झेनिथ हॉस्पिटल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.राघाणी का एक और उल्लेखनिय कार्य
भारतीय इमेजिंग और फिजियोलॉजी परिषद की 6 वीं राष्ट्रीय बैठक में उपस्थिति
* जिरो (शून्य) कॉन्ट्रास्ट एंजियोप्लास्टी पर व्याख्यान दिया
अमरावती/दि.16-अमरावती के प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.नीरज राघाणी द्वारा एक और गगन स्पर्शी कार्य किया गया. चेन्नई में आयोजित भारतीय इमेजिंग और फिजियोलॉजी परिषद की 6 वीं राष्ट्रीय बैठक में उपस्थिति दर्शाकर उन्होंने जिरो (शून्य) कंट्रास्ट एंजियोप्लास्टी पर व्याख्यान दिया. और किडनी रोगियों के लिए एंजियोप्लास्टी में क्रांतिकारी परिवर्तन लानेपर केस प्रेजेंटेशन किया.
डॉ. नीरज राघाणी ने कहा कि, जैसे की इसके पहले किडनी फेलीवर पेशंट की एंजियोग्राफी या एंजियोप्लास्टी करना संभव नही रहता था और उसी वजह से पेशंट को काफी दिक्कत होती थी. जो भी किडनी फेलीवर के पेशंट रहते है उनमें से 60 से 70 प्रतिशत पेशंट की मौत दिल की बीमारी के कारण होती है. और इसे नजरअंदाज किया जाता है, क्योंकि काँट्रास्ट की वजह से किडनी पेशंट की तकलीफ और इसिलिए किडनी फेलीवर पेशंट की एंजियोग्राफी या एंजियोप्लास्टी कोई भी डॉक्टर सलाह नहीं करते थे. लेकीन अब नई टेक्नॉलॉजी के रहते हुये जिसे हम (आईवीयूएस) इंटरा वसकुलर अल्ट्रासाउंड कहते है, जिससे संबंधित पेशंट की एंजियोग्राफी या एंजियोप्लास्टी करना संभव है. आईवीयूएस की मदद से हम नसों को अंदर से देख सकते है और उसके लिए हमें कोई भी काँट्रास्ट एजेंट देनेे की जरूरत नही होती है. और नसों को देखने के बाद में उसमे हम स्टेन्ट डाल सकते है. इस प्रकार की एंजियोप्लास्टी करने से पेशंट की तकलीफ कम हो जाती है और उनको कॉम्प्लिकेशन आने की संभावना भी कम होती है. डॉ. नीरज राघाणी का कहना है कि, सभी किडनी पेशंट को यह बात ध्यान में रखनी चाहिये की जितना वो किडनी की सेहत का ध्यान रखते है उतना ही अपने हार्ट की सेहत का भी ध्यान रखना काफी जरूरी है. क्योंकि की किडनी पेशंट में सबसे ज्यादा खतरा हार्ट की बीमारी से ही होता है. पहले किडनी पेशंट की एंजियोग्राफी या एंजियोप्लास्टी नहीं की जाती थी, क्योंकि काँट्रास्ट को दिया जाता है जो की किडनी दो डैमेज करता है और इस प्रकार के पेशंट को हमेशा कन्झरवेटिली मैनेज किया जाता था. पेशेंट को काफी तकलीफ होती थी और हार्ट की वजह से उनकी मौत का कारण भी होता था. लेकीन अब झेनिथ हार्ट अँड मल्टि स्पेशलिटी हॉस्पिटल में आईवीयूएस की सुविधा उपलब्ध है. इंटरा वसकुलर अल्ट्रासाउंड (आईवीयूएस) के रहते हुए पेशंट की जो हार्ट की नसें है उनकी एंजियोप्लास्टी बिना काँट्रास्ट दिये ही की जा सकती है. इसी विषय पर डॉ. नीरज राघाणी ने चेन्नई में आईपीसीआई कॉन्फरन्स में जिरो कॉन्ट्रास्ट एंजियोप्लास्ट पर अपने विचार रखे. अमरावती एक छोटी सिटी रहने के बावजूद यहां पर नई टेक्नॉलॉजी लाना और अपने पेशंट की मदद करने के लिए डॉ. नीरज राघाणी हमेशा तत्पर रहते है.