अमरावतीमहाराष्ट्र

अंकुश और पल्लवी का माउली फास्टफूड हिट

दोनों के परिश्रम ने दिए सुपरिणाम

* प्रेम विवाह के बाद जीवन के संघर्ष पथ पर साथ-साथ
अमरावती/दि.18– प्रभात कॉलोनी चौक अर्थात शिलांगण रोड के अस्मिता स्कूल से थोडा आगे माउली फास्टफूड ने अल्पावधि में सभी की जुबां पर नाम लाया है तो इसके पीछे माउली के संचालक दंपत्ति रोडे का साथ मिलकर किया जा रहा संघर्ष है. अंकुश और पल्लवी द्बारा बनाई गई दाबेली से लेकर पाव भाजी तक सभी का जायका इस क्षेत्र के लोगों और वहां से गुजरनेवाले लोगों की जिव्हा पर चढ गया है. जिससे पहले एक ठेले पर काम करनेवाले अंकुश ने अब दो ठेले कर लिए हैं. शाम 4 से रात 11 बजे तक उनके ठेले पर दाबेली, पाव भाजी, वडा पाव, पिज्जा, बर्गर, नूडल्स, चायनीज, मेगी के शौकीन भीड करते हैं. सभी को अंकुश और पल्लवी रोडे दंपत्ति द्बारा बनाई गई डिशेज खूब पसंद आ रही है.

* किया प्रेम विवाह
अंकुश रोडे बताते हैं कि उन्होंने पल्लवी से डेढ दशक पहले प्रेम विवाह किया. दोनों कक्षा 12 वीं तक पढे हैं. विवाह पश्चात अंकुश और पल्लवी ने अनेक प्रकार के सीजनल व्यवसाय किए. गणपति की मूर्तियों को सजाकर उसकी विक्री की. सब्जियां भी बेची. कोरोना महामारी के बाद दंपत्ति ने दाबेली, वडा पाव का स्टॉल लगाया. गजानन महाराज पर श्रध्दा होने से अपने स्टॉल को माउली नाम दिया. रोडे के परिश्रम और माउली की कृपा से लोगों को स्वाद पसंद आया. वहां छात्र, छात्राएं ने आकर टेस्ट करने लगे. फिर कई लोग पार्सल ले जाने लगे हैं. अब तो व्यवसाय चल निकला है.

* सबेरे से शुरू हो जाता काम
अंकुश ने बताया कि स्टॉल संध्या समय लगाने के लिए सबेरे से तैयारी करनी पडती है. थोक बाजार में जाकर सब्जियां लानी पडती है. फिर किराना सामान लेना होता है. उपरांत आलू उबालना और चटनियां बनाना शुरू करना पडता है. सारी तैयारी घर से करने उपरांत ठेला सजाकर ग्राहकी होती है. 5-6 घंटे दोनों अंकुश और पल्लवी सतत खडे रहते है. सामने ताजा माल बनाते हैं. जिससे ग्राहक आकर्षित होते हैं. उन्हें आंखों के सामने माल तैयार होते दिखाई देता है. जिससे माल ताजा होने की गारंटी होती है. इससे भी विक्री अच्छी होती है.

* दंपत्ति की दो बेटियां
अंकुश के साथ जीवन का निर्णय कर लेनेवाली पल्लवी कामकाज में पूरा हाथ बंटाती है. दंपत्ति को दो पुत्रियां श्रेया और अंशिका है. श्रेया ने हाल ही में कक्षा 10 वीं का एग्जॉम दिया है. छोटी अंशिका कक्षा दूसरी में हैं. अंकुश बताते हैं कि अब एक दुकान लेने का विचार कर रहे हैं. सपने तो बहुत हैं. सपनों का साकार करने के लिए अंकुश – पल्लवी कडा परिश्रम कर रहे हैं. उनके द्बारा बनाई गई पावभाजी, दाबेली का स्वाद अनेक को पसंद आ रहा है. कई लोग शाबासी देते हैं. कुछ लोग तीखा- फीका के बारे में भी सलाह सुझाव देते हैं. अंकुश कहते हैं कि वे इन सुझावों पर विचार करेंगे.

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