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नंबर गेम में मत फंसो, बल्कि गेम चेंजर बनो

राजस्थानी हितकारक मंडल के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल (Anil Agrawal) की युवा पीढी को सलाह

* स्कुली व कॉलेज की शिक्षा के साथ ही प्रत्यक्ष ज्ञान व व्यवसायिक कौशल्य हासिल करने की भी दी नसीहत

* अग्रवाल समाज के मेधावी छात्र-छात्राओं का हुआ गुणगौरव समारोह

* अग्रवाल समाज, अग्रवाल बहु. सोशल मंच व अग्रवाल बहु. शिक्षा समिती का आयोजन

अमरावती/दि.6- इन दिनों अधिकांश माता-पिता चाहते है कि, उनके बच्चे हर विषय में 100 में से 100 अंक लेकर आये और अधिक से अधिक अंक हासिल करने को लेकर मानों एक प्रतिस्पर्धा चल पडी है. जिसमें इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा कि, रटने और पढने के इस चक्कर में बच्चे कुछ सीख भी पा रहे है अथवा नहीं. अक्सर देखा गया है कि, स्कुली व कॉलेज शिक्षा के दौरान औसत व सामान्य रहनेवाले विद्यार्थी आगे चलकर जीवन में बेहद सफल हुए है. ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि, इस नंबर गेम का पीछा छोडकर बच्चों को गेम चेंजर बनने के लिए तैयार किया जाना चाहिए. जिसके लिए बेहद जरूरी है कि, उन्हें किताबी पढाई-लिखाई के साथ-साथ प्रत्यक्ष ज्ञान व व्यवसायिक कौशल्य से ही अवगत कराया जाये. इस आशय का प्रतिपादन राजस्थानी हितकारक मंडल के अध्यक्ष व दैनिक अमरावती मंडल के संपादक अनिल अग्रवाल द्वारा किया गया.
गत रोज स्थानीय रायली प्लॉट स्थित अग्रसेन भवन में अग्रवाल समाज, अग्रवाल बहु. सोशल मंच व अग्रवाल बहु. शिक्षा समिती की ओर से अग्रवाल समाज को मेधावी छात्र-छात्राओं का सत्कार करने हेतु गुणगौरव समारोह आयोजीत किया गया था. इस अवसर पर विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों से संवाद हेतु ‘मन की बात-अपनों के साथ’ कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया था. इन दोनों कार्यक्रमों की अध्यक्षता करते हुए राजस्थानी हितकारक मंडल के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने उपरोक्त प्रतिपादन किया.
इस अवसर पर अग्रवाल समाज के अध्यक्ष रवि खेतान, सोशल मंच के अध्यक्ष संजय नांगलिया, शिक्षा समिती के अध्यक्ष डॉ. अशोक नरेडी, जागृति महिला मंडल की अध्यक्षा हेमलता नरेडी तथा सीए पवन अग्रवाल व डॉ. पवन ककरानिया बतौर प्रमुख अतिथी मंचासीन थे. इस अवसर पर सभी प्रमुख अतिथियों ने उपस्थित समाज बंधुओं व छात्र-छात्राओं का समयोचित मार्गदर्शन करने के साथ ही छात्र-छात्राओं को उनके भावी जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए अपनी शुभकामनाएं दी.

* शिक्षा का अंतिम पर्याय नौकरी नहीं

इस समय अपने संबोधन में राजस्थानी हितकारक मंडल के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल (Anil Agrawal) ने कहा कि, इन दिनों 10 वीं व 12 वीं की पढाई करते समय ही बच्चों सहित उनके अभिभावकों द्वारा इस बात को लेकर विचार करना शुरू कर दिया जाता है कि, आगे चलकर नौकरी करने के लिए कौनसी पढाई करनी है और उस पढाई को करते हुए नौकरी हासिल करने के लिए कितना स्कोर लाना जरूरी है. यानी कुल मिलाकर पढाई को नौकरी प्राप्त करने का जरिया मान लिया गया है. साथ ही नौकरी प्राप्त करना ही अब पढाई-लिखाई करने का अंतिम लक्ष्य हो गया है. यह पूरी तरह से एक गलत मानसिकता है. क्योंकि शालेय व महाविद्यालयीन पढाई को पूरी करने का सबसे प्रथम लक्ष्य ज्ञान अर्जीत करना होना चाहिए और पढाई पूरी करने के बाद धनार्जन करने हेतु हर युवा ने अपना खुद का कोई उपक्रम शुरू करने के बारे में सोचना चाहिए. किंतु इन दिनों हर कोई पढाई पूरी करते ही उंचे पैकेज की नौकरी और विदेश जाकर सेटल होने का ख्वाब देखने लगता है. यह एक तरह से गलत विचारधारा है और इस प्रवाह की वजह से पढाई के जरिये ज्ञान अर्जित करने का उद्देश्य कहीं पीछे छूट रहा है.

* संयुक्त परिवार मौजूदा दौर की सबसे बडी जरूरत

अपने संबोधन के दौरान अनिल अग्रवाल ने युवाओं को उनके करिअर व भविष्य के संदर्भ में मार्गदर्शन करने के साथ ही परिवारों में तेजी से हो रहे बिखराव को लेकर भी अपनी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि, इन दिनों संयुक्त परिवार बडी तेजी से टूट रहे है और एकल परिवारों का चलन बढने लगा है. इसमें भी महिलाओं द्वारा सास-ससुर तथा देवर व जेठ से अलग होने के बाद ऐसे दर्याशा जाता है, मानो उन्होंने कोई बहुत बडा काम कर लिया है. जबकि परिवार को जोडे रखने की सबसे बडी जिम्मेदारी खुद परिवार की महिलाओं पर ही होती है. यदि परिवार ही एकजूट नहीं रहेंगे, तो समाज को भी संगठित नहीं रखा जा सकता, क्योंकि समाज की प्राथमिक इकाई परिवार ही है.

* व्यापार व उद्योजकता अग्रवालों के डीएनए में

इस समय अनिल अग्रवाल ने यह भी कहा कि, व्यापार व उद्योजकता से संबंधित गुण अग्रवाल समाज के डीएनए में है. वहीं इन दिनों अग्रवाल समाज बदलते वक्त के साथ कदम से कदम मिलाते हुए परंपरागत व्यवसायों के साथ-साथ अत्याधुनिक प्रोफेशनल क्षेत्रों में भी सफलता हासिल कर रहा है और समाज की नई पीढी शिक्षा के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करते हुए विभिन्न प्रोफेशन्स में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है. इसे समाज बंधुओं द्वारा प्रतिस्पर्धा की तरह लेने की बजाय प्रेरणा की तरह लेना चाहिए और किसी भी क्षेत्र में अपने बच्चों को सफल बनाने हेतु उन्हें शिक्षित करने के साथ ही नई-नई चीजों को सिखने और व्यवसायिक कौशल्य का ज्ञान अर्जित करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए.

* पांच स्थानों पर मिलनेवाला सम्मान है सफलता का मानक

अपने संबोधन में अनिल अग्रवाल ने कहा कि, इन दिनों अधिक से अधिक मार्क हासिल कर उंचे पैकेज पर नौकरी प्राप्त कर लेने को ही सफलता का पर्याय मान लिया गया है. जबकि हकीकत इससे उलट है. यदि किसी व्यक्ति का उसके परिवार में, मित्र वर्ग में, समाज में, सामाजिक क्षेत्र में तथा जीवनसाथी की नजर में सम्मान है, तो उस व्यक्ति को सफल माना जाना चाहिए, फिर चाहे उसकी आर्थिक स्थिति किसी भी स्तर की क्यों न हो. वहीं यदि किसी व्यक्ति के पास करोडों रूपयों की संपत्ति है और इन पांचों में से किसी भी एक स्थान उस व्यक्ति के लिए सम्मान का भाव नहीं है, तो उस व्यक्ति को जीवन में सफल नहीं कहा जा सकता. साथ ही उन्होंने कुछ वर्ष पूर्व राजस्थानी समाज महोत्सव में शामिल होने अमरावती आये तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत के कथन का उल्लेख करते हुए कहा कि, दान, दया व धर्म राजस्थानी समाज का मूल तत्व एवं गुण है. इसी के दम पर समाज ने हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त की है. अत: युवा पीढी ने भी इन्हीं तत्वों और गुणों को अंगीकार करना चाहिए, ताकि वे भी अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सके. इस समय उन्होंने खुद अपना उदाहरण देते हुए कहा कि, वे अपने शालेय व महाविद्यालयीन जीवन में सामान्य स्तर के विद्यार्थी रहे और लगभग सभी कक्षाओं में 60 फीसद के आसपास अंक हासिल किया करते थे. किंतु आज पत्रकारिता सहित सामाजिक क्षेत्र में किये जा रहे अपने कामों और उन कामों को समाज की ओर से मिल रही मान्यता व प्रशस्ती के दम पर खुद को जीवन में एक सफल व्यक्ति कह सकते है.

इस समय मंचासीन अतिथियों ने भी अपने समयोचित विचार व्यक्त किये और अग्रवाल समाज के मेधावी छात्र-छात्राओं का भावपूर्ण सत्कार करते हुए उन्हें भावी जीवन में सफलता प्राप्त करने हेतु अपनी शुभकामनाएं दी. इस अवसर पर कक्षा 10 वीं के श्याम अग्रवाल, कामाक्षी अग्रवाल, रूचि नांगलिया, दीशा अग्रवाल, कृष्णा गोयनका, पूरब अग्रवाल, खुशी अग्रवाल, मानस जालान, निधी अग्रवाल, वेदा अग्रवाल, नमन अग्रवाल, अवतन अग्रवाल, कूंदन अग्रवाल, निशांत अग्रवाल, अक्षय अग्रवाल, ऋषि अग्रवाल, हर्ष मित्तल, कक्षा 12 वीं के वेदांत अग्रवाल, जान्हवी अग्रवाल, श्रेया अग्रवाल, श्रृति अग्रवाल, सान्या अग्रवाल, वैष्णवी अग्रवाल, साक्षी अग्रवाल, तृष्यदीप अग्रवाल, यश खेतान, पलक्षी सुरेका, लवनीश खेतान, हर्षिता अग्रवाल, संकेत अग्रवाल, तनय गोयनका, साक्षी अग्रवाल, कृतिका अग्रवाल, हर्ष अग्रवाल, ऋ

षभ अग्रवाल, कुश अग्रवाल, रिया लोया, नमन अग्रवाल तथा विभिन्न क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि व उच्च शिक्षा प्राप्त करनेवाले अर्पित केडिया, श्रेया केडिया, गौरी ककरानिया, आयुषी अग्रवाल, डॉ. महिमा अग्रवाल, डॉ. गोविंद राजपुरिया, मुस्कान गोयनका, निकिता अग्रवाल, मानसी अग्रवाल, शिवानी अग्रवाल, श्वेता अग्रवाल, तन्मय बंसल, हर्षल अग्रवाल, नीरज ककरानिया व प्रणय अग्रवाल आदि का स्

मृतिचिन्ह, प्रमाणपत्र, पुष्पगुच्छ व भेंट वस्तु देकर सम्मान किया गया. इस कार्यक्रम का संचालन सुनील अग्रवाल व सीए सुनील सलामपुरिया तथा आभार प्रदर्शन राजेश मित्तल ने किया. इस अवसर पर अग्रवाल सखी मंच की अध्यक्षा आरती केडिया एवं विनोद अग्रवाल, विजय अग्रवाल, सुनील केडिया व मोहन नांगलिया सहित बडी संख्या में अग्रवाल समाज बंधु उपस्थित थे.

* प्लान-बी को हमेशा तैयार रखें
– डॉ. पवन ककरानिया ने किया करिअर को लेकर मार्गदर्शन
इस आयोजन में बतौर मार्गदर्शक वक्ता अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. पवन ककरानिया ने कहा कि, आज की नई पीढी बेहद महत्वाकांक्षी हो गई है और सफलता प्राप्त करने के लिए सतत प्रयास करने की बजाय शॉर्टकट खोजना चाहती है. जबकि सफलता के रास्ते में कोई शॉर्टकट नहीं होता. साथ ही कई बार सतत प्रयास व परिश्रम करने के दौरान असफलता का भी सामना करना पडता है. जिसका सामने होते ही नई पीढी बहुत जल्द हताश, निराश व मायूस हो जाती है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि, करिअर को लेकर कोई भी फैसला करते समय अपने पास प्लान-बी के तौर पर दूसरे पर्याय का विकल्प तै

यार रखे, ताकि जरूरत पडने पर तुरंत ही ‘स्वीच ओवर’ किया जा सके. इस समय उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित युवाओं को यह भी सलाह दी कि वे आसमान से उंचे सपने जरूर देखे, लेकिन अपने पैरों को यथार्थ के धरातल पर जमाये रखे और नजरें जमीन पर हो, ताकि ठोकर लगने का खतरा न र

हे.

* करिअर के साथ ही सामाजिकता पर भी ध्यान दें युवा

– सीए प्रवीण अग्रवाल ने दी अनमोल सलाह

इस समय शहर के ख्यातनाम अकाउंटंट प्रवीण अग्रवाल ने उपस्थित छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि, इन दिनों अधिक से अधिक अंक हासिल करने और शानदार करिअर बनाने के चक्कर में हमारे युवा समाज से अलग-थलग व कटे-कटे से रहने लगे है. जिसकी वजह से उनका सामाजिक दायरा विकसित ही नहीं हो पाता और सामाजिक सोच भी परिपक्व नहीं हो पाती. ऐसे में बेहद जरूरी है कि, पढाई-लिखाई व करिअर के रास्ते पर आगे बढते समय युवाओं द्वारा पारिवारिक व सामाजिक उपक्रमों में बढ-चढकर हिस्सा लिया जाये. साथ ही किसी सोशल क्लब में शामिल होकर समाजहित के कामों में हाथ बंटाया जाये. ऐसा करना व्यक्तित्व विकास के लिए बेहद जरूरी है. इसके जरिये लागों से जुडने और संवाद कौशल्य को बढाने में सहायता मिलती है, जो आगे चलकर करिअर में काफी मददगार साबित होती है.

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