अमरावती

कही आप भी स्मृतिभ्रंश का शिकार तो नहीं?

छोटी-छोटी बातों को भूल जाने से होती है बीमारी की शुरुआत

अमरावती/दि.17– वरिष्ठ नागरिकों में होने वाली बीमारियों में से स्मृतिभ्रंश सबसे गंभीर बीमारी है. इस बीमारी की वजह से मरीजों को अपने दैनंदित व्यवहार करने में काफी तकलीफें आती है. क्योंकि वे अपने दैनिक जीवन से संबंधित छोटे मोटे काम भी भूल जाते है. जैसे-जैसे उम्र बढने लगती है वैसे-वैसे मस्तिष्क में होने वाले बदलाव की वजह से भूलने का प्रमाण भी बढने लगता है. कोई वस्तु कहा रखी है अथवा किस व्यक्ति का क्या नाम है, यह भूलने की बीमारी के लक्षण है. ऐसे में इस तरह के लक्षण दिखाई देते ही तुरंत किसी योग्य मानसोपचार विशेषज्ञ से इलाज करवाना बेहद जरुरी है.

* स्मृतिभ्रंश यानि क्या?
जब आपकी स्मरणशक्ति आपके निर्णय, भाषा व अन्य कौशल्य में बाधा उत्पन्न करती है, तो उसे स्मृतिभ्रंश कहा जाता है.
स्मृतिभ्रंश नामक बीमारी में मस्तिष्क की क्षमता धीरे-धीरे घटने लगती है. जिसकी वजह से स्मरणशक्ति व विचारशक्ति कमजोर पडने लगते है.

* क्या है लक्षण?
एकाग्रता व याददाश्त का धीरे-धीरे कम होना व इसका प्रमाण लगातार बढते जाना, किसी भी बात पर ध्यान केंद्रीत नहीं होना. बात-बात पर गुस्सा आना और चिढचिढपन करना, मूड लगातार बदलना, एक ही बात को बार-बार कहना, पडने में दिक्कत होना, किसी बात वस्तु या व्यक्ति का आभास होना, भूख नहीं लगना.

* क्या सावधानी लेना जरुरी
वरिष्ठ नागरिकों ने साल में एक बार अपनी मेमरी चिकित्सा जरुर करवानी चाहिए, ढलती आयू में मस्तिष्क को सक्रिय रखने वाले क्रियाकलापो को समय देना चाहिए. रक्तदाब को नियंत्रित रखना बेहद जरुरी है. बुद्धि को गतिमानता देने वाले काम करने चाहिए. ठीक से सुनाई नहीं आने पर त्वरित उपचार करना चाहिए. क्योंकि बहरेपन की वजह से भी स्मृतिभ्रंश की बीमारी हो सकती है.

* यूं तो स्मृतिभ्रंश की बीमारी 65 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों में ज्यादा दिखाई देती है. साधारण तौर पर इसका प्रमाण 7 फीसद के आसपास है. वहीं इन दिनों काम के दबाव और तनावभरे जीवन की वजह से युवाओं में भी स्मृतिभ्रंश की बीमारी का प्रमाण दिखाई देता है. यदि समय पर इस बीमारी का इलाज शुरु किया जाता है, तो संबंधित मरीज को कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है. अत: यदि अपने घर में किसी भी व्यक्ति या बुजुर्ग में इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते है, तो उन्हें तुरंत किसी विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
– डॉ. अमोल गुल्हाणे,
मानसोपचार विशेषज्ञ,
जिला सामान्य अस्पताल,
अमरावती.

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