अमरावती/प्रतिनिधि दि.२६ – जिस तरह डॉक्टरों की प्रैक्टिस पर नियंत्रण रखने के लिए इंडियन मेडिकल प्रैक्टिशनर्स एक्ट लागू है, उसी तरह से फार्मासिस्ट की जवाबदेही तय करने हेतु तथा मरीजों को दवाईयों के संदर्भ में अच्छी व विश्वसनीय सेवा मिलने हेतु भारत में जल्द से जल्द फार्मसी एक्ट को लागू किया जाना चाहिए तथा इस कानून पर प्रभावी तरीके से अमल भी किया जाना चाहिए. इस आशय की मांग खुद फार्मासिस्टों की ओर से उठाई गई है.
द वॉईस ऑफ फार्मासिस्ट की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर फार्मासिस्टों के लिए एक ऑनलाईन चर्चा सत्र का आयोजन किया गया था. फार्मा एक्सपर्ट रोहित गुप्ता की संकल्पना से आयोजीत इस ऑनलाईन चर्चासत्र में अन्न व औषधी प्रशासन के सहायक आयुक्त पुष्पहास बल्लाल, सेंट्रल काउंसिल एन्ड एज्युकेशन रेग्युलेशन कमेटी के सहायक प्रोफेसर डॉ. अजय कुमार, डॉ. सुनील सिंह, रणरागिणी महिला फार्मासिस्ट फाउंडेशन महाराष्ट्र की संस्थापिका हर्ष यादव द्वारा हिस्सा लेते हुए अपने विचार व्यक्त किये गये. इस चर्चासत्र में चार प्रमुख बिंदुओं पर विचारमंथन किया गया. जिसमें कहा गया कि, फार्मारेन्टींग को तत्काल बंद किया जाना चाहिए. गलत दवाई देने की वजह से होनेवाले मरीज की मौत के लिए फार्मासिस्ट की भी जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए. फार्मासिस्टों ने डॉक्टर द्वारा लिखी गई पर्ची एवं डोज के हिसाब से ही मरीज के लिए दवाई देनी चाहिए. साथ ही दवाई देने से पहले उसकी एक्सपायरी डेट को ध्यान से जांचना चाहिए. खुद अपनी जिम्मेदारी को तय करने हेतु अपने लिए कानून बनाने की मांग करनेवाले फार्मासिस्टों का कहना रहा कि, कुछ फार्मासिस्टों की गलती की वजह से पूरा फार्मसी क्षेत्र बदनाम होता है. ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि, अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर या लालच में फंसकर कोई गलती करता है, तो उसे उसकी सजा जरूर मिले.