अमरावती

राज्य में हर 39 मिनट दौरान एक नवजात मृत्यु!

अमरावती, यवतमाल, नागपुर व पुणे जिले में प्रमाण अधिक

अमरावती/दि.25– राज्य में प्रति 39 मिनट के औसत अंतराल पर एक नवजात बच्चे की मौत हो रही है. इसमें भी अमरावती, यवतमाल, नागपुर व पुणे जिले में ऐसी मौतों का प्रमाण अधिक रहने की सनसनीखेज वास्तविकता वर्ष 2022-23 के आंकडों के जरिए उजागर हुई है.

सूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगे जाने पर स्वास्थ्य विभाग के पुणे स्थित कार्यालय द्बारा उपलब्ध कराई गई आंकडेवारी के मुताबिक राज्य में वर्ष 2019-20 के दौरान 14 हजार 614 नवजात बच्चों की मौत हुई. वहीं वर्ष 2020-21 में 13 हजार 959, वर्ष 2021-22 में 14 हजार 296 तथा वर्ष 2022-23 में 13 हजार 653 नवजात बच्चों की मृत्यु दर्ज की गई. वर्ष 2022-23 में नवजातों की मृत्यु संख्या को देखते हुए कहा जा सकता है कि, राज्य में हर दिन औसतन 31.35 तथा प्रति 39 मिनट पर औसतन 1 नवजात मृत्यु दर्ज हो रही है. सूचना अधिकार कार्यकर्ता अभय कोलारकर ने पुणे स्थित स्वास्थ्य संचालक कार्यालय से पुणे सहित अमरावती, अकोला, यवतमाल व नागपुर इन पांच जिलों की स्वतंत्र जानकारी मांगी थी. जिसमें पता चला कि, वर्ष 2021-22 की तुलना में वर्ष 2022-23 के दौरान अमरावती, यवतमाल, नागपुर व पुणे इन जिलों में नवजात बच्चों की मृत्यु के मामले बढ गए है.

* कुंडली की बजाय जनुकीय विशेषज्ञों की सलाह लें
नवजात बच्चों की मृत्यु टालने हेतु विवाह के समय लडकी-लडकी की कुंडली मिलाने की बजाय जनुकीय विशेषज्ञों की सलाह लेना ज्यादा आवश्यक होता है. नजदीकी रिश्तेदारी में होने वाले वैवाहिक संबंधों के चलते बच्चों में जनुकीय यानि आनुवांशिक बीमारियां होने की संभावना काफी अधिक बढ जाती है. अत: आपसी रिश्तेदारियों में विवाह करना टाला जाना चाहिए. इसके अलावा अब सरकार द्बारा सभी सरकारी अस्पतालों में बेहद महंगी रहने वाली आनुवांशिक जांच व एन्यूमली स्कैन की सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध कराई गई है. जिसका लाभ लेना चाहिए. इसके अलावा घर पर प्रसूति कराने की बजाय किसी भी सरकारी या निजी अस्पताल में प्रसूति कराना चाहिए और घरेलू व देशी उपायों की बजाय विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह के अनुसार ही औषधोपचार करवाने चाहिए.

* डॉक्टरों की नियमित सलाह आवश्यक
कई बार बच्चे की पैदा होने से पहले गर्भ में ही रहने के दौरान मौत हो जाती है. इसके लिए मां अथवा बच्चे से संबंधित विविध कारण जिम्मेदार हो सकते है. गर्भवती महिला में किसी बीमारी के चलते रहने वाली गडबडी, बच्चे को गर्भ में रक्त व प्राणवायु की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने, मां अथवा बच्चे में किसी तरह का कोई संक्रमण रहने, प्रसूति हेतु स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने में विलंब होने जैसी वजहों के चलते भी नवजात मृत्यु के मामले घटित होते है.

* अन्य राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र राज्य में नवजात बच्चों की मृत्यु का प्रमाण बेहद कम है. सरकार द्बारा किए जाते प्रयासों के चलते वर्ष 2021-22 की तुलना में वर्ष 2022-23 के दौरान नवजात मृत्यु का प्रमाण कम हुआ है. इस संख्या को और भी अधिक कम करने हेतु प्रभावी उपाय किए जा रहे है.
– डॉ. नितिन अंबाडेकर,
सहसंचालक, सार्वजनिक स्वास्थ्य, पुणे

* नवजात मृत्यु के आंकडे (स्त्रोत-सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग)
      वर्ष        अमरावती   यवतमाल   अकोला   नागपुर   पुणे
2019-20          683          183         549       708        898
2020-21          648           89          464       590        778
2021-22          584           72          550       467       1013
2022-23          626           68          510       560       1156
कुल                 2541        412         2073     2325      3845

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