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अमरावती /दि.8– इन दिनों जहां एक ओर इंसानों में कर्करोग यानि कैंसर का प्रमाण बढ गया है. वहीं अब जानवरों में भी कैंसर के लक्षण व प्रमाण बढते दिखाई दे रहे है. हालांकि जानवरों में होने वाले कैंसर को ठीक करने के लिए तमाम उपाय है. और समय रहते उपचार करने पर जानवरों का कैंसर भी ठीक हो सकता है. ऐसी जानकारी पशु संवर्धन विभाग के अधिकारियों द्वारा दी गई है.
पशु चिकित्सकों के मुताबिक कुत्तों को विनर ग्लैमोरिया नामक कैंसर हो सकता है. जिसे आधुनिक चिकित्सा पद्धति से ठीक किया जा सकता है. इसके साथ ही जिन लोगों के पास कुत्ते व बिल्ली सहित अन्य पालतू जानवर है. उन्होंने अपने-अपने पशुओं की नियमित स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए. पालतू जानवरों को पौष्टिक आहार व पीने हेतु नियमित रुप से पानी देने पर जानवरों में बीमारी का प्रमाण घट सकता है. विशेष तौर पर जानकारों का प्रदूषण संरक्षण करना बेहद जरुरी है. मौजूदा स्थिति में कई बार वातावरण के खराब रहने की वजह से भी जानवरों को सांस लेने में तकलीफ होती है. इस लिहाज से भी जानवरों की नियमित स्वास्थ्य जांच कराना बेहद जरुरी होता है.
* क्या है लक्षण?
वजन कम होना, भूख कम लगना, खाना-पीना बंद होना, नाक मुंह व शौच की जगह से खून निकलना, सांस लेने और चबाने में तकलीफ होना उलटी के जरिए रक्त निकलना तथा भरपूर वेदना होना को जानवरों में कैंसर का लक्षण माना जा सकता है.
* क्या सतर्कता जरुरी?
प्राणियों को सुबह-शाम मास्क लगाकर घुमाना, भोजन में साग-सब्जी तथा मुली, गाजर व बीट जैसी तंतुमय सब्जियों का प्रयोग करना, प्राणियों के वजन पर ध्यान देना, कुत्ता खरीदते समय उसकी हिस्ट्री तथा उसके आनुवांशिक बीमारियों की जानकारी लेना बेहद जरुरी होता है.
* जानवरों में दो प्रकार के कैंसर
– बिनिग्न कैंसर
धीरे-धीरे बढने वाला यह कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में नहीं फैलता. साथ ही इसे शल्यक्रिया के जरिए निकाला जा सकता है और शल्यक्रिया पश्चात इस कैंसर के दोबारा होने की संभावना कम रहती है.
– मैलिग्जंट कैंसर
जलद गति से बढने वाला यह कैंसर शरीर के अन्य अंगों में भी तेजी से फैलता है और इसके काफी गंभीर खतरे होते है. साथ ही इसके इलाज हेतु किमोथेरेपी व रेडिएशन थेरेपी जैसे उपचारों की जरुरत पडती है.
* जानवरों में कर्करोग का खतरा कम करने हेतु उनके आहार में बदलाव करते हुए उन्हें पौष्टिक आहार देना चाहिए. साथ ही पालतू जानवरों की स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए.
– डॉ. पुरुषोत्तम सोलंके,
जिला पशु संवर्धन अधिकारी,
जिला परिषद अमरावती.