अमरावती

भाव से की गई संयम की अनुमोदना आराधना का बीज बन जाती है

नम्रमुनि महाराज का प्रतिपादन

  • परमधाम साधना संकुल में दीक्षा महोत्सव

अमरावती/दि.16 – अहो दीक्षार्थी! धन्य है आपकी प्रभु के पंथ पे प्रयाण करने की भावना! इस मंत्र को बारंबार बोलकर उनके त्याग भावना की इस भव में अनुमोदना कर स्वयं के त्याग के, संयम के बीज बो लेने का परम हितकारी बोध देकर राष्ट्रसंत परम गुरुदेव श्री नम्रमुनि महाराज साहेब के सानिध्य में 9 मुमुक्षुओं के दीक्षा महोत्सव अंतर्गत मनाया गया ‘संयम वंदनम उत्सव’ हजारों भाविकों के हृदय में त्याग भावना का रंगोत्सव करा गया.
अनंत संसार को अलविदा करने को आतुर 9-9 पुण्यात्माओं के ंसंयम भाव की अनुमोदना करने समग्र भारत के 108 से अधिक श्री संघों, अनेक महिला मंडल, अमेरिका की शीर्षस्थ संस्था ‘जैना’ से जुडे नार्थ अमेरिका के 70 से अधिक सेंटर्स के भाविकों, विदेश के अनेक क्षेत्रों को मिलाकर हजारों भाविकों के हृदय भक्तिभाव से जुडे गए थे. इस अवसर पर संसार को आखिरी सलाम देने पधारे हुए मुमुक्षु श्री प्रियंका दीदी का स्वागत पद्मकमल पर चरण स्पर्शना कराते हुए अत्यंत अहोभाव से किया गया. उसी तरह संसार बंधनों से मुक्त होकर, स्वतंत्र होने पधारे मुमुक्षु श्री पायल दीदी का स्वागत भारत के वीर स्वतंत्रता सेनानियों के पोस्टर्स एवं जैन दर्शन के ऐतिहासिक अमर पात्रों के रुपक के साथ अहोभाव से किया गया. इस अवसर पर परम गुरुदेव ने बोधवचन फरमाते हुए कहा कि, पल-पल अनंत जीव जब संसार की अनुमोदना कर रहे हैं, तब संयम की अमूल्य अनुमोदना करने का अवसर किसी सदभागी आत्मा को ही प्राप्त होता है.
इस अवसर पर संयम की ऐसी अनुमोदना कर लें. इन त्यागी आत्माओं के प्रति धन्य-धन्यभाव को ऐसा रटण कर लें कि, भविष्य में स्वयं की संयम आराधना के लिए सहज अनुकूलता का सर्जन हो जाएं. क्योंकि आज जो अहोभाव से संयम की अनुमोदना करते हैं वे कल स्वयं के संयम की संभावना का सर्जन कर देते हैं. संयम के रंग में रंग देने वाली परम गुरुदेव श्री की यह वाणी के साथ ही जैन-अजैन हजारों-लाखों आत्माओं को वीतराग धर्म के प्रति वंदित कर देती. विमलभाई उपाध्याय आदि द्बारा प्रस्तुत अद्भुत प्रेरणात्मक नाटिका ‘व्हाय संयम’ संयम ही क्यों? का जवाब देने वाली श्रेष्ठ प्रस्तुति इस उत्सव में अत्यंत प्रशंसनीय बन गई थी. इस अवसर पर मुमुश्रु श्री पायल दीदी पनपारिया एवं मुुुमुक्षु श्री प्रियंका दीदी पारेख ने भावभीनी अभिव्यक्ति करते हुए संसार को बिदाई दी. जैसे वीर शूरवीर दीक्षार्थी वैसे ही उनकी माताएं… जिन्होंने स्वयं की संतान को संयम पंथ पर अर्पण करके रत्नकुक्षिणी माता बनने का गौरव प्राप्त किया, ऐसी अनेक माताओं का इस अवसर पर प्रभु पछेडी अर्पण कर भावभीना सम्मान किया गया. स्वयं के संतान को दीक्षा का दान देने वाले ऐसे परम उपकारी गुरुदेव के प्रति इन माताओं द्बारा की गई उपकार अभिव्यक्ति का दृश्य एक अनोखी संवेदना प्रसारित कर गया.
विशेष में कच्छी परिवार की बेटी मुमुक्षु श्री पायल दीदी पनपारिया के संयम भाव का भावभीना सम्मान श्री कच्छी दशा ओसवाल जैन ज्ञाति महाजन, श्री अनंतनाथ ट्रस्ट की ओर से बाबूभाई दंड और सेक्रेटरी चेतनभाई मोता द्बारा किया गया, तब सर्वत्र हर्ष छा गया. उसी के साथ ‘वीर आवो अमारी साथे’-सायन महिला मंडल के भाविकों ने दीक्षार्थियों का सम्मान कर जय जयकार गुंजायमान किया.
तत्पश्चात मुमुक्षु श्री पायल दीदी और मुमुक्षु श्री प्रियंका दीदी के बिदाई समारोह के अनन्य क्षण, दोनों मुमुक्षुओं द्बारा अंतिम बार संसारी स्वजनों को किए गए रक्षा बंधन के भावभीने-दृश्यों के साथ यह अवसर अनेक आत्माओं के लिए कल्याण का अवसर बन गया. 9-9 आत्माओं के त्याग भावना की अनुमोदना से अर्हम युवा सेवा ग्रुप के समस्त सेवक गण समग्र भारत के अनेक क्षेत्रों में मानवता और जीवदया के सत्कार्य संपन्न कर हजारों आत्माओं को शाता-समाधि की प्राप्ति करा रहे है. आज 16 फरवरी, बुधवार सुबह 8:30 बजे आयोजित ‘संयम कीर्तनम’ कार्यक्रम में संयम की अनुमोदना करके धन्यता का स्पर्श अनुभव करने के लिए प्रत्येक धर्मप्रेमी भाविकों को जुडने का भावभीना आमंत्रण परमधाम संघ समिति की ओर से दिया गया है.

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