तेंदूपत्ता तुडाई पर रोक से आदिवासियों में नाराजी
ठेके में स्थानीय मजदूरों को काम देने की शर्त हटा दी
अमरावती दि.22 – जिले के अचलपुर, चांदूर बाजार, धारणी, चिखलदरा, अंजनगांव सुर्जी तहसील में तेंदूपत्ते के पेड बडे पैमाने में है. उन पेडों को सरकारी संरक्षण प्राप्त है. हर वर्ष पेडों के पत्ते चुनने के लिए टेंडर प्रक्रिया जारी की जाती है. इस बार ली गई टेंडर प्रक्रिया में स्थानीय मजदूरों को काम उपलब्ध कराने की शर्त हटा दी गई है. जिससे आदिवासी बांधवों में भारी नाराजी देखी जा रही है.
प्रशासन के इस निर्णय को लेकर अब तक उपविभागीय अधिकारी समेत जिलाधिकारी कार्यालय में 150 से अधिक आपत्तियां दर्ज कराई है. आदिवासी संगठनों का कहना है कि, तेंदूपत्ते का क्षेत्र लगातार कम होते जा रहा हेै. पहले प्रशासन व्दारा खुद ही तंदूपत्ते उठवाने का काम किया जाता था. इससे आदिवासी परिवारों की अच्छी आमदनी होती थी. बाद में यह काम स्थानीय मजदूरों को देने की शर्त में ठेका दिये जाने लगा. ठेकेदारों ने मजदूरों को दी जानेवाली मजदूरी की रकम में कटौती कर डाली. लेकिन अब स्थानीय मजदूरों को काम देने की शर्त खत्म हो जाने से ठेकेदार दूसरे स्थानों से सस्ते मजदूर बुलाकर पत्ते इकट्ठा करेंगे, जिससे कई स्थानीय परिवारों की रोजीरोटी पर विपरित परिणाम होगा. इस वजह से प्रशासन को अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए, ऐसी मांग आदिवासी परिवारों व्दारा की जा रही है.
अमरावती जिले के तेंदूपत्ता क्षेत्र में पत्तों को जमा करने के लिए लगभग 31 हजार मजूदरों की जरुरत पडती है. हर मजदूर को एक दिन के काम के पीछे 280 रुपए मजदूरी दी जाती है. मेलघाट, अचलपुर, चांदूर बाजार, तहसीलों के कई परिवार इस काम में योगदान देते है. इसी वजह से प्रशासन के नए निर्णय को लेकर आदिवासी समाज में काफी बेचैनी दिखाई दे रही है. प्रशासन व्दारा अगर मांग पूरी नहीं की जाती हेै तो तीव्र आंदोलन छेडने की चेतावनी आदिवासी समाज व्दारा दी गई है.