसेना के जिले के नेताओं को साथ लेकर पिछले 3 माह से बैठकों के दौर चल रहे है. मातोश्री बंगले पर उद्धव ठाकरे स्वयं इस बात पर चर्चा कर रहे है कि, क्या अमरावती सीट कांग्रेस को छोड देनी चाहिए! उद्धव अपने पदाधिकारियों के समक्ष विधा मनस्थिति में रहने की जानकारी सूत्रों ने दी है. इसका एक कारण यहां के दो बार संसद प्रतिनिधि रहे आनंदराव अडसूल का शिंदे गुट में चले जाना रहा. जिससे अब उबाठा सेना के पास दिनेश बूब ही एकमात्र नाम है.
बूब अब तक अज्ञात कारणों से लोकसभा चुनाव की तैयारी करते कहीं दिखाई नहीं दे रहे. जबकि उनके चाहने वाले, समर्थक और नवनीत राणा विरोधक पिछले एक वर्ष से दिनेश बूब से अपेक्षा रख रहे है कि, बूब पूरे संसदीय क्षेत्र का दौरा करें. जनसंपर्क बढाने की गुहार वे लोग लगा रहे है. किंतु बूब ने अभी तक कोई संकेत नहीं दिए है. निकटवर्तीयों के सामने भी दिनेश बूब ने पूरे पत्ते नहीं खोले हैं.
दूसरी ओर नवनीत राणा की कट्टर राजनीतिक दुश्मन यशोमति ठाकुर हर हाल में चाहती है कि, इस बार नवनीत को चुनाव में परास्त किया जाए. इसलिए ठाकुर यह सीट कांग्रेस के हिस्से में लेकर करीब-करीब उम्मीदवार घोषित कर चुकी है. यशोमति खेमे ने दर्यापुर के विधायक बलवंत वानखडे पर दांव लगाना चाहा है. यशोमति के इस दांव की उनके पार्टी के अंदर विरोधक दबे स्वर में मुखालफत कर रहे है. जानकार के अनुसार कुछ वरिष्ठ व स्थानीय कांग्रेसियों की सोच है कि, यशोमति ठाकुर सभी को विश्वास में लेकर उम्मीदवार तय करें. हालांकि यशोमति का विरोध करने वाले कांग्रेसियों की संख्या कम है. फिलहाल पूरे जिले में कांगे्रस में यशोमति की ‘ठकुराई’ चलती दिखाई देती है.
दूसरी ओर नवनीत राणा, रवि राणा का खेमा बार-बार यह कहता देखा जा रहा है कि, अभी तक उनके विरुद्ध पार्टियां कोई प्रत्याशी तय नहीं कर पायी है. यह सभी जानते है कि, शरद पवार भी चुनाव मेें अंतिम सौदेबाजी के लिए हर तरफ मोहरे बिछाकर पैंतरे चलते रहते है. शायद इसी कारण अमरावती की सीट पर निर्णय स्थगित रखा गया है. जिसके ऐवज में कोई पसंदीदा सीट वे लेंगे. अमरावती सीट पर उन्होनें दांवा ठोक रखा है. लेकिन यह भी दिन के उजाले की तरह साफ है कि, यहां उनकी राष्ट्रवादी पार्टी के पास अब खास रसद नहीं बची है. उनके पुराने सिपहसालार यानि संजय खोडके अजित पवार गुट में जा चुके है. पवार के सबसे इमानदार निकटवर्तीय और वरिष्ठ नेता हर्षवर्धन देशमुख वर्धा सीट से लोकसभा लडने के इच्छूक है. ऐसे में पवार के लिए अमरावती सीट को सौदेबाजी का साधन सिद्ध हो सकती है. इस हिसाब से लगभग तय है कि, नवनीत राणा के सामने कांग्रेस का उम्मीदवार मैदान में उतरेगा. उम्मीद की जा रही है कि, वर्षांत तक उम्मीदवार घोषित हो जाएगा.

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