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कल सम्मेलन में भूमिका की घोषणा

वरिष्ठ शिवसेना नेता पार्टी लाइन पर आघाडी के साथ

* युवाओं का जोश कर रहा अलग दावा
* मामला शिवसेना उबाठा का अमरावती से क्लेम छोडने का
अमरावती/ दि. 22- शिवसेना उबाठा ने महाविकास आघाडी में गठजोड के कारण अमरावती की परंपरागत एवं गढ कही जाती सीट पर दावा छोड देने से अमरावती के बाशिंदे हैरत में हैं. शिवसैनिकों ने अप्रसन्नता व्यक्त की है. कट्टर शिवसेना कार्यकर्ता इसे सरासर गलत और नवनीत राणा से बदला लेने का अवसर खो देना बता रहे हैं. वहीं पूर्व सांसद अनंतराव गुढे जैसे नेता आघाडी धर्म की भाषा करते हुए कह रहे हैं कि कल शनिवार 23 मार्च को दोपहर 3 बजे नेमाणी इन में आयोजित पार्टी सम्मेलन में भूमिका घोषित होगी. उल्लेखनीय है कि आगामी 26 अप्रैल को होने जा रहे अमरावती संसदीय क्षेत्र के प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव के लिए महाविकास आघाडी के घटक दल कांग्रेस ने विधायक बलवंत वानखडे को अंतत: अधिकृत रूप से प्रत्याशी घोषित कर दिया है.

* गुढे बोले – आघाडी के साथ
धनुष्यबाण लेकर अमरावती से तीन बार चुनावी सफलता प्राप्त करनेवाले अनंत गुढे ने कहा कि आघाडी में अमरावती की सीट अपने फेवर में लाने में हम कदाचित कम पड गये. हमारे प्रयास अधूरे रह गये हैं. पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं हैं. अब आघाडी धर्म का पालन होगा. हमारे वरिष्ठ ने जो निर्णय किया हैं. उसका सम्मान रखा जायेगा. कल पार्टी का महत्वपूर्ण सम्मेलन हैं. उसमें भूमिका तय होगी. हमें महाविकास आघाडी में जिसे भी उम्मीदवारी मिलती है, उसके सपोर्ट की भूमिका रखनी होगी. अमरावती जैसी सीट जहां शिवसेना 6 में से 5 चुनाव जीत चुकी है, उसे छोडने के विषय में भूतपूर्व सांसद गुढे ने कहा कि वरिष्ठ नेताओं द्बारा दिए गये आदेश का पालन करना होगा. उन्होंने यह पूछे जाने पर कि अमरावती लोकसभा क्षेत्र छोडे जाने का जिम्मेदार कौन हैं, तो तपाक से कहा कि आनंदराव अडसूल. गुढे ने पार्टी के अलग स्टैंड लिए जाने की स्थिति में उसका भी पालन करने की बात कही.

* विड्रॉल की डेट तक होते हैं निर्णय
शिवसेना संपर्क प्रमुख सुधीर सूर्यवंशी ने कांग्रेस के प्रत्याशी की अधिकृत घोषणा से अनभिज्ञता जताई. फिर कहा कि अभी भी हम आशावादी हैं. अपेक्षावादी हैं. अमरावती शिवसेना का गढ था, है, रहेगा. उन्होंने खालिस राजनीतिक अंदाज में कहा कि चुनाव में विड्रॉल की समय सीमा तक निर्णय होेते रहते हैं. इसलिए थोडा इंतजार करना चाहिए. अमरावती में शिवसेना की सीट चले जाने के लिए कौन जिम्मेदार हैं, यह पूछते ही सूर्यवंशी ने दो बार के सांसद आनंदराव अडसूल का नाम लिया. सूर्यवंशी ने कहा कि वे पराजित नहीं होते तो शायद ऐसी स्थितियां न बनती. उन्होंने कहा कि कल पार्टी का सम्मेलन है. जिसमें सभी पदाधिकारी और शिवसैनिक आनेवाले हैं. उनसे चर्चा होगी. मविआ को लेकर स्थानीय स्तर पर क्या तय करना हैं, उसकी भी रूपरेखा बनेगी.

* सावंत ने नहीं रखा संपर्क
30 वर्षो से शिवसेना से जुडे पूर्व जिला प्रमुख प्रदीप बाजड ने मंडल न्यूज से कहा कि राणा मैडम से हमारे नेता उध्दवजी के प्रति किए गये अनर्गल प्रलाप के कारण अमरावती के शिवसैनिकों को बदला लेने का बडा मौका था. शिवसैनिक इसका बेताबी से इंतजार भी कर रहे थे. यहां से पूरी ताकत से मशाल लेकर हम लडने वाले थे. भाजपा ने नवनीत राणा को सुपारी दी थी. यहां कास्तकार और बेरोजगारों के अहम विषय भी थे. जिसे लेकर शिवसैनिक अपने इच्छुक दिनेश बूब को लेकर जोश में थे. बूब ऐसे शिवसैनिक हैं जो 80 प्रतिशत समाज कारण और 20 प्रतिशत राजकारण की शिवसेना की परिपाटी पर वर्षो से,दशकों से काम कर रहे हैं. जब अमरावती गढ रहा है. इसलिए बूब की दावेदारी का सभी शिवसैनिकों ने एक स्वर में समर्थन किया. जब बाजड से पूछा गया कि अमरावती जैसी बालासाहब के प्रिय लोकसभा क्षेत्र को शिवसेना को क्यों छोडना पडा, इसका जिम्मेदार कौन हैं तब बाजड ने अरविंद सावंत का नाम लिया. बाजड ने आरोप किया कि सावंत को अमरावती जिला संपर्क प्रमुख नियुक्त किया गया था. उनकी जिम्मेदारी अमरावती के पार्टी नेताओं से सतत संपर्क रखने के साथ यहां के लगातार दौरे करने की थी. किंतु सावंत ने ऐसा नहीं किया. सावंत के संपर्क हीन रहने की वजह से ही अमरावती की हक की सीट चली गई. बाजड ने प्रश्न उठाया कि सावंत या उनके समर्थक शिवसैनिक इस बात का जवाब दे कि सावंत कब, कितनी बार अमरावती आए. धामणगांव गये, अचलपुर गये, धारणी गये ? बाजड ने कहा कि दुख इसी बात का है कि इन लोगों के कारण अमरावती की हक की सीट चली गई. शिवसेना का घाटा हो गया. अभी भी शिवसेना उबाठा भाजपा के विरोध में ताकत से काम करेगी. उन्होंने कहा कि 5 वर्षो में यहां सांसद ने केवल नौटंकी की है.

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