अमरावती

भातकुली में 12 और 13 नवंबर को वार्षिक यात्रा महोत्सव

आदिनाथ स्वामी दिगंबर जैन संस्थान का आयोजन

अमरावती/दि.14 – भातकुली अतिशय क्षेत्र में कार्तिक बदी 5 रविवार 13 नवंबर को श्री 1008 आदिनाथ स्वामी दिगंबर जैन संस्थान द्बारा वार्षिक यात्रा महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया. जिसमें हजारों की संख्या में भाविकों ने उत्साह और श्रद्धा से भाग लिया. उसी प्रकार प्रसादी का भी लाभ लिया. वार्षिक यात्रा महोत्सव में संस्थान के अध्यक्ष सतीश संघई, उपाध्यक्ष मनोहरराव डाखोरे, सचिव नाना चांदूरकर और सहसचिव राजकुमार जैन (बडजात्या) सहित आस-पास के गांवों और नगरों से भी हजारों श्रद्धालु पधारे थे.
* शनिवार को ध्वजारोहण
मांगलिक आयोजन अंतर्गत ध्वजारोहण शनिवार 12 नवंबर को सुबह 9 बजे होने के साथ महोत्सव का मंगल प्रारंभ हुआ. उपरान्त 9.30 बजे श्री मूलनायक अभिषेक तथा दोपहर को पूजन हुआ. रविवार 13 नवंबर को प्रात: 9 बजे मानस्तंभ अभिषेक, 9.30 बजे श्री मूलनायक अभिषेक, दोपहर 1 से 4 बजे रथ यात्रा एवं कानगी और 4 से 6 बजे जलयात्रा, अभिषेक तथा महाआरती हुई.
* रथयात्रा में उमडे हजारों
रविवार दोपहर निकाली गई रथयात्रा ने भातकुली नगर भ्रमण किया. उसमें सैकडों की संख्या में श्रद्धालु उमडे. उसी प्रकार बाजे-गाजे के साथ भाविक झूमने भी लगे थे. रथयात्रा नगर भ्रमण उपरान्त मंदिर पहुंंची. वहां बोलियां लगी और अभिषेक पश्चात महाआरती हुई. प्रसाद वितरण का हजारों ने लाभ लिया. संस्थान के अध्यक्ष सतिश संगई ने पंडित श्रीकांत जी के पौराहित्य में मानसस्तंभ का अभिषेक किया. उसी प्रकार राजकुमार बडजात्या, पुष्पा बडजात्या, कांचन संगई, संजोग संगई, प्रतीक्षा बडजात्या, शशि पाटणी, अनीता पाटणी, अक्षय गहानकर, राजेंद्र शाह, सुधा शाह, रवि जैन, शुभम जैन, विजय कंचोरी, नीना शाह, विजय पाटणी, विनिता पाटणी, किरण गरोले, प्रमोद बगत्रे, नीता बगत्रे, संजय बगत्रे, विनय बगत्रे, संदीप फुकटे, गिललकर, जितेंद्र बडजात्या, अनीता बडजात्या, सबाने, नांदगांवकर, शिखा दीदी. मोना पंचोरी, गौरव गुलालकरी, अतुल गुलालकरी, भावेश जैन, जितेंद्र जैन, नवल फुकटे, दिनेश सिंगई, ऋषि पाटणी, फुरसुले, संदीप भैया वैद्य, जया बगत्रे, अकोला, कारंजा, अंजनगांव, बडनेरा, वर्धा, आमला, नांदगांव पेठ, नांदगांव खंडेश्वर आदि क्षेत्र से भी भाविक भातकुली की इस प्रसिद्ध रथयात्रा में उत्साह और आस्था से सहभागी हुए. आयोजन को सफल बनाने राजकुमार डोनगावकर, वसंतराव बडनेरकर, राजकुमार बगत्रे और समस्त संस्थान के सभी पदाधिकारी और श्रद्धालु का योगदान रहा.

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