अमरावती / दि.21– संत गाडगेबाबा विद्यापीठ को पिछले दो सालों से केंद्रीय विद्यापीठ अनुदान आयोग व्दारा अनुदान नहीं दिया गया. जिसकी वजह से विविध योजना, शैक्षणिक उपक्रम, ठेकेदारी तौर पर कार्यरत कर्मचारियों के वेतन का खर्च सामान्य निधि से किया जा रहा है. यही स्थिति रही तो विद्यापीठ की आर्थिक स्थिति और भी कमजोर होने के संकेत दिखाई दे रहे है. महाराष्ट्र राज्य सार्वजनिक विद्यापीठ कानून 2016 कलम 135 के अनुसार अधिसभा व्दारा मान्य वार्षिक लेखा के विद्यापीठ फंड शिथिल किया जाना धक्कादायक है.
यूजीसी का भी अनुदान नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में विद्यापीठ फंड सहित आपदा निधि व डिप्रेशिएशन फंड का भी इस्तेमाल कर लिया गया है. अत्यावश्यक कामों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली निधि विविध फंडो पर खर्च की जा रही है. शासन व्दारा जिन योजनाओं में निधि देना बंद कर दिया गया है अब वह योजनाएं विद्यापीठ के लिए सफेद हाथी साबित हो रहा है. इन योजनाओं को बगैर निधि के कैसा चलाया जाए यह संशोधन का विषय है. तीन साल पूर्व तत्कालीन कुलगुरु मुरलीधर चांदेकर के कार्यकाल में नए 8 शैक्षणिक विभागों में भरपूर खर्च किया गया था. यह सब खर्च जनरल फंड व्दारा शुरु है. विद्यापीठ को प्राप्त निधि व खर्च में तालमेल बैठ नहीं पा रहा यह वास्तविकता है.