क्या कोरोना से निपटने के लिए सरकार व प्रशासन के प्रयास काफी हैं?
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विधायक सुलभा खोडके व पूर्व विधायक सुनील देशमुख की ‘आमने-सामने’ रायशुमारी
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शहर में लगातार विकराल होती जा रही संक्रमण की स्थिति
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स्वास्थ्य सेवाएं व सुविधाएं सतत बढते बोझ से चरमराने की कगार पर
अमरावती/प्रतिनिधि दि.15 – इस समय कोरोना के संक्रमण की स्थिति विकराल हो चली है और दिनोंदिन कोरोना संक्रमितों की संख्या बढती जा रही है. देखते ही देखते कोरोना के कुल संक्रमितों का आंकडा 9 हजार के स्तर को पार कर गया है. साथ ही अब तक 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें से यद्यपि 7 हजार 91 लोग अब तक कोरोना मुक्त हो चुके है. लेकिन करीब डेढ हजार लोग अब भी एक्टिव पॉजीटिव है. साथ ही आये दिन 300 से अधिक कोरोना संक्रमित मरीज मिलना अब आम बात हो चली है. ऐसे में एक्टिव पॉजीटिव मरीजोें की संख्या लगातार बढती जा रही है. यह अपने आप में सबसे बडी चिंता का विषय है, क्योंकि एक्टिव पॉजीटिव मरीजों की लगातार बढती संख्या की वजह से स्वास्थ्य सेवाओं पर लगातार बोझ बढ रहा है और अब स्वास्थ्य सेवाएं चरमराने लगी है.
ज्ञात रहे कि, इस समय सरकारी कोविड अस्पताल सहित लगभग सभी निजी कोविड अस्पतालों में हाउसफुल्लवाली स्थिति है और कई मरीजों की हालत गंभीर रहने की वजह से उन्हें बडे पैमाने पर कृत्रिम ऑक्सिजन की जरूरत पड रही है, लेकिन लगातार बढती मांग और जरूरत की वजह से अब ऑक्सिजन की आपूर्ति का समीकरण भी गडबडाने लगा है. ऐसे में ऑक्सिजन का अभाव रहने के चलते मरीजों की मौत होने का खतरा भी बढ गया है. हालांकि प्रशासन द्वारा ऑक्सिजन की आपूर्ति सुचारू एवं सुनिश्चित रखने हेतु तमाम प्रयास किये जा रहे है. और शहर में तीन नये कोविड सेंटर खोलने की तैयारियां भी मुकम्मल तौर पर पूरी कर ली गयी है. लेकिन जिस रफ्तार से कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ रही है, उसे देखते हुए यह तमाम प्रयास कुछ हद तक नाकाफी तो कहे जा सकते है. दैनिक अमरावती मंडल ने इस विषय को लेकर जिले के पूर्व पालकमंत्री रह चुके पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख एवं फिलहाल अमरावती शहर का विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर रही मौजूदा विधायक सुलभा संजय खोडके से चर्चा की. इस चर्चा के दौरान जहां मौजूदा विधायक सुलभा खोडके ने सरकार एवं प्रशासन द्वारा किये जा रहे प्रयासों पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि, अब सभी नागरिकों को अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए कोरोना के खिलाफ जागरूक व सचेत होना होगा. वहीं दूसरी ओर पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख ने कोरोना से निपटने हेतु सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदमोें को काफी हद तक नाकाफी बताते हुए कहा कि, सरकार एवं प्रशासन को अपने स्तर पर अब भी काफी अधिक कदम उठाने जरूरी है.
प्रशासन को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करना होगा
उपरोक्त विषय के संदर्भ में चर्चा करने पर पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, इस समय शहर में आपात एवं गंभीर स्थिति में रहनेवाले मरीजों को भरती करने के लिए बेड उपलब्ध नहीं है. साथ ही अब ऑक्सिजन की कमी की समस्या भी सामने आ रही है. इसका सीधा मतलब है कि, स्थानीय जनप्रतिनिधि, प्रशासन और सरकार सटिक नियोजन करने हेतु चूक गये. उन्होंने एक डॉक्टर होने के नाते आयसीएमआर की ओर से जारी की गई संभावना के चलते तीन माह पहले ही स्थानीय प्रशासन को भविष्य से संबंधित जरूरतों एवं हालात को लेकर अंदेशा जता दिया था, लेकिन उनकी बातों को अनदेखा किया गया. यदि उस वक्त उनकी बातों को गंभीरता से लिया गया होता, तो आज हालात गंभीर नहीं रहे होते. पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख के मुताबिक अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही आम नागरिको के साथ-साथ खुद प्रशासन भी काफी हद तक बेफिक्र हो गया है. और अब कही किसी तरह की कोई सख्ती दिखाई नहीं देती. जिसका खामियाजा अब सभी लोग भूगत रहे है. प्रशासन को चाहिए कि, हालात को संभालने के लिए अब एक बार फिर उस बेहद सख्त व कडे फैसले लिये जाये, क्योंकि अभी लॉकडाउन व संचारबंदी के आदेश खत्म नहीं हुए है. बल्कि उनमें थोडी छूट दी गई है. यदि समय रहते हालात नहीं संभाले गये, तो वह दिन दूर नहीं, जब लोगबाग अमरावती शहर की सडकों पर और अस्पताल ले जाते समय एम्बुलन्स वाहनों में दम तोडना शुरू कर देंगे.
इन दिनों स्थानीय प्रशासन द्वारा एक के बाद एक निजी कोविड अस्पताल खोले जा रहे है, ताकि अधिक से अधिक मरीजों को इलाज की सुविधा उपलब्ध करायी जा सके. इस ओर ध्यान दिलाये जाने पर पूर्व विधायक डॉ. देशमुख ने कहा कि, अमरावती में सरकारी कोविड सेंटर का विस्तार करने की बजाय एक के बाद एक निजी कोविड हॉस्पिटल क्यों खोले जा रहे है, यहिं तो अपने आप में एक बडा सवाल है. सरकार मुंबई व पुणे जैसे बडे शहरों में जिस तरह से सरकारी स्तर पर 200-300 बेडवाले जम्बो कोविड सेंटर खोल रही है, उसी तरह का कदम अमरावती में क्यों नहीं उठाया जा रहा. यहां पर सरकारी कोविड अस्पताल की क्षमता को केवल एक बार बढाया गया और इसके बाद आये दिन कही न कहीं निजी कोविड हॉस्पिटल खोले जा रहे है. जिन्हें लेकर बडे पैमाने पर शिकायतें भी मिल रही है. डॉ. देशमुख ने यह सवाल भी उपस्थित किया कि, जब सरकारी कोविड अस्पताल में महात्मा फुले जीवनदायी योजना के अंतर्गत मरीजों का इलाज नि:शुल्क हो रहा है, तो सरकार द्वारा निजी कोविड अस्पतालों को भी इस योजना के अंतर्गत लाकर मरीजों को राहत देने का प्रयास क्यों नहीं किया जा रहा. इस समय जब भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. सुनील देशमूख से पूछा गया कि, राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी होने के नाते भाजपा इस विषय पर मुखर क्यों नहीं है, तो उनका कहना रहा कि, भाजपा पूरी तरह से इस विषय को लेकर मुखर है. किंतु राज्य का मौजूदा सत्ता पक्ष विपक्षी दलों की कोई बात सुन ही नहीं रहा. साथ ही सत्ता पक्ष द्वारा विदर्भ क्षेत्र की हर मामले में अनदेखी की जा रही है. जिसके लिए पूरी तरह से विदर्भ क्षेत्र के जनप्रतिनिधि जिम्मेदार है.
हालात हर ओर गंभीर, काबू पाने के पूरे प्रयास किये जा रहे
इस संदर्भ में अमरावती की राकांपा प्रदेश उपाध्यक्ष संजय खोडके से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि, इस समय केवल अमरावती में ही नहीं, बल्कि समूचे राज्य में कोरोना संक्रमण को लेकर हालात बदल रहे है और इस संक्रमण का गुणात्मक अनुपात बढना पहले से तय ही था. यहीं वजह रही कि, शुरूआती दौर से लोगों काो मास्क व सैनिटाईजर के प्रयोग तथा सोशल डिस्टंसिंग के पालन को लेकर जागरूक किया जा रहा था. इसके साथ ही सरकार एवं प्रशासन लगातार कोरोना प्रतिबंधात्मक उपायों को लेकर काम कर रहे है. जिसमें कही कोई कमी नहीं रखी गयी है. इस समय प्रशासन अपना काम बेहतरीन ढंग से कर रहा है और लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी. हमारी लगातार जिलाधीश व जिला शल्य चिकित्सक सहित राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीतदादा पवार के साथ अमरावती शहर व जिले के हालात को लेकर चर्चा चल रही है. संक्रमितों की लगातार बढती संख्या को देखते हुए नये कोविड सेंटर खोले जा रहे है और सभी कोविड अस्पतालों में दिन-रात काम चल रहा है. ऑक्सिजन की कमी को लेकर पूछे गये सवाल पर संजय खोडके ने कहा कि, ऑक्सिजन की मांग में अचानक ही वृध्दि हो गयी और यह मांग राज्य के सभी जिलों में बढी हुई है. जिसकी वजह से आपूर्ति का समीकरण गडबडा गया है. नागपुर की कंपनी द्वारा रोजाना 90 से 95 मेट्रिक टन लिक्वीड ऑक्सिजन का उत्पादन किया जाता है. जिसमें से रोजाना 10 मेट्रिक टन ऑक्सिजन अमरावती को मिल रहा है, वहीं नागपुर में भी बडे पैमाने पर ऑक्सिजन की जरूरत पड रही है. अत: वहां से अतिरिक्त ऑक्सिजन मिलना लगभग नामुमकीन है. ऐसे में अन्य स्थानों से ऑक्सिजन प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है. किंतु इसमें भी इस समय ढुलाई हेतु टैंकरों की समस्या सामने आ रही है. ऐसे में नाईट्रोजन गैस हेतु तैयार किये गये टैंकरों में कुछ आवश्यक बदलाव करते हुए उन्हें ऑक्सिजन की ढुलाई के काम में लगाये जाने पर विचार किया जा रहा है.
शहर में इन दिनों निजी कोविड अस्पतालों द्वारा मरीजों से अतिरिक्त शुल्क लिये जाने के संदर्भ में मिल रही शिकायतों को लेकर पूछे गये सवाल पर संजय खोडके का कहना रहा कि, इस तरह की शिकायतों में कोई तथ्य नहीं है, क्योंकि सभी अस्पतालों द्वारा दिये जानेवाले बिलों का प्रशासन द्वारा ऑडिट करवाया जा रहा है. साथ ही इसी से जूडे एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा कि, सरकारी कोविड अस्पताल में भी मरीजों का बेहतरीन और समूचित इलाज हो रहा है. लेकिन सरकारी कोविड अस्पताल के विस्तार करने की भी अपनी एक सीमा है. क्योंकि स्वास्थ्य महकमे के पास भी सीमित मनुष्यबल है. इसी वजह के चलते सरकार ने निजी कोविड अस्पताल शुरू करने को लेकर अनुमति प्रदान की. जिनकी दरों पर पूरी तरह से सरकार का नियंत्रण है. साथ ही सरकारी व निजी कोविड अस्पताल उपलब्ध रहने के चलते लोगो के पास अब पर्याय उपलब्ध हो गये है कि, वे कहा भरती होकर अपना इलाज करवाना चाहते है और लोगबाग कोरोना संक्रमित होने के बाद अपनी पसंद के अनुरूप अपनी मर्जी से निजी कोविड अस्पतालों में भरती हो रहे है. इससे सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर पडनेवाला अतिरिक्त बोझ कम होने में सहायता मिली है.
संजय खोडके के मुताबिक सरकार एवं प्रशासन में रहते समय एकतरफा सोच रखकर काम नहीं किया जा सकता, बल्कि सर्वसमावेशक तरीके से सभी के बारे में सोचना पडता है. अत: इस समय कोरोना संक्रमितों का इलाज कर रहे सभी डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के लोगों के बारे में भी सोच विचार करना बेहद जरूरी है. साथ ही निजी कोविड अस्पतालों को महात्मा फुले जीवनदायी योजना के दायरे में लाये जाने को लेकर पूछे गये सवाल पर संजय खोडके का कहना रहा कि, सरकार द्वारा कोरोना प्रतिबंधात्मक उपायो के लिए पहले ही काफी बडे पैमाने पर खर्च किया जा रहा है. जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर है, वे अब भी सरकारी कोविड अस्पताल में भरती होकर अपना इलाज नि:शुल्क तौर पर करवा सकते है, लेकिन जो लोग इलाज का खर्च उठाने में सक्षम है, यदि वे निजी कोविड अस्पतालों में भरती होकर अपने इलाज का खर्च स्वयं वहन करते है, तो इससे सरकारी तिजोरी पर पडनेवाले बोझ को कुछ हद तक कम किया जा सकता है. इस चर्चा के अंत में संजय खोडके ने कहा कि, सरकार और प्रशासन अपना काम पूरी मुस्तैदी के साथ कर रहे है. इस बात को लेकर सभी लोग आश्वस्त रहे. साथ ही हर कोई अपनी-अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए कोरोना प्रतिबंधात्मक उपायों व दिशानिर्देशों का पालन करे..