* बर्लिन, शिकागो मैराथन भी दौड चुके हैं अमरावती के युवा उद्यमी
* ली विशेष ट्रेनिंग, प्रसिद्ध धावक दिलीप पाटिल का भी किया उल्लेख
अमरावती /दि. 28- शहर के प्रसिद्ध युवा उद्यमी नरेंद्र भाराणी ने न्यूयार्क मैराथन दौड में हिस्सा लेकर अमरावती के खेल जगत की दृष्टि से इतिहास रचा है. वे इससे पूर्व पिछले तीन वर्षों में बर्लिन, शिकागो और अन्य विश्वप्रसिद्ध मैराथन में भाग ले चुके हैं. इन दौड में भाग लेकर नरेंद्र भाराणी बडे प्रसन्न हैं. उन्हें दुनिया विजय की प्रसन्नता प्राप्त होने की बात उन्होंने एक इंटरव्यू में कही. इस इंटरव्यू में भाराणी ने बताया कि, उन्होंने ट्रेनिंग लेकर बडी दौड में सहभागी होने का अपना सपना पूर्ण किया है. उन्होंने अमरावती के प्रसिद्ध रनर दिलीप पाटिल का भी उल्लेख किया.
* 3 नवंबर को हुई न्यूयार्क मैराथन
नरेंद्र भाराणी ने बताया कि, न्यूयार्क मैराथन 42.2 किमी की होती है. इस बार यह गत 3 नवंबर को थी. अर्थात दिवाली के दो दिनों बाद. यह दौड भाराणी ने 4 घंटे 12 मिनट में पूर्ण की. उन्होंने स्पष्ट किया कि, निष्ठावान धावक की तरह उन्होंने संपूर्ण दौड दौडते हुए ही पूर्ण की. अमरावती के अकेले एवं भारत के चुनिंदा धावक ही इस दौड में रहे. जबकि दुनियाभर से 56 हजार से अधिक लोग दौड में सहभागी हुए थे.
* 6 उपनगरों से गुजरी दौड
भाराणी ने बताया कि, हडसन नदी के तट पर बसे न्यूयार्क शहर के 6 उपनगरों में न्यूयार्क मैराथन विस्तृत है. मैराथन का वहां बडा क्रेज है. लोगों का भी सहयोग मिलता है. प्रत्येक मार्ग धावकों के अलावा सभी के लिए बंद कर दिए जाते हैं. सडक के दोनों ओर लोग धावकों का उत्साह बढाते हैं. जिससे धावक भी पूरी मैराथन दौडते हैं.
* चार माह की ट्रेनिंग
भाराणी ने बताया कि, मैराथन को कंपिट करने उन्होंने बाकायदा चार माह का कडा प्रशिक्षण लिया. जिसमें उन्होंने कई बार 60 और कई बार 70 किमी की दौड लगाई. वे प्रशिक्षण दौरान दो घंटे में 20 किमी दौड जाते. यह क्षमता धीरे-धीरे बढती गई. वे दो घंटे में 36 किमी तक दौड सकते हैं. इसलिए न्यूयार्क मैराथन में उन्होंने महज चार घंटे में दूरी पूर्ण कर ली. तथापि भाराणी ने मान्य किया कि, उत्साह में मैराथन पूर्ण करने के बाद शारीरिक पीडा का एहसास नहीं हुआ. दो दिनों बाद बदन दर्द की थोडी तकलीफ रही.
* तडके 3 बजे शुरु किया दौडना
मैराथन के वास्ते प्रशिक्षण में तडके 3 बजे से ही दौड की तैयारी अमरावती के प्रसिद्ध बिल्डर और उद्यमी भाराणी करते थे. उन्होंने बताया कि, तडके प्रशिक्षण रहता इसलिए शाम का आहार वे 7 बजे तक कर लेते थे. रात 9 बजे सोने के लिए चले जाते. भाराणी ने कहा कि, प्रशिक्षण दौरान समर्पण और अनुशासन का पालन किया जो उन्हें मैराथन के समय बडा काम आया.
* पत्नी निशा का साथ-सहयोग
नरेंद्र भाराणी के अनुसार उनके विश्व की प्रसिद्ध मैराथन दौड के पूर्ण करने के स्वप्न को सार्थक करने पत्नी निशा भाराणी का संपूर्ण सहयोग मिला. ट्रेनिंग से लेकर प्रत्यक्ष दौड तक सभी समय न केवल निशा भाराणी उनके साथ रही अपितु उनके खानपान और आराम का बराबर ध्यान रखती. इसी से वे अपने मैराथन दौड के शौक को पूर्ण कर सके.
* 2018 में शुरु किया दौडना
कोरोना महामारी से पहले 2018 से नरेंद्र भाराणी ने दौडना शुरु किया. वे नियमित रनिंग करते. अमरावती में भी उनके कई मित्र उनके साथ रनिंग करते थे. जिससे उनकी मैराथन दौड में रुचि जागी. उन्होंने मुंबई की प्रसिद्ध हाफ मैराथन में भाग लिया. वहां बडे-बडे लोगों को उत्साह से दौडते देख नरेंद्र भाराणी को भला लगा. उन्होंने विश्व की प्रसिद्ध मैराथन में सहभागी होने का मन ही मन प्रण कर लिया था. जिसके बाद उन्होंने बर्लिन, शिकागो मैराथन दौड में हिस्सा लिया है. अब वे टोकियो और लंदन मैराथन में भाग लेना चाहते है. विश्व की 6 बडी दौड में शिरकत करना उनका सपना है. नरेंद्र भाराणी मानते हैं कि, यह भी किसी तीर्थ और उत्सव से कम नहीं.
* दिलीप पाटिल का सहयोग
नरेंद्र भाराणी ने कहा कि, अमरावती के रनर्स ग्रुप के दिलीप पाटिल ने भी उन्हें दौड और अंतर्राष्ट्रीय मैराथन में सहभागी होने के लिए प्रोत्साहित किया. अमरावती रनर्स ग्रुप में रोजाना सबेरे लगभग 100 लोग दौडते है. महिलाएं भी इसमें सहभागी है. भाराणी के अनुसार दिलीप पाटिल उनके मेंटोर के साथ-साथ हितैशी है. पाटिल ने ट्रेनिंग दौरान काफी मदद करने का सहर्ष व सगर्व उल्लेख भारानी ने किया. भारानी ने कहा कि, दौड ने उनमें बडा परिवर्तन लाया है. वे पहले से अधिक सकारात्मक एवं उत्साही हो गए हैं. यह सकारात्मक बदलाव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सहायक होने की बात भी सफल, युवा उद्यमी भाराणी ने कही.