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अमरावती का रैपर चमका ‘झुंड’ में

विपीन तातड ने अपने रैप साँग से बिखेरा जादू

* सभी हुए ‘आंबेडकरी रैपर’ की कला के कायल
अमरावती/दि.19– ख्यातनाम फिल्म निर्देशक नागराज मंजुले द्वारा दिग्दर्शित फिल्म ‘झुंड’ इन दिनों लगातार चर्चा में बनी हुई है और इस फिल्म को अच्छा-खासा पसंद भी किया जा रहा है. वहीं इस फिल्म में अमरावती के निवासी तथा आंबेडकरी रैपर के तौर पर अपनी पहचान बना चुके 24 वर्षीय युवा विपीन तातड ने भी अपनी कला के जलवे बिखेरे है और विपीन तातड द्वारा फिल्म में गाये गये रैप के सभी लोग दिवाणे हो गये.
स्थानीय सिंधी कैम्प के पास स्थित सिध्दार्थ नगर की झोपडपट्टी में रहनेवाले विपीन तातड ने बताया कि, उसका जन्म झोपडपट्टी में ही हुआ. पैदा होने से लेकर आज तक वह झोपडपट्टी में ही रहा. ऐसे में झोपडपट्टी की जिंदगी और यहां की समस्याओं से उसका बेहद गहरा नाता है. इन्ही सब बातों को वह रैप के जरिये दुनिया के सामने रखता आया है. अब तक दर्जनों रैप लिखकर प्रस्तुत कर चुके विपीन तातड ने यूट्यूब पर ‘रैप टोली’ नामक अपना एक चैनल भी बना रखा है.
‘झुंड’ फिल्म के अंत में पूरी फिल्म की जान कहा जा सकनेवाला रैप साँग प्रस्तुत कर चर्चा में आये विपीन तातड ने बताया कि, उसके पिता चाय की दुकान चलाते है और हमेशा ही झोपडपट्टी की समस्याओं को लेकर आंदोलनों में हिस्सा लेते रहे है. ऐसे में उसने बचपन से ही सामाजिक आंदोलनों को बेहद नजदीक से देखा है. साथ ही साथ वह वामन कर्डक व विठ्ठल उमक के भीम गीतों को हमेशा सुना करता था. जिसकी वजह से उसके भीतर सामाजिक समस्याओं को देखने व समझने का एक नया नजरिया विकसित हुआ. साथ ही वह अक्सर मंदिर व तालाबों को लेकर डॉ. आंबेडकर द्वारा किये गये संघर्ष के बारे में सोचा करता था. इसी दौरान खैरलांजी जैसी घटना घटित हुई. जिससे उसकी सोच को एक दिशा मिल गई और उसने आज भी बाबासाहब ही न्याय दिलाने आते है, इस थिम को ध्यान में रखते हुए अपना रैप साँग लिखा और यहां से आंबेडकरी रैप साँग का सफर शुरू हुआ. लेकिन तातड के मुताबिक आज की युवा पीढी अन्य गीतों की बजाय रैप साँग को सुनना ज्यादा पसंद करती है. अत: युवाओं तक अपनी बात पहुंचाने के लिए रैप सबसे बढिया व प्रभावी तरीका है.
अपने रैप साँग के जरिये काफी हद तक प्रसिध्द हो चुके विपीन तातड इस समय पत्रकारिता की पढाई कर रहे है और आगे चलकर पीडितों व शोषितों व वंचितों की आवाज को उठाने के लिए पत्रकारिता से जुडना भी चाहते है. साथ ही भविष्य में दोबारा मौका मिलने पर ‘झुंड’ की तरह ही किसी अन्य फिल्म के लिए भी रैप साँग लिखना चाहते है.

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