अमरावती

मोबाइल से दूर जाने का तुम्हे डर लगता क्या?

नोमोफोबिया से सावधान रहने की तज्ञों ने दी सलाह

नागपुर/ दि. 31– मोबाइल फोन कुछ सेंकड के लिए नहीं दिखाई दिया, तो घबराहट जैसी होने, चार्जिंग कम होने या नेटवर्क न मिलने के कारण धडकने तेज होने यह कुछ लक्षण है नोमोफोबिया के नोमोफोबिया याने मोबाइल नहीं होने का डर फिलहाल हर आयु के लोगों में नोमोफोबिया तेजी से फैल रहा है, ऐसा मानस शास्त्रज्ञ का कहना है.
सामान्य व्यक्तियों को मोबाइल फोन आने को करीब दो दशक हो चुके है. इतने कम समय में मोबाइल फोन यह अनाज, वस्त्र और निवास की तरह महसूस होकर मानव की मूलभूत जरुरत बन गया है. मगर अब इसके मारे नोमोफोबिया जैसी मानसिक बीमारी भी तेजी से सामने आ रही है. मानसोपचार तज्ञ डॉ. नीतिन विघ्ने ने बताया कि, मोबाइल के अति व्यसन के कारण नोमोफोबिया निर्माण होती है. इसके कारण मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर विपरित परिणाम होता है. सिने में धडकन, सांस की गति बढती है, मस्तिष्क अति उत्तेजित होने के कारण सहज नींद नहीं होती नोमोफोबिया के लक्षण दिखाई देने पर तत्काल मानसोपचार तज्ञों की सहायता ले. परेशानी ज्यादा बढ जाने पर मस्तिष्क विकार तज्ञों की सहायता भी लेना पड सकता हेै.
डॉ. सुधीर भावे के अनुसार ड्रग्ज के व्यसन की तरह कई लोगों को मोबाइल का व्यसन जकड रहा है. ड्रग्ज न मिलने पर मन और शरीर अपनी प्रतिक्रिया देता है. ऐसी ही कुछ स्थिति नोमोफोबिया में देखने को मिलती है. समुपदेशन की सहायता से नोमोफोबिया पर इलाज किया जा सकता है. डॉ. आकांक्षा श्रीपतवार ने दी जानकारी के अनुसार मोबाइल रोजाना की जरुरत बन गया है. उसके कारण कुछ देर के लिए मोबाइल से दूर रहना हर किसी के लिए कुछ पैमाने पर कष्टदायक साबित होता है, मगर इसका प्रमाण बढने पर नोमोफोबिया जैसी मानसिक बीमारी होती है. युवाओं में नोमोफोबिया बडे पैमाने में देखने को मिलती है. मोबाइल के अति उपयोग को टालकर उस वक्त को अन्य पसंदीदा बातों की ओर ध्यान केंद्रीत करने पर नोमोफोबिया से बचा जा सकता है.

हकीकत में संकल्पना क्या?
‘नो मोबाइल फोन फोबिया’ इस अंग्रेजी वाक्य के आध्य अक्षर से नोमोफोबिया शब्द का निर्माण हुआ है. मोबाइल फोन की अनुपस्थिति में सांस लेने में परेशानी होना, हाथ-पैर कपने, पसीना आने, चीडचिडा स्वभाव होने, पैनिक अटैक आदि लक्षण नोमोफोबिया में दिखते है. नोमोफोबिया की समस्या बडे पैमाने पर बढती है, तो गायगोनॉस्टीक एण्ड स्टॅटीस्टिकल मॅन्युअल ऑफ मेंटल डिसआर्डर इस ओर इसे मान्यता मिली नहीं. मगर आधुनिक जीवन शैली की इस नई बीमारी को आगामी कुछ वर्ष में स्वास्थ्य मान्यता मिलेगी, ऐसा तज्ञों ने व्यक्त किया है.

 

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