प्रतिनिधि/दि.२४
अमरावती/नागपुर – राज्य सरकार ने अवधि समाप्त हो चुकी ग्रामपंचायतों पर पालकमंत्री की सलाह पर प्रशासक की नियुक्ति करने का निर्णय राजनीतिक रोटियां सेकने के उद्देश्य से लिया गया है. इस निर्णय के विरोध में भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अनिल बोंडे ने नागपुर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की थीं. जिस पर गुरुवार को सुनवायी लेने के बाद सरकार व राज्य के महाअधिवक्ता को नोटिस भेजा गया है. यहां बता दें कि राज्य सरकार ने बरखास्त ग्रामपंचायतों पर राजनीतिक दृष्टिकोन से प्रेरित होकर राजनीतिक कार्यकर्ताओं के प्रशासन की नियुक्तियां करने का षडयंत्र रचा था. राजनीतिक हेतू से होनेवाली नियुक्तियों का विरोधी पार्टी नेता व पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर विरोध जताया था. वहीं भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष डॉ. अनिल बोंडे ने राजनीतिक नियुक्तियां प्रशासक के रूप में केवल राजनीतिक अधिकारी, शिक्षक, आंगणवाडी सेविकाओं की करने के संबंध में ग्रामविकास मंत्री को पत्र लिखकर सूचित किया था. लेकिन राज्य सरकार ने इसकी दखल नहीं ली. जिसके चलते विविध उच्च न्यायालयों में जनहित याचिकाएं दाखिल की गई. डॉ. अनिल बोंडे द्वारा दाखिल की गई जनहित याचिका पर गुरुवार को नागपुर खंडपीठ में सुनवायी ली गयी. इस मामले में न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे व न्यायमूर्ति एन.बी. सूर्यवंशी ने राज्य सरकार व राज्य के महाअधिवक्ता को नोटिस भेजा. इस मामले में डॉ. अनिल बोंडे की ओर से एड. मिलिंद वैद्य व एड. श्रेयस वैष्णव ने पक्ष रखा. इसी दरम्यिान गुरुवार को मुंबई उच्च न्यायालय ने ग्रामपंचायत प्रशासक के रूप में स्थानिय प्राधिकरण के अधिकारी व कर्मचारियों का अंतरिम आदेश दिया है. सहकारी कर्मचारी अथवा अधिक जरूरत होने पर निजी व्यक्ति की नियुक्ति का विचार किया जाए. इसके लिए सहकारी कर्मचारी व अधिकारी नहीं रहने का कारण बतलाना अनिवार्य किया गया है. जिससे राजनीति क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति को प्रशासक के रूप में चुने जाने के सरकार के मनसूबों को न्यायालय के निर्णय से पानी फिर गया है. नागपुर उच्च न्यायालय में यह लढ़ाई निरंतर शुरू रहने की बात डॉ. अनिल बोंडे ने कही है.