अमरावती

पशु निर्मूलन कार्यक्रम प्रभावी रुप से अमल में लाए

पालकमंत्री यशोमती ठाकुर के निर्देश

प्रतिनिधि/दि.१८
अमरावती – जिले में पशु धन टीकाकरण कार्य में बाधाए आ रही है. बारिश के दिनों को ध्यान में रखते हुए काम तीव्रता से निपटाया जाना चाहिए. पशुधन यह खेती व किसानों के लिए महत्वपूर्ण है. इसका संरक्षण करने के लिए विविध योजना व उपाय योजनाए चलायी जाए. पशु रोग निर्मूृलन कार्यक्रम का प्रभावी रुप अमल किया जाए. यह निर्देश राज्य की महिला व बालविकासमंत्री तथा जिले की पालकमंत्री एड. यशोमती ठाकुर ने दिए है. पशु संवर्धन यह किसान और खेती से जुड हुृआ महत्वपूर्ण व्यवसाय है. खेती कार्य से लेकर दूध उत्पादन तक पशुधन महत्वपूर्ण होते है. इसलिए पशु संवर्धन करने के लिए नियमित टीकाकरण, चारा विकास कार्यक्रम आदि विविध योजनाओं व उपक्रमों को गति दी जाए. पालकमंत्री ने बताया कि जिले में लगभग ५ लाख ९४ हजार पशु संपदा है. लॉकडाउन में इस पर कुछ पाबंदी आयी है. अब इन कार्यो को गति प्रदान करना आवश्यक है. टीकाकरण करने के लिए ५ लाख ९४ हजार का टीके जिले में प्राप्त है. मवेशियों में लार खुरकत तेजी से फैलने वाली बीमारी है. इस बात को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त प्रमाण में टीका उपलब्ध कराकर दिया गया है. घटसर्फ जैसी आंतरिक बीमारियोंं को लेकर मानसून पूर्व टीकाकरण पूरा किया गया है. पशुधन टेगिंग कर टीकाकरण किया जा रहा है. यह जानकारी जिलापशु संर्वधन अधिकारी डॉ. विजय राहटे ने दी.

टीकाकरण की १५ फेरियां हुई
अमरावती जिले में १६८ पशुवैद्यकीया अस्पताल है. राष्ट्रीय पशु रोग निर्मूलन कार्यक्रम अंतर्गत टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. जिले में अब तक १५ फेरियां हो चुकी है. इस टीकाकरण अभियान में तोंडखुरी,पायखुरी बीमारी पर नियंत्रण पाया गया है. फिलहाल अमरावती जिले में लारखुरपत बीमारी का प्रकोप नहीं होने की जानकारी डॉ. रहाटे ने दी. उन्होंने कहा कि, राष्ट्र पशु रोग निर्मूलन कार्यक्रम में टीकाकरण करने से पूर्व व उसके बाद पशुधन के रक्तजल नमूने जांचे जाते है. रक्तजल नमूनों में रोगप्रतिकार शक्ति को जांच जाता है. बीमारी को जड से मिटाने के लिए २४ फेरियां चलायी जाएगी. तोंडखुरी, पायखुरी यह बीमारियां विषाणुजन्य है. गाय, भैंस, बकरियों को यह बीमारी होती है. गाय और भैंस में इसका प्रमाण ज्यादा रहने से सालभर में दो बार टीकाकरण किया जाता है. लारखुरकत बीमारी पर प्रतिबंधक टीके से मवेशियों में निर्माण होने वाली प्रतिकार क्षमता की अवधि ६ महिने तक रहती है.

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