अमरावती/दि.17– बांध में भरपूर पानी, जलवाहिनी की व्यवस्था, निधी की भी उपलब्धता फिर भी जलापूर्ति योजना ठप पड़ने से 24 घंटे जलापूर्ति के दावे हवा में उड़ गए हैं. शहर में फिलहाल एक दिन बाद जलापूर्ति की जाती है. कई बार जलवाहिनी बिगड़ने से यंत्रणा ठप हो गई है. यह स्थिति कब बदलेगी इसकी प्रतीक्षा अमरावतीवासियों को है.
अमरावती शहर का 2045 साल तक होने वाली संभावित लोकसंख्या की प्यास बुझा सकने वाली महत्वाकांक्षी 114 करोड़ रुपए की अमृत योजना कार्यान्वित की गई. इस योजना का 85 प्रतिशत काम अब तक पूरा हुआ है. इसमें शहर के नये विस्तारित भागों में 10 पानी की नयी टंकियां. 194 कि.मी. दूरी तक की जलवाहिनियां, सिंभोरा के जलाशय के अद्यावत 950 एचपी के 6 मोटर पंप सहित पंपिंग स्टेशन के काम सफलतापूर्वक पूर्ण किए गए. मात्र इस महत्वपूर्ण योजना की ओर प्रशासन का दुर्लक्ष होने से हाल बेहाल होने का चित्र है. अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाने वाले तपोवन ते 56 एमएलडी क्षमता का जलशुद्धीकरण प्रकल्प अब भी अधूरा है. अमरावतीवासियों को हर रोज मुबलक जलापूर्ति करने के लिए वह पूरा करना अत्यंत आवश्यक है. लेकिन लोकप्रतिनिधि के लापरवाही के कारण अब इस प्रकल्प पर अनिश्चितकाल के लिए प्रश्नचिन्ह निर्माण हुआ है. सिर्फ जलशुद्धीकरण केंद्र के अभाव में अमरावती वासियों को हर रोज मुबलक जलापूर्ति से वंचित रहना पड़ रहा है.
अमरावती मनपा क्षेत्र में मोर्शी तहसील के अप्पर वर्धा प्रकल्प से जलापूर्ति की जाती है. अप्पर वर्धा प्रकल्प में पीने के पानी के लिए 58 दशलक्ष घनमीटर पानी आरक्षित किया गया है. बांध से आने वाला अशुध्द पानी तपोवन के जलशुद्धीकरण केंद्र में शुद्ध किया जाता है. पश्चात संपूर्ण शहर में जलापूर्ति की जाती है. शहर की जलापूर्ति योजना को सुधार करना जरुरी होने से महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण विभाग की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा गया था. भविष्य में पानी की जरुरत को ध्यान में रखते हुए शासन ने 114 करोड़ 35 लाख रुपए की अमृत योजना अमरावती महानगरपालिका क्षेत्र के लिए मंजूर की.
अप्परवर्धा प्रकल्प से शहर में पानी लाने के लिए डाली गई मुख्य जलवाहिनी पुरानी होने से इसे दुरुस्त करना आवश्यक था. बावजूद इसके कई स्थानों पर व्हॉल्व न होने से या नादुरुस्त होने से बड़े पैमाने पर पानी का नुकसान हो रहा था. इस बात को ध्यान में रखते हुए सिंभोरा से तपोवन जलशुद्धीकरण केंद्र दरमियान के कुल 112 में से करीबन 67 व्हॉल्व महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण द्वारा तुरंत बदले गए. जलापूर्ति की दृष्टि से महत्वपूर्ण 10 जलकुंभों का कार्य प्रगतिपथ पर है. अमृत योजना से विविध विकास कामों को गति मिलने से भविष्य में पीने के पानी की समस्या दूर होने का दावा प्रशासन द्वारा किया जा रहा है.
इस योजना के लिए अब तक दो बार अवधि बढ़ाई गई. लेकिन अब तक काम पूरा नहीं हुआ. शहरके अंतर्गत जलवाहिनियां बदलने का 40 प्रतिशत काम शेष है. जलवाहिनियां घरेलु नलों से जोड़ने का काम अत्यंत धीमी गति से शुरु है. अनेक भागों में तकलदी काम करने की शिकायतें हैं.