कहीं आप भी अपने बच्चे को आत्महत्या के लिए प्रेरित तो नहीं कर रहे?
कम उम्र में मोबाइल देने से बच्चे फंसते हैं मानसिक समस्याओं की गर्त में
अमरावती/दि.23 – इन दिनों लगभग हर घर में घर के प्रत्येक व्यक्ति के पास स्मार्ट फोन होता है और छोटे-छोटे बच्चे भी कई-कई घंटों तक मोबाइल फोन हाथ में पकडे बैठे रहते है. साथ ही उनकी नजर मोबाइल फोन की स्क्रीन पर गडी रहती है. ऐसे में यदि अभिभावकों को यह लगता है कि, स्मार्ट फोन की वजह से उनके बच्चे व्यस्त रहते है, तो यह गलत अवधारणा है. क्योंकि हाल ही में सामने आयी एक रिपोर्ट के मुताबिक यह तथ्य उजागर हुआ है कि, कम उम्र वाले छोटे बच्चों के हाथ में मोबाइल फोन दिए जाने पर उन्हें विभिन्न तरह की मानसिक समस्याओं का सामना करना पडता है. जिन बच्चों ने छोटी उम्र से ही स्मार्ट फोन का उपयोग करना शुुर किया है. उन सभी को आगे चलकर किशोरावस्था व युवावस्था में आत्महत्या वाले विचार, औरों को लेकर तीव्र गुस्सा व मन में संभ्रम जैसी विभिन्न मानसिक समस्याओं का सामना करना पडा है और ऐसे अधिकांश बच्चे आगे चलकर मानसिक विकारों का शिकार पाए गए है. इस बात के मद्देनजर छोटे बच्चे के हाथ में मोबाइल देते समय अभिभावकों द्बारा दस बार विचार किया जाना जरुरी हो गया है. क्योंकि यदि बिना विचार किए कोई अभिभावक अपने छोटे बच्चे के हाथ में उसे व्यस्त रखने के हिसाब से मोबाइल फोन पकडा रहा है, तो शायद वह जाने अंजाने अपने बच्चे को आत्महत्या अथवा मानसिक विकारों की राह पर आगे बढा रहा है.
* क्या कहा गया है रिपोर्ट में इस सर्वेक्षण में करीब 74 फीसद महिलाएं ऐसी थी जिन्होंने अपनी 6 वर्ष की उम्र से ही स्मार्ट फोन का प्रयोग करना शुरु कर दिया था. इन महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कई समस्याएं पायी गई. वहीं 10 वर्ष की आयु रहते समय पहली बार मोबाइल का प्रयोग करने वाली महिलाओं मेें मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं 61 फीसद तक कम पायी गई. इसके साथ ही 15 व 18 वर्ष की आयु में स्मार्ट फोन का प्रयोग करने वाली महिलाओं में यह प्रमाण क्रमश: 52 एवं 46 फीसद था. पुरुषों पर किए गए अध्ययन में भी सामने आए आंकडे लगभग इसी तरह रहे. हालांकि उनमें यह समस्या थोडी कम थी.
* संवाद के लिए बना मोबाइल फोन पैदा कर रहा समस्या
ज्ञात रहे कि, पूरा समय स्मार्ट फोन से चिपके रहने वाले बच्चे घर में एक-दूसरे से संवाद नहीं साधते. साथ ही उनमें त्वरित निर्णय लेने की क्षमता और सामाजिक एहसासों की भावना भी काफी हद तक कम रहती है. जिसके चलते वे धीरे-धीरे सबसे कटते हुए एकांतप्रिय होने लगते है और उनके एकांत में खलल पडते ही वे मानसिक तौर पर बुरी तरह से अस्वस्थ व विचलित हो जाते है. साथ ही उनकी मानसिकता में किसी भी तरह की अस्थिरता पैदा होने पर वे किसी भी तरह का अनपेक्षित या विपरित कदम उठा सकते है.
* किसने तैयार की रिपोर्ट?
सैपियन लैब्स ने 40 से अधिक देशों में करीब 4 हजार युवाओं तथा 27,969 प्रौढ लोगों को अपने सर्वेक्षण में शामिल करते हुए ‘ऐज ऑफ फर्स्ट स्मार्ट फोन/टेबलेट एण्ड मेंटल वेलबिंग आउटकम’ नामक रिपोर्ट तैयार की है. विशेष उल्लेखनीय यह है कि, इस सर्वेक्षण में बडे पैमाने पर भारतीय युवा को भी शामिल किया गया है.
* मोबाइल पर बच्चे क्या देखते है, इस पर ध्यान देना जरुरी
छोटे बच्चे अपने स्मार्ट फोन या टेबलेट पर क्या देखते है, इसकी ओर सतत ध्यान देना बेहद जरुरी है. इसके लिए ब्राउझिंग हिस्ट्री को हमेशा देखा जाना चाहिए और यदि कहीं कुछ गलत पाया जा रहा है, तो इसके लिए बच्चों को समय रहते समझाने के साथ-साथ ऐसी वेबसाइट पर पैरेंटल लॉक लगाना चाहिए. इसके साथ ही इंटरनेट का सकारात्मक रुप से अच्छा उपयोग किस तरह से हो सकता है, यह छोटे बच्चों को सिखाया जाना चाहिए.
* अभिभावकों के लिए विशेष निर्देश
– फोन कब दें – अभिभावकों ने अपने बच्चों के 18 वर्ष के होने तक उन्हें स्मार्ट फोन देने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. ऐसे में बच्चों पर मानसिक परिणाम कम होंगे और वे स्मार्ट फोन के प्रयोग से संबंधित जिम्मेदारियों को ज्यादा बेहतर तरीके से समझ पाएंगे.
– बच्चों से बातचीत करें – कम उम्र वाले बच्चों के साथ बातचीत करते हुए उन्हें अन्यों से सुसंवाद स्थापित करने हेतु प्रोत्साहित करें और रिश्तें नातों का महत्व बताने के साथ ही स्मार्ट फोन के जरिए बनने वाले आभासी यानि वर्च्यूअल दोस्तों की बजाय अपने आसपास रहने वाले परिजनों व दोस्तों के साथ समय बिताने हेतु प्रेरित करें. साथ ही खुद भी उनके साथ समय बिताए.
– अगर पहले ही फोन देने की छूट हो गई है, तो … – यदि 18 वर्ष से कम आयु वाले अपने बच्चे को स्मार्ट फोन देने की गलती किसी अभिभावक से पहले ही हो गई है, तो ऐसे अभिभावकों को चाहिए कि, वे कितनी देर तक फोन का प्रयोग करना है, इसकी मर्यादा अपने बच्चे के लिए तय कर दे. साथ ही बच्चे को वाचन व मैदानी खेल सहित किसी छंद यानि हॉबी से जुडने के लिए प्रेरित करें.
* स्मार्ट फोन नहीं देने पर क्या होगा
परिणाम
– अपराध व दोष की भावना
– हकीकत से अलिप्त रहने की भावना
– एक ही बात को बार-बार करना
– दूसरों को लेकर गुस्से की भावना
– आत्महत्या का विचार या प्रयास