…और वह युवक भालू के पीछे रील बनाने मोबाइल लेकर दौडा

अमरावती /दि.12– जिले के मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत तारुबांदा परिसर के जंगल में रास्ता पार कर रहे भालू के पीछे रील बनाने हेतु अपने हाथ में मोबाइल लेकर दौड रहे एक युवक का वीडियो इस समय सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. वहीं इससे पहले हरिसाल परिसर में दुपहिया से जा रहे दो युवकों में रास्ता पार कर रहे बाघ के फोटो व वीडियो निकालने के लिए अच्छी-खासी उठापटक की थी. जिसके चलते ऐसे युवकों को नियंत्रित करने और उनके खिलाफ तत्काल कडी कार्रवाई करने की जरुरत प्रतिपादित की जा रही है. हालांकि इसके बावजूद वन विभाग के अधिकारियों द्वारा ऐसे मामलो को लेकर चुप्पी साध ली जाती है. जिसे लेकर निसर्गप्रेमियों द्वारा संताप जताया जा रहा है.
बता दें कि, संरक्षित व्याघ्र व वन्य प्राणियों के अधिवास क्षेत्र में बिना अनुमति प्रवेश करना व घुमना भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है. ऐसे संरक्षित क्षेत्र में बिना अनुमति प्रवेश करने के साथ ही वन्य प्राणियों को तकलीफ देने अथवा उनके अधिवास को नुकसान पहुंचाने पर इस अधिनियम की धारा 9 के तहत दंडात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है. लेकिन इसके बावजूद अक्सर ही ‘टवालखोरी’ करनेवाले युवाओं द्वारा इस कानून का खुलेआम उल्लंघन किया जाता है.

* क्या था मामला?
तारुबांदा जंगल परिसर में जब एक भालू रास्ता पार कर रहा था, तो कई दुपहिया सवार अपने-अपने वाहन रोककर काफी दूर रुक गए थे. उसी समय वहां पर रुके एक चारपहिया वाहन से उतरकर एक युवक अपना मोबाइल लेकर भालू के पीछे दौडा. जिसके चेहरे पर भालू को लेकर कोई भय दिखाई नहीं दे रहा था. सडक पर खडे कुछ अन्य लोगों ने भालू के पीछे दौडते युवक का वीडियो बना डाला. जो इस समय सोशल मीडिया पर जमकर वायरल है.

* कुछ दिन पहले बाघ की बनाई गई थी वीडियो
कुछ माह पूर्व हरिसाल परिसर में सडक पार करता हुआ बाघ दिखाई देते ही यात्री लेकर जा रहा एक निजी वाहन सडक किनारे रुक गया था और इस वाहन में सवार आदिवासी महिलाओं ने पीछे से दुपहिया पर सवार होकर आ रहे दो युवकों को आगे बाघ रहने की जानकारी देते हुए रुकने हेतु कहा. परंतु दुपहिया सवार युवकों ने रास्ता पार कर रहे बाघ के सामने अपना वाहन ले जाते हुए मोबाइल के जरिए उसके फोटो व वीडियो निकाले थे. ताकि सोशल मीडिया पर रील पोस्ट की जा सके.

* क्या कहता है कानून व नियम?
वन्य प्राणियों को कोई तकलीफ दिए बिना चित्रिकरण किया जाता है और यदि इससे कानूनी प्रावधानों का भंग नहीं होता है, तो इसे अपराध नहीं माना जाएगा. परंतु वन्य प्राणियों के बेहद पास जाने, विशेषत: मृत प्राणी के साथ अथवा संरक्षित प्राणी के साथ सेल्फी लेने या उन्हें तकलिफ देने को अपराध माना जाता है. जिसके लिए सजा का भी प्रावधान है. इससे पहले भी ऐसा करनेवाले लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज किए गए है. परंतु इसके बावजूद अति उत्साही मोबाइलधारक युवक सुधरने का नाम नहीं ले रहे है.

* ऐसा कोई भी कृत्य जिसकी वजह से वन्य प्राणियों को तकलिफ होगी या उनके अस्तित्व के लिए खतरा निर्माण हो सकता है, तो उस कृत्य को कानूनन अपराध माना जाता है. इसे लेकर नागरिकों का जागरुक रहना बेहद आवश्यक है तथा प्रशासन द्वारा ऐसे मामलो को लेकर त्वरीत कार्रवाई की जानी चाहिए.
यादव तरटे पाटिल
पूर्व सदस्य, महाराष्ट्र राज्य वन्यजीव मंडल.

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