अमरावतीमहाराष्ट्र

अनुश्री, स्वरा, यशस्वी, सोहम, अर्णवी रहे अग्रणी

समर्थ विद्यालय में दास नवमी उत्साह से

* शिक्षा संस्कारों पर मंगला बक्शी का बल
* दासबोध के विषयों पर लिखित परीक्षा
अमरावती/दि.25-समर्थ रामदास स्वामी के जीवन के कई प्रसंग है, जो हमें प्रेरणा देते हें. समर्थ रामदास स्वामी के एक स्कूल में मुझे काम करने का मौका मिला. शिक्षा दान करते हुए मैंने स्वामी समर्थ के कई विचारों की अनुभूति की. उनके स्कूल में शिक्षिका के रूप में काम करना मेरे लिए गौरवशाली पर्व रहा. समर्थ विद्यालय में शिक्षा के साथ संस्कार देने का कार्य किया जाता है. यह प्रभावशाली कार्य केवल समर्थ की लेखनी से ही हो सकता है. ऐसे गौरवोद्गगार शिक्षिका मंगला बख्शी ने व्यक्त किए.
स्थानीय बडनेरा मार्ग में स्थित समर्थ विद्यालय में समर्थ रामदास स्वामी पुण्यतिथि अर्थात दास नवमी का आयोजन किया गया. इस अवसर पर वे बोल रही थी. कार्यक्रम मं समर्थ शिक्षणस संस्था वरिष्ठ सदस्य प्रा. डॉ. वडोदकर, सचिव डॉ. देवदत्त बोधनकर, सदस्य श्रीरंग फाटक, मंजिरी पाठक, मुख्याध्यापक सचिन देवले, पर्यवेक्षकद्बय मधुसूदन वटक व प्रभावती परिहार आदि प्रमुखता से उपस्थित थे. शिक्षिका एवं प्रमुख वक्ता मंगला बख्शी ने कहा कि, समर्थ रामदास स्वामी की वैचारिक विरासत का जतन करने वाली संस्था के रूप में समर्थ विद्यालय व कनिष्ठ महाविद्यालय का नाम लिया जाता है. निरूपण के समर्थ रामदास स्वामी ने 12 साल ध्यान व देश भ्रमण कर भिक्षा मांगते हुए लोगों की परिस्थिति का अवलोकन किया. शिक्षा का अभाव व उसके माध्यम से निर्माण होने वाली अंधश्रध्दा दूर करने के लिए कीर्तन द्बारा उन्होंने लोगों को शिक्षित करने का प्रयास किया. सूर्य नमस्कार की सबसे पहली समर्थ रामदास ने शुरूआत की थी. दासबोध द्बारा मूर्ख लोगों के उदाहरण के साथ लक्षण प्रस्तुत किए. दासबोध यह ग्रंथ साधारण है. जो पढते ही समझा जा सकता है. पूरे संसार की जानकारी इस दासबोध में दी गई है. हर छात्र को दासबोध का पठन करना चाहिए. ऐसा आवाहन उन्होंने किया. कार्यक्रम में मान्यवरों के साथ पूर्व मुख्याध्याप, उपमुख्याध्यापक तथा शिक्षकों के हाथों समर्थ रामदास स्वामी की प्रतिमा व दासबोध ग्रंथ का पूजन व माल्यार्पण किया गया. इस अवसर पर पर्यवेक्षक मधुसूदन वटका, सुषमा गिरासे, शिल्पा शिरभाते, अथर्व कुलकर्णी, येशू जवलकर, प्रार्थना नवले, फाल्गुनी जवणे ने मनाचे श्लोक राम नाम अति मीठा है. सुरेशचंद्र शेखरू समेत भजन प्रस्तुत किए. मान्यवरों का संस्था सचिव डॉ. देवदत्त बोधनकर के हाथों शाल व पुष्पगुच्द देकर सत्कार किया गया. परिचय पर्यवेक्षक प्रभावती परिहार ने दिया.
दासनवमी निमित्त समर्थ विद्यालय के छात्रों की दासबोध के कुछ विषयों पर लिखित परीक्षा ली गई. जिसमें विजेता कक्षा 5 वीं से 7 वीं में अनुश्री ठाकरे, स्वरा माईंदे, पार्थ भगत, कक्षा 8 वीं से 10 वीं तक मेें यशस्वी भोयर, सोहम वानखडे, अर्णवी बारड को क्रमश: प्रथम, द्बितीय व तृतय पुरस्कार से सम्मानित किया गया.े नादातून या नाद निर्मितो इस श्रीराम नाम की सामूहिक जयघोषणा व कल्याणकारी रामराया प्रार्थना प्रस्तुत की गई. कार्यक्रम में पूर्व मुख्याध्यापक दिलीप फाले, पूर्व पर्यवेक्षक मानेकर, दिनेश देशमुख, पूर्व शिक्षिका डॉ. शोभा गायकवाड, अपर्णा आठवले, वैशाली मिटकरी, सीमा पैलागडे के साथ शालेय शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी व विद्यार्थी एवं अन्य उपस्थित थे. कार्यक्रम का समापन प्रसाद वितरण से किया गया. कार्यक्रम का संचालन सारिका जोशी, रोशनी खांडे ने किया.

 

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