अमरावती में विदेशी पक्षियों का आगमन
समुद्री बगुला, लाल पंखों वाला चातक देखना है क्या ? निकलो घर के बाहर !
* पहली बार किया गया पंजीयन
अमरावती/दि.1– अक्तूबर इस एक ही महिने में शहर के समीप के बोरगांव जलाशय और आसपास के परिसर मेें समुद्री बगुला (अंग्रेजी नाम वेस्टर्न रीफ हेरान) और लाल छाती की फटाकडी (अंग्रेजी नाम रूडी ब्रेस्टेड के्रेक)यह पक्षी दिखाई दिया है. अमरावती में यह पक्षी पहलीबार आए है. संकेत राजूरकर, प्रशांत निकम, शुभम गिरी, धनंजय भांबूरकर, प्रफुल्ल गावंडे, अभिमन्यू आराध्य और मनोज बिंड इन पक्षी फोटोग्राफर ने इस बात को दर्ज किया है.
लालसर छाती की फटाकडी यह पाणकों बडी जैसा दिखाई देता है. इसका रंग लाल आकर्षक दिखाई देता है. लंबे पैर गडद किरिमजी रंग का है. काली चोंच,शुरूआत का भाग पीले रंग का दिखाई देता है. यह चुपचाप रहनेवाला, अत्यंत शांत पक्षी है. यह सुबह के समय सायंकाल के समय अपने खाद्य पदार्थ की खोज में बाहर निकलता है. इससे पूर्व नागपुर, अकोला और यवतमाल जिले में आया यह पक्षी अमरावती में यह अभी तक अपरिचित था.
समुद्री बगुला यह पक्षी दक्षिण, युरोप, अफ्रीका, पाकिस्तान, श्रीलंका सहित भारत के समुद्री किनारे पर दिखाई देता है. अन्य बगुला की अपेक्षा इसका रंग राखाडी रंग जैसा दिखाई देने के कारण यह आकर्षक दिखाई देता है. इसकी चोंच पीले रंग की, गले का भाग, पैेर के पंजे हरे पीले रहते है. अमरावती में हुआ इसका पहला पंजीयन भटक्या-स्थलांतरण की मानी जा रही है.
लाल पंख का चातक यह पक्षी भारत सहित चीन, तैवान, फिलिपाईन्स और थायलंड इस देश में दिखाई देता है. ग्रीष्मकाल में विशेष रूप से भारत के पूर्वोत्तर भाग में जाता है व शीतकाल में दक्षिण की ओर स्थलांतर करता है. इसकी लंबाई साधारण तौर पर 46 से 48 से.मी रहती है उसी प्रकार सिर पर चमकदार सरताज होता है. केवल पेड पर रहनेवाला यह लालसर रंग का पंख वाला यह चातक पक्षी महाराष्ट्र में बहुत कम जगह पर इसका पंजीयन किया गया है. रायगढ और ठाणे जिले और मेलघाट के पास वन परिसर छोडकर अन्य जगह पर इसका पंजीयन नहीं किया गया.
* मौसम बदलाव का परिणाम
इस साल कम बारिश और तापमान बढने का फटका महाराष्ट्र को लगेगा. इस पृष्ठभूमि पर इस वर्ष विदर्भ में पक्षियों की विविधपूर्ण तथा विचित्रपूर्ण पंजीयन की संभावना अक्षरश: सच्ची साबित हुई है.
* पक्षी स्थलांतरण के लिए विदर्भ का भौगोलिक महत्व
देश के एक छोर से दूसरे छोर पर जो पक्षी-स्थलांतरण करते रहते थे. उसमें विदर्भ प्रदेश अस्थायी रूप से विश्रांती अथवा रूकने का प्राकृतिक महत्व का स्थान होता है. इसलिए विदर्भ में पक्षी विविध प्रकार के दिखाई देते है. किंतु पक्षियों के लिए यह गतिशील स्थान न होने से उनका ठहराव कुछ घंटे का अथवा बहुत- बहुत दिनों का होता है.
मनोज बिंड, वन्यजीव छायाचित्रकार