अमरावतीमहाराष्ट्र

अरिहा शाह को पहली बार पर्युषण मनाने की अनुमति

जर्मनी के फॉस्टर केयर में 3 साल से फंसी जैन बच्ची

* जैन समुदाय के प्रयास सफल
* अब भारत लाने की कोशिशें
अमरावती/दि.10– जर्मनी के फॉस्टर केयर में तीन साल से फंसी 3.5 साल की भारतीय बच्ची अरिहा शाह को पहली बार जैन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहार, पर्युषण मनाने की अनुमति मिली है. जर्मन माहौल में ही बड़ी हो रही इस जैन बच्ची अरिहा को उसके जैन त्योहार पर्युषण की आराधना कराने के लिए विशेष रूप से मुंबई से 22 वर्षीय ध्रुवी वैद, जो लुक एन लर्न नामक जैन पाठशाला में छोटे बच्चों को जैन धर्म सिखाती हैं और जर्मन भाषा के बी-2 स्तर की जानकार हैं, बर्लिन (जर्मनी) गईं. इन तीन सालों में यह पहली बार हुआ कि माता-पिता के अलावा अरिहा किसी अन्य भारतीय से मिली थी.
* अरिहा को भारत लाने के प्रयत्न
सकल जैन समुदाय की ओर से राष्ट्रसंत परम गुरुदेव नम्रमुनि महाराज साहेब के शिष्य परम विनम्रमुनि महाराज साहेब पिछले एक साल से जर्मन एम्बेसी, नई दिल्ली और जर्मन विदेश मंत्रालय, बर्लिन के साथ लगातार संपर्क में हैं, ताकि अरिहा को भारत लाया जा सके और जब तक वह जर्मनी में है, तब तक उसे धर्म और गुजराती भाषा सीखने का मौका मिले. एक साल के अनवरत प्रयासों के बाद, जर्मन विदेश मंत्रालय को जर्मन चाइल्ड सर्विस को समझाने में सफलता हासिल हुई और अरिहा को जैन समुदाय का पवित्र पर्युषण पर्व मनाने की अनुमति मिली.
* जैन धर्म का मूलमंत्र सिखाया
चाइल्ड सर्विस ने केवल दो दिनों के लिए अरिहा को 1-1 घंटे मिलने की अनुमति दी थी. अरिहा को जैन धर्म का मूल मंत्र – नमस्कार मंत्र, तस्स मिच्छामी दुक्कडम्, और जय जिनेन्द्र सिखाया गया. मांगलिक, उवसग्गहरं के नाद सुनने को मिले. गिरनारजी तीर्थ और पालीताना तीर्थ का वर्णन भी किया गया. भगवान महावीर और भगवान पार्श्वनाथ की छबी के माध्यम से दर्शन कराए और भगवान की पहचान कराई गई. अरिहा को जीवदया और छोटे जीवों की रक्षा का महत्व भी सिखाया गया.
* चपाती, फाफड़ा, खांडवी पसंद
अरिहा में भारत के प्रति देशभक्ति की भावनाएं जागें और उसे भारतीय होने का एहसास हो, इसके लिए उसे हमारे गौरव समान राष्ट्रध्वज को वंदन भी कराया गया. अरिहा ने बहुत उल्लास के साथ तिरंगा लहराया और उसे अपने साथ भी ले गई. इन 2 दिनों की मुलाकात में अरिहा को गुजराती जैन भोजन भी दिया गया. जब उससे पूछा गया कि क्या उसे यह भोजन पसंद आया? तो अरिहा ने कहा कि मुझे चपाती, फाफड़ा, खांडवी और खाखरा बहुत पसंद हैं. इससे यह स्पष्ट होता है कि जर्मनी में रहते हुए भी उसकी रग-रग में भारतीयता बह रही है.
* हजारों ने छेडा अभियान
इस बार पर्युषण और दस लक्षण के त्योहार में जैन समुदाय ने एक नया अभियान शुरू किया, जिसमें लोग अपनी जाप और तपस्या इस छोटी जैन बच्ची को समर्पित कर रहे हैं, ताकि अरिहा की पुण्य शक्ति बढ़े. इस अभियान में देश-विदेश के हजारों लोगों ने भाग लिया है, जिसमें अब तक 25 लाख से अधिक जाप और 15,000 से अधिक उपवास लोग समर्पित कर चुके हैं, और अभी भी कई लोग अपने भाव अर्पित कर रहे हैं. जैन समाज अपनी छोटी बच्ची को भारत लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है और उस बच्ची के भविष्य को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है. आप भी अपने जाप और उपवास इस नंबर – 8200700309 पर व्हाट्सएप करके लिखवा सकते हैं. अरिहा को भारत वापस लाने के लिए हमारा विदेश मंत्रालय लंबे समय से प्रयास कर रहा है, लेकिन जर्मन चाइल्ड सर्विस अरिहा को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हो रही है.

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