अमरावतीमहाराष्ट्रमुख्य समाचार

‘एंटी लैंड ग्रैबिंग एक्ट’ लागू किया जाए

महाराष्ट्र में मंदिरों की जमीनों पर कब्जे के अनेक मामले उजागर

* महाराष्ट्र मंदिर महासंघ का राज्य सरकार को ज्ञापन
अमरावती /दि. 24– राज्य में देवस्थान की जमीनों पर अवैध कब्जे के मामले अनेक स्थानों पर सामने आ रहे है. अमरावती जिले सहित पूरे महाराष्ट्र में इन अनियमितताओं पर रोक लगाने के लिए महाराष्ट्र सरकार से ‘एंटी लैंड ग्रैबिंग एक्ट’(भूमि कब्जा विरोधी कानून) लागू करने और तत्काल कार्रवाई करने की मांग की गई है. इसके अलावा राज्य में भूमि हडपने के खिलाफ एक विशेष दल नियुक्त करने की मांग महाराष्ट्र मंदिर महासंघ ने सरकार से की है. इस संबंध में महासंघ के प्रतिनिधि मंडल ने जिलाधिकारी सौरभ कटियार को ज्ञापन सौंपा.
ज्ञापन में कहा गया है कि, मंदिरों की आर्थिक व्यवस्था और धार्मिक कार्यों के लिए पूर्व राजाओं, महाराजाओं और भक्तों ने देवस्थान को कृषि भूमि दान में दी थी. इसके अलावा तत्कालीन मंदिर प्रबंधन ने कुछ जमीनें खरीदी भी थी. इन कृषि भूमि में से कई जमीनें इनाम की श्रेणी में आती हैं और उनकी भू-धारण पद्धति ‘भोगवटदार वर्ग-2’ के अंतर्गत आती है. इसके अनुसार इन जमीनों का अवैध हस्तांतरण संभव नहीं है. बावजूद इसके कब्जा धारकों और भूमाफियाओं की मिलीभगत से स्थानीय राजस्व विभाग के अधिकारियों के सहयोग से देवस्थान की जमीनों के नाम सातबारा रिकॉर्ड से हटा दिए गए और उन्हें अवैध रूप से हडप लिया गया.
महाराष्ट्र में कुल कानून लागू होने के बाद देवस्थान की कई जमीनों पर कुलों या उनके वारिसों ने राजस्व विभाग के संबंधित अधिकारियों और तलाठियों के सहयोग से अवैध रूप से अपने नाम दर्ज कराए. इससे देवस्थान को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है और मंदिरों के दैनिक प्रबंधन पर नकारात्मक प्रभाव पडा है. इसलिए कुल कानून तहत देवस्थान की जमीनों के मामलों पर कार्रवाई के लिए राजस्व विभाग के लिए स्पष्ट नियमावली तैयार करना अत्यंत आवश्यक है. इससे राजस्व अधिकारियों द्वारा इन मामलों में की जा रही अनियमितताओं पर रोक लग सकेगी.
देवस्थान को दी गई जमीनें केवल पूजा-अर्चना, देव सेवा और अन्य धार्मिक कार्यों के लिए प्रदान की गई थी. इन जमीनों को पुजारी, सेवाधिकारी, न्यासी, या किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर नहीं किया जा सकता, इस पर उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के कई निर्णय मौजूद है. फिर भी महाराष्ट्र में राजस्व विभाग की मिलीभगत से इन जमीनों पर कब्जे के अनगिनत मामले सामने आए हैं.
इन मामलों को स्पष्ट रूप से लैंड ग्रैबिंग की श्रेणी में रखा जा सकता है. लेकिन महाराष्ट्र में भूमि कब्जा करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करने या देवस्थान की जमीन हडपने वालों को कानूनी सजा दिलाने के लिए कोई प्रभावी कानून नहीं है. इस वजह से मंदिरों की जमीनों का अवैध तरीके से निपटारा किया जा रहा है, जिसमें राजस्व अधिकारियों की भी सक्रिय भागीदारी है.
ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार को ‘एंटी लैंड ग्रैबिंग एक्ट’ लागू करना चाहिए. इसके साथ ही इस कानून के क्रियान्वयन के लिए विशेष दल नियुक्त किया जाना चाहिए. राजस्व विभाग में हो रही अनियमितताओं को रोकने के लिए स्पष्ट नियमावली बनाई जाए, ऐसा महासंघ ने अपने ज्ञापन में कहा है. ज्ञापन प्रस्तुत करते समय महासंघ के राज्य पदाधिकारी अनुप जयस्वाल, जिला हिंदू संघटक प्रदीप गर्गे, सोमेश्वर महादेव संस्थान के राजेश असोरीया, एड. अभिजीत बजाज, हिंदू जनजागृति समिति के संजय चौधरी, रोशन मुले, श्री दुर्गा देवी संस्थान (तलेगांव ठाकुर) के अध्यक्ष, विश्वेश्वर महादेव संस्थान (तलेगांव मोहाना) के अध्यक्ष सचिन वैद्य और अन्य मंदिर न्यासी उपस्थित थे.

Back to top button