* आज एक पत्र जारी कर घोषणा की, वंचित से समर्थन न मिलने से हुए नाराज
अमरावती /दि.4– अमरावती लोकसभा अनुसूचित जाति के व्यक्ति हेतु आरक्षित है. जिस दिन से यह आरक्षण व्यवस्था लागू हुई है. उस दिन से ही यहां के चुनाव में अचानक कई मोड और ट्विस्ट देखने मिले हैं. रिपब्लिकन सेना के अध्यक्ष आनंदराज आंबेडकर ने जिस तेजी से अमरावती में अपनी उम्मीदवारी दाखिल की थी. गत रात अचानक उन्होंने अपनी उम्मीदवारी पीछे लेने की घोषणा कर दी. इतना ही नहीं, तो उन्होंने बालासाहेब आंबेडकर की वंचित बहुजन आघाडी को समर्थन घोषित कर दिया. जबकि पहले आंबेडकर ही वंचित बहुजन आघाडी का समर्थन मांग रहे थे. उधर वंचित के युवा प्रदेशाध्यक्ष नीलेश विश्वकर्मा ने कहा कि, आनंदराज मैदान में डटे रहें. हम उन्हें समर्थन देंगे. इस उथल-पुथल के कारण अमरावती की सीट पुन: प्रदेश में चर्चा का विषय बनी है.
* हां, उम्मीदवारी वापस ली
अमरावती मंडल से आज सुबह बातचीत में आनंदराज आंबेडकर ने स्वीकार किया कि, उन्होंने अपनी उम्मीदवारी वापिस ली है. उसी प्रकार 3 अप्रैल की डेट में एक पत्रक भी जारी किया है. जिसमें उन्होंने उम्मीदवारी पीछे लेने का दोष वंचित आघाडी पर मढा. पत्र में आनंदराज ने कहा कि, 3 दिन पहले वंचित आघाडी को अपनी उम्मीदवारी को समर्थन देने का अनुरोध किया था. आघाडी ने उनकी विनती को अनदेखा कर अन्य अनेक को समर्थन भी घोषित किया. जबकि अमरावती में संविधान प्रेमी जनता के अमूल्य मतों का विभाजन होकर फिर तानाशाही भाजपा सरकार चुनकर आने एवं संविधान बदलने की बडी संभावना है. जिसे टालने उन्होंने अपनी कोर कमिटी से चर्चा कर अमरावती से दाखिल उम्मीदवारी नामांकन पीछे लेने का निर्णय लिया है. उसी प्रकार वे वंचित बहुजन आघाडी के उम्मीदवार को समर्थन घोषित करते हैं.
* वंचित बहुजन आघाडी का स्पष्टीकरण
– हम तो समर्थन देने तैयार आनंदराज पुनर्विचार करें
वंचित बहुजन युवा आघाडी के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. नीलेश विश्वकर्मा ने अमरावती मंडल से बातचीत में स्पष्ट किया कि, वंचित आनंदराज को समर्थन देने तैयार है. आनंदराज मैदान में डटे रहें. डॉ. विश्वकर्मा ने प्राजक्ता पिल्लेवान की उम्मीदवारी घोषित किये जाने के बारे में कहा कि, वंचित आघाडी ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया था. आरंभ में आनंदराज आंबेडकर के चुनाव लडने पर डिसीजन नहीं हो पाया था, इसलिए वंचित को उम्मीदवार घोषित करना पडा. उसके दो दिनों बाद आनंदराज ने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की. आंबेडकर परिवार के वंशज होने से सभी समाज और वंचित बहुजन आघाडी भी पहले से ही उनके साथ है. वंचित आघाडी के अध्यक्ष बालासाहेब आंबेडकर ने परिवार और राजकारण के कारण समाज में अच्छा संदेश देने प्राजक्ता पिल्लेवान की उम्मीदवारी पीछे लेने एवं आनंदराज को आघाडी का समर्थन देने का विचार किया था. किंतु आनंदराज आंबेडकर ने कांग्रेस और राकांपा का समर्थन मिलना तय मानकर उनसे अपेक्षा की थी. वह अपेक्षा पूर्ण नहीं होने के बाद कदाचित चुनाव मैदान से वे पीछे हट रहे है. इसलिए वंचित बहुजन आघाडी ने पुन: आनंदराज आंबेडकर का विचार किया. यदि आनंदराज चुनाव लडते है, तो उन्हें वंचित का समर्थन रहेगा. आने वाले समय में भी वंचित की यह भूमिका रहेगी.