अमरावती

अंजनगांव के ऐतिहासिक वट वृक्ष की मांगी माफी

महाकाय वृक्ष की छटाई किए जाने से व्यक्त किया दुख

* विद्यानिकेतन कॉलेज की ओर से आत्मचिंतन
अंजनगांव सुर्जी/दि.27- वृक्ष लगाये, वृक्षों का जतन करें, यह अभियान संपूर्ण देश में शुरु रहते समय एवं संरक्षित श्रेणी वाले वृक्ष को शासन द्वारा विशेष रुप से संरक्षण दिया जा रहा है. लेकिन अंजनगांव सुर्जी शहर के गोकुलढुसा परिसर में 200 से 300 वर्ष पुराना बड़ के महाकाय वृक्ष की कुछ दिनों पहले छटाई की गई. जिसके चलते 26 जून को विद्यानिकेतन कॉलेज के सभी शिक्षकों द्वारा अंजनगांव के ऐतिहासिक वट वृक्ष की माफी मांगी गई. एक बार यह गलती हुई लेकिन दोबारा नहीं होने देंगे, ऐसी चेतावनी भी इस समय संस्था के सचिव प्रशांत अभ्यंकर ने दी है.
वटवृक्ष बचाओ जनजागृति अध्यापकों द्वारा वट वृक्ष के पोस्टर तैयार कर वटवृक्ष बचाओ जनजागृति की गई. बड़ का वृक्ष 300 से 400 वर्ष जी सकता है.
विश्व में सबसे पहले बड़ का पेड़ भारत में पश्चिम बंगाल में पाया गया. इसलिए उसका नाम बंगाल शब्द पर से फायसर बेंगलेत्सिस है.
* प्रति घंटे 712 कि.मी. ऑक्सीजन
पूरी तरह से विकसित हुआ पेड़ यह प्रति घंटे में 712 किलोमीटर ऑक्सीजन देता है. बड़ का वृक्ष सदापर्णी है. भारत का राष्ट्रीय वृक्ष- ब्रिटीश काल में हजारों क्रांतिकारियों को स्वतंत्रता की लड़ाई में सहभागी होने निमित्त इस पेड़ पर फांसी देकर मारा गया था. इसलिए इस वृक्ष को राष्ट्रीय वृक्ष घोषित किया गया, यह जानकारी जनजागृति अभियान में सहभागी संस्था के सचिव प्रशांत अभ्यंकर ने इस समय दी. इस अवसर पर कॉलेज के सभी प्राध्यापक उपस्थित थे.

 

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