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अमरावती/दि.7 – स्थानीय संत गाडगेबाबा अमरावती विश्वविद्यालय की कोविड टेस्ट लैब से गत रोज कोविड संक्रमित पाये गये दो लोगों के थ्रोट स्वैब सैम्पलों को जिनोम सिक्वेंसिंग से संबंधित जांच हेतु पुणे की राष्ट्रीय विषाणु प्रयोगशाला में भिजवाया गया है. बता दें कि, इससे पहले भी कोविड संक्रमित पाये गये कुछ मरीजों के सैम्पलों में सीटी स्कोर 30 से कम रहने के चलते उनके सैम्पल नई दिल्ली स्थित प्रयोगशाला भेजे गये थे.
ज्ञात रहे कि, जिले में कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के शांत होते ही विगत पांच माह से हालात धीरे-धीरे सामान्य होते जा रहे थे और रोजाना पाये जानेवाले मरीजों की संख्या भी घट रही थी. पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर के दौरान संक्रमितों की संख्या और मौतों के मामले में काफी तेजी से इजाफा हुआ था. जिसके चलते स्वास्थ्य महकमे को काम के अत्याधिक बोझ का सामना करना पडा था. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोविड संक्रमण की तीसरी लहर को लेकर जताये गये अंदेशे के चलते प्रशासन सहित स्वास्थ्य महकमे पर तमाम व्यवस्थाओं को तैयार रखने का दबाव भी था. वहीं पांच माह बाद दुनिया के कई देशों में कोविड वायरस के ओमिक्रॉन नामक नये स्वरूप के संक्रमण का खतरा सामने आया. जिसके बाद दो दिन पूर्व पडोसी राज्य कर्नाटक में ओमिक्रॉन वेरियंट से संक्रमित पहला मरीज पाया गया. साथ ही अब महाराष्ट्र में भी ओमिक्रॉन वेरियंट से संक्रमित 8 मरीज पाये जा चुके है. जिसके चलते स्वास्थ्य महकमे में एक बार फिर हडकंप व्याप्त है. वहीं कोविड संक्रमित पाये जानेवाले लोगोें में से जिन लोगों की रिपोर्ट में सीटी स्कोर कम है, उनके सैम्पलों को जिनोम सिक्वेंसिंग के लिए दिल्ली व पुणे की अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं में भेजा जा रहा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि, कहीं वे कोविड वायरस के नये वेरीयंट से संक्रमित तो नहीं.
तीन सप्ताह में स्पष्ट होगी तीसरी लहर की स्थिति
इस समय तक विश्व स्वास्थ्य संगठन व आयसीएमआर द्वारा अधिकृत तौर पर कोविड संक्रमण की तीसरी लहर को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई है. किंतु नये वेरीयंट का पता लगाने हेतु संक्रमित मरीजों के सैम्पल जांच के लिए भेजे जा रहे है. जिनकी रिपोर्ट के जरिये संबंधित मरीजों में नये वेरीयंट के रहने अथवा नहीं रहने की जानकारी सामने आ रही है. इस वेरीयंट से संक्रमित मरीजों की संख्या किस प्रमाण में बढती है, उसके मद्देनजर तीसरी लहर आयेगी अथवा नहीं, यह स्पष्ट होगा. इसके लिए कम से कम तीन सप्ताह का समय लगना अपेक्षित है.
घबराने की बजाय सतर्क रहना जरूरी
जिला प्रशासन सहित स्वास्थ्य महकमे द्वारा कहा गया है कि, पूरी दुनिया से मिल रही खबरों के मुताबिक तेजी से फैलनेवाला यह वेरीयंट विशेष तौर पर युवाओं व किशोरवयीन बच्चों को अपना निशाना बना रहा है. हालांकि अब तक पूरी दुनिया में इस वेरियंट के संक्रमण की वजह से किसी की जान नहीं गई है. ऐसे में इससे घबराने की बजाय इसके संक्रमण से बचे रहने हेतु तमाम आवश्यक प्रतिबंधात्मक उपायों का पालन किया जाना चाहिए.