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अमरावती ‘जेल ब्रेक’ की जांच करेंगे चंद्रपुर के जेल अधीक्षक

वैभव आगे की अगुआई में आयेगा विशेष जांच पथक

* अब तक तीनों फरार कैदियों का कहीं कोई अता-पता नहीं
अमरावती/दि.30– दो दिन पूर्व स्थानीय जिला मध्यवर्ती कारागार की फौलादी सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए तीन कैदी जेल से फरार हो गये थे. जिनका अब तक कहीं कोई अता-पता नहीं चल पाया है. उनकी खोज हेतु फ्रेजरपुरा पुलिस व कारागार प्रशासन द्वारा स्वतंत्र जांच पथक बनाये गये है. वहीं ‘जेल ब्रेक’ की इस घटना की जांच करने हेतु भी चंद्रपुर जिला कारागार के अधीक्षक वैभव आगे के नेतृत्व में एक समिती का गठन किया गया है और यह समिती आज अमरावती मध्यवर्ती कारागार पहुंचकर अपनी जांच करेगी.
बता दें कि, विगत सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात 1 से 2 बजे के बीच अमरावती सेंट्रल जेल की बैरक नंबर 12 में रखे गये साहिल अजमत कलसेकर (33, नायसी, तह. चिपलूण, जिला रत्नागिरी), सुमित शिवराम धुर्वे (19, बालापेठ, शेंदूरजनाघाट, तह. वरूड, जिला अमरावती) तथा रोशन गंगाराम उईके (23, बालापेठ, शेंदूरजनाघाट, तह. वरूड, जिला अमरावती) नामक तीन कैदी अपनी बैरक का ताला तोडने के साथ ही जेल की 23 फीट उंची सुरक्षा दीवार को पार करते हुए फरार हो गये थे. इसमें से साहिल अजमत कलसेकर अमरावती सेंट्रल जेल में हत्या के प्रयास से संबंधित मामले में उम्रकैद की सजा काटने हेतु रखा गया था. वहीं रोशन उईके व सुमित धुर्वे नाबालिग से दुराचार मामले में कारावास की सजा भुगत रहे थे. इन तीनों ने आपस में मिलीभगत करते हुए बडे सुनियोजीत तरीके से ‘जेल ब्रेक’ की घटना को अंजाम दिया.

* इन लोगों पर लटकी रही कार्रवाई की तलवार
तीन कैदियों द्वारा जेल से भाग जाने का मामला नाईट ड्यूटी पर रहनेवाले परमेश्वर लाड व गणेश पाटील के ध्यान में आयी. जिन्होंने तडके 2.40 बजे के आसपास इसकी जानकारी वॉकी टॉकी के जरिये जेल के मुख्य प्रवेश द्वार पर रहनेवाले अज्ञांकित अधिकारी सुरेंद्र भोगरे व सुभेदार को दी. प्राथमिक रूप से कारागार रक्षकों पर ही ‘जेल ब्रेक’ की जिम्मेदारी तय की जायेगी. जिसे लेकर जांच करने हेतु नागपुर कारागार विभाग की उपमहानिरीक्षक स्वाती साठे मंगलवार को ही अमरावती पहुंची और उन्होंने पूरे मामले की जांच करने के बाद अपनी प्राथमिक रिपोर्ट अपने उच्च पदस्थ अधिकारियों को दी.

* कौन है वैभव आगे
फिलहाल चंद्रपुर जिला कारागार के अधीक्षक पद पर कार्यरत वैभव आगे को कारागार की अंतर्गत सुरक्षा का विशेषज्ञ माना जाता है. जब वे भायखला जेल में पदस्थ थे, तब उन्हें ऑर्थर रोड जेल में रखे गये मुंबई हमले के एकमात्र जीवित आतंकवादी अबू अजमल कसाब की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया था. इस हेतु उनकी विशेष नियुक्ति रहने के चलते वे रोजाना भायखला जेल से ऑर्थर रोड जेल आना-जाना किया करते थे. साथ ही उन्होंने इससे पहले अमरावती सेंट्रल जेल में भी काम किया है. ऐसे में उन्हें अमरावती सेंट्रल जेल के इतिहास में पहली बार घटित हुई ‘जेल ब्रेक’ की घटना के मामले की जांच सौंपी गई है. जिसके चलते अब वे अमरावती पहुंचकर इस मामले की जांच करने के साथ-साथ भविष्य में इस तरह की घटना दुबारा घटित न हो, इस हेतु अपने अनुभव के आधार पर आवश्यक उपाय योजनाएं भी प्रस्तावित करेंगे.

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