और तोरसेकर ने खोले सटीक चुनाव भविष्यवाणी के राज
पत्रकार मरते दम तक रहें पत्रकार
* समाज की घटनाओं और स्थितियों में छिपी है स्टोरिज
अमरावती /दि.28- महाराष्ट्र के बडे सोशल मीडिया इन्फ्ल्यूएंसर माने जाते वरिष्ठ पत्रकार गणेश वसंत उर्फ भाउ तोरसेकर ने अपने चुनाव संबंधी आकलन सही आने का राज अमरावती मंडल से विशेष वार्तालाप में साझा किया. उन्होंने अपने अंदाज में कहा कि, चुनाव परिस्थितियों और पुराने आंकडों से आकलन करना और भविष्यवाणी करना सहज होता है. 2014-2019 में बीजेपी तथा मोदी की भारी भरकम विजय का अप्रत्याक्षित अनुमान सहज संभव कर देने वाले तोरसेकर ने बताया कि, उन्होंने चुनाव से पहले ही पुस्तकें प्रकाशित कर दी थी. दोनों ही अवसरों पर भाउ तोरसेकर का बीजेपी को 2014 के चुनाव में स्पष्ट बहुमत मिलने और उसके अगले 2019 के चुनाव में 303 सीट मिलने का अंदाज एकदम खरा उतरा था. तोरसेकर सोमवार दोपहर अमरावती मंडल कार्यालय में पधारे. वे अमरावती जिला मराठी पत्रकार संघ के जीवन गौरव पुरस्कार स्वीकारने के लिए पधारे हैं. उनसे संपादक अनिल अग्रवाल और संपादकीय सहयोगी लक्ष्मीकांत खंडेलवाल ने विस्तृत संवाद किया. तोरसेकर ने सभी प्रश्नों के उत्तर दिये.
* अंदाज का क्या रहा गणित?
जब इतने सटीक अंदाज के बारे में पूछा गया तो तोरसेकर ने स्पष्ट कहा कि, 2014 से पहले कम से कम 280-275 लोकसभा सीटें ऐसी थी, जहां बीजेपी कम से कम एक बार और कही-कही 3, 4, 5 बार विजयी रही. उसी प्रकार जोरदार प्रचार एवं रणनीति का योगदान स्पष्ट झलक रहा था. इसमें भी नरेंद्र मोदी की तुलना में कांग्रेस या विपक्ष के पास दमदार चेहरा नजर नहीं आ रहा था. लोगों ने इसे मान्य किया और बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जोश से काम कर तीन दशकों में पहली बार किसी एक ही पार्टी को देश के वोटर्स ने लोकसभा में बहुमत दिला दिया. उससे पहले 1984 में इंदिरा लहर में कांग्रेस को अभूतपूर्व सफलता मिली थी. इसके बाद के प्रत्येक चुनाव में किसी दल को बहुमत लायक सीटें नहीं मिली. भाउ तोरसेकर ने कहा कि, 2009 की तुलना में 2014 में वोटींग प्रतिशत भी लगभग 6 प्रतिशत बढा था. जिससे भी अंदाज लगा कि, बढा हुआ वोट शेयर अधिकांश बीजेपी को जा सकता है.
* 2019 में भी सही भविष्यवाणी
भाउ तोरसेकर ने कहा कि, 2019 के चुनाव में भी यहीं फंडा अपनाया और बीजेपी की 300 से अधिक सीटों का अंदाज लगाया. उन्होंने गणित बताया कि, 402 सीटों का एनडीए का आंकडा था. उसका 75 प्रतिशत का अनुमान उनका रहा और वह खरा उतरा. यह अंदाज भी वरिष्ठ पत्रकार और यूट्यूब पर लाखों सब्सक्राइबर वाले चैनल प्रतिपक्ष के भाई तोरसेकर ने कहा कि, इसके लिए भी उन्होंने पुस्तक लिखी थी. चुनाव से महीनों पहले आत्मविश्वास के साथ पुस्तक प्रकाशित कर दी थी. 2019 के चुनाव में 1.5 प्रतिशत वोट कम पडे. किंतु परिस्थितियों और मोदी के नेतृत्व का मुकाबला तगडा नहीं होने से इस चुनाव में भी बीजेपी के बाजी मार लेने का अंदाज सही निकला.
* फिर भी नहीं बनना सेलेब्रिटी
भाउ तोरसेकर ने बडे ही बेबाक अंदाज में कहा कि, लोग सेलेब्रिटी बनने के लिए काफी कुछ करते हैं. किंतु उनका व्यक्तिगत मत है कि, सेलेब्रिटी होना नुकसानदायक होता है. वे फैमिली मैन हैं. उन्हें विशिष्ट होने से परहेज हैं. तोरसेकर ने कहा कि, उन्हें अपनी दोयती (नात) के साथ खेलने, घूमने, उसे पढाने, नई बात बताने में बडा भला लगता है. प्रसन्नता मिलती है. अभी भी वे कई बार दिल्ली खास अपनी नात से मिलने-खेलने कई-कई दिनों के लिए चले जाते हैं.
* सडक पर बिखरी स्टोरियां
भाउ तोरसेकर की स्मरण शक्ति गजब की है. 1957 के बाद के अनेक चुनाव और उससे जुडी घटनाओं का उन्हें बराबर स्मरण है. उसी प्रकार काफी वाचन कर चुके वरिष्ठ पत्रकार तोरसेकर को अनेक विदेशी विचारकों, हस्तियों से जुडे किस्से भी खूब याद है. किस्सागोई को वे पत्रकारिता का स्वरुप बताते हैं. उन्होंने कहा कि, परंपरागत मीडिया अनेक अवसरों पर दूसरा पहलू नहीं दिखाता. जबकि समाज में, राह से भी चलते हुए भी हम देखते हैं कि, स्टोरिज बिखरी पडी है. उसे देखना और उससे काम की चीज निकालना ही पत्रकारिता है. उल्लेखनीय है कि, भाउ तोरसेकर वह व्यक्ति है. जिनका जलवा सोशल मीडिया पर छाया है. यूट्यूब पर पिछले चार-पांच वर्ष से उनका प्रतिपक्ष चैनल लाखों व्यूज बटोर रहा है. उसी प्रकार आपने प्रिंट मीडिया में भी एक दर्जन से अधिक प्रिंट हाउस में 20 वर्षों तक पत्रकारिता कर छाप छोडी है. उन्होंने विस्तृत बातचीत दौरान अपने यूट्यूब चैनल शुरु करने और उसके अत्यंत सफल होने के भी राज खोले. उसी प्रकार लोगों के बीच रहकर अपने पूर्वाग्रह छोडने पर सही आकलन कर पाने की भी बात कही. (समाप्त)
* मातोश्री की महत्ता का किस्सा
भाउ तोरसेकर ने 2019 के उद्धव ठाकरे के रुख के बाद मातोश्री की अहमियत कम होने की ओर प्वाईंट किया. उन्होंने कहा कि, नृत्य से दुनिया जीतने वाले माइकल जैक्सन भी मातोश्री में बालासाहब ठाकरे से मिलने गये थे. जबकि यही जैक्सन कभी अमेरीकी राष्ट्रपति के वाइट हाउस नहीं गये. जैक्सन ने ठाकरे से दो अवसरों पर भेंट करने के बाद स्पष्ट भी किया कि, वे तो नांचते, गाते हैं. इसलिए लोग उन्हें देखने आते हैं. वे यह देखना चाहते थे कि, बालासाहब ठाकरे कैसे व्यक्ति हैं. जिन्हें सुनने मात्र के लिए लाखों लोग उमडते हैं.