अमरावती

खामोशी से क्रोध को जिता जा सकता है

मुफ्ती अरसलान रजा बरेलवी

विदर्भ स्तरीय एक रोजा सुन्नी इज्तेमा का हुआ आयोजन
अमरावती/दि.07– दुनिया में कई ऐसे लोग मिलेगे जो आपकों अपनी बातों से गुस्सा दिलाएगे ताकि आप गलत कदम ुउठाओं. मगर उन सब बातों को हराने का एक ही राज है वह है खामोशी.. अगर आप ने किसी की बात पर खामोशी बरती तो आपकी जीत संभव है. आपको कोई हरा नहीं सकता. इस तरह के उद्गार बरेली से आए नवासा-ए-ताज्जुशर्रीया मुफ्ती अरसलान रजा कादरी अजहरी(बरेली शरीफ युपी) ने उपस्थित जनसमुदाय से कही. इस समय उनके साथ मंच पर मुफ्ती मो. अबुल हसन कादरी(बरेली), मुफ्ती वफाऊल मुस्तफा(युपी), मुफ्ती शाहीद रजा(बरेली) मरकज अहले सुन्नत मस्जिद मिस्कीन शाह के इमाम मुफ्ती शरफोद्दीन, मौैलाना सै. शफाकत हुसैन, हाफ़िज़ इमामोद्दीन, मौलाना हफिज़उल्लाह (यवतमाल), मौलाना मकसुद रज़ा (परतवाडा),मौलाना ईमदाद रज़ा, मौलाना वाजीद रज़ा, मौलाना जुनेद रज़ा, मौलाना जुबरे, मुफ्ती नदीम रज़ा, हाफिज मुज़म्मील रज़ा, इत्यादि आदि उलेमा-ए-कराम मौजुद थे.

स्थानीय हैदरपुरा स्थित ईदगाह मैदान में शुक्रवार की शाम विदर्भ स्तरीय सुन्नी इज्तेमा बनामे अमरावती कॉफ्रेस का आयोजन किया गया. इस सुन्नी इज्तेमा में बरेली उत्तर प्रदेश, अमरावती जिले सहित नागपुर, यवतमाल, वर्धा, अकोला, अचलपुर, नांदेड सहित अन्य जिलों के उलेमा मंच पर उपस्थित थे. कार्यक्रम की शुरूआत तिलावते कुरआन व नात शरीफ पढ कर की गयी. प्रोग्राम शाम 5 बजे से प्रारंभ हो चुका था. जो रात 10 बजे तक जारी रहा. कार्यक्रम की सदारत मुफ्ती मकसुद रजा ने की. कार्यक्रम का आयोजन मुफ्ती मकबुल रजा मिस्बाही व्दारा आयोजित किया. आयोजन को सफल बनाने हेतु जमाअत रजा-ए-मुस्तफा, जिलानी मिशन, तंजीम फैजाने ताजुश्शरीया, नवजवाने अहले सुन्नत हैदरपुरा, रहेमत नगर तथा अमरावती ने अथक प्रयास किए.

* बरेली को क्यों मानते है
तकरीक के दौरान बरेली से आए मुफ्ती मौलाना मुफ्ती शाहिद रजा ने कहा कि हम बरेली को अपना मरकज इस लिए मानते है क्योंकि यहां से तालिम(शिक्षा) का प्रवाह होता है. यह अरबी शिक्षा का केंद्र माना जाता है.

* इंसानियत का पैगाम हमारी सीख
हमें सही तौर पर जिंदगी गुजारनी चाहिए आपस में मेल मिलाप कर एक दुसरे के सुख दुख में सहभागी होना चाहिए. इस तरह का पैगाम भी मुफ्ती अरसलान रजा ने दिया.

* बुजुर्गो का करों सम्मान
मुफ्ती अबुल हसन कादरी ने अपनी तकरीर के माध्यम से बताया कि आज का जमाना बुजुर्गो का सम्मान करने वाला नहीं रहा. बल्कि नयी पीढी को चाहिए की वे बुजुर्गो का सम्मान करें. तभी भविष्य में आपकी की भी समाज में इज्जत बढेगी.

* धार्मिक पुस्तक देकर किया सम्मान
बेहतरीन कार्यक्रम का आयोजन करने के चलते बरेली से पधारे आला हजरत के वंशज मुफ्ती अरसलान ने आयोजनकर्ता मुफ्ती मकबुल रजा, मकसुद रजा, मुफ्ती शरफोद्दीन मिस्बाही व अन्य उलेमा का धार्मिक पुस्तक देकर सम्मान किया.

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