* हजार ग्राम की आनेवारी 50 पैसे से कम
अमरावती/दि.11 – जिले के लगभग 850 गांवों की आनेवारी 50 पैसे से कम होने की अधिकृत जानकारी है. अंतिम आनेवारी की शीघ्र घोषणा हो सकती है. कृषि महकमे ने वैसे संकेत दिये हैं. उधर भारी नुकसान के कारण किसानों का लागत खर्च भी नहीं निकला है. ऐसे में सरकारी सहायता की वे बडी बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैं. आंदोलन करने के बाद भी मुआवजा नहीं मिलने से किसानों में नैराश्य का वातावरण बताया जा रहा.
* क्या कहते हैं कृषि अधिकारी
इस बारे में जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी अनिल खर्चान ने बताया कि, अक्तूबर तक चली बारिश के कारण निश्चित ही खरीफ फसलों का बडे प्रमाण में नुकसान हुआ है. अब फसल कटाई का प्रयोग हो रहा है. जिससे अंतिम आनेवारी शीघ्र घोषित होगी. किसानों की आशा-अपेक्षा का ध्यान रहेगा. आनेवारी कम होने से वैसी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी. मदद राशि के बारे में शासन स्तर पर निर्णय अपेक्षित हैं.
* तहसील निहाय कम आनेवारी
संशोधित आनेवारी घोषित हुई है. उसके अनुसार 1959 गांवों में से 851 गांवों में आनेवारी 50 पैसे से कम है. जिनमें अमरावती तहसील के 138, मोर्शी के 156, वरुड के 140, अचलपुर के 185, चांदूर बाजार के 169, धारणी के 152, चिखलदरा के 147, धामणगांव के 112, नांदगांव खंडेश्वर के 161, चांदूर रेल्वे के 89, तिवसा के 95 गांवों का समावेश है.
* 50 गांव में खेती होती ही नहीं
50 पैसे से कम आनेवारी दर्शाने वाले 26 गांव में जमीन खेती के अयोग्य हो गई है. उसी प्रकार शहरी सीमा से सटे क्षेत्र में भी खेती-बाडी नहीं हो रही, उनमें अमरावती तहसील के बेनोड, राजापेठ, सातुर्णा, तारखेडा, जेवड और तुलजापुर, धारणी के दुधानी, चांदूर रेल्वे के वरुडा, चांदूरवाडी और सावंगा बु. एवं चिखलदरा के पुन: बसाये गये 15 गांवों का समावेश है.
* 415 गांवों में स्थिति कुछ ठीक
आनेवारी 50 पैसे से अधिक रहने वाले 415 गांवों में भातकुली की 137, दर्यापुर के 150, अंजनगांव के 127 गांवों का समावेश है. आनेवारी जिलाधिकारी के 29 सितंबर के पत्रानुसार 30 सितंबर को जारी होती है. नजरअंदाज आनेवारी गांव निहाय, तहसील कार्यालय और पटवारी व मंडल अधिकारी कार्यालय से प्रसिद्ध होती है.
* क्या कहते हैं किसान
लगातार बारिश के कारण फसलों का बडे प्रमाण में नुकसान हुआ है. लागत खर्च भी नहीं निकला. सरकार को चाहिए कि, वह तत्काल और भरपूर आर्थिक सहायता किसानों की करें. अन्यथा कर्ज के बोझ से किसानों की आत्महत्या बढ जाएगी.
– रवि पाटील सालेपुरकर, किसान.
* खरीफ सीजन गया हाथ से
खरीफ सीजन अतिवृष्टि के कारण हाथ से चला गया. रबी की बुआई शुरु हुई है. सरकार से अब तक खरीफ सीजन की क्षति का मुआवजा प्राप्त नहीं हुआ है. सरकार को किसानों का अंत नहीं देखना चाहिए. किसी भी शर्त के बगैर फसलों के नुकसान का बाजार मूल्य मुताबिक मदद अवश्य करनी चाहिए.
– पुरुषोत्तम बोरेकार, किसान