शीतकाल में जिले के विविध जलाशयों पर प्रवासी पक्षियों का आगमन
स्थलांतरित विदेशी मेहमान बने सभी का आकर्षण
* 385 पक्षी निरीक्षण दर्ज
अमरावती/दि.9-अमरावती जिला आम तौर पर देश के मध्य में पडता है. इसलिए, मध्य भारत की यह भूमि देश के उत्तर से दक्षिण या इसके विपरीत दिशा से होने वाले पक्षी स्थलांतरण के लिए अद्वितीय है. हालांकि यह क्षेत्र पक्षियों के प्रवास के बाद महीनों के लंबे समय के लिए नहीं जाना जाता है, लेकिन दूर के प्रवास स्थलों पर कुछ दिनों या समय के ठहराव के रूप में यह महत्वपूर्ण है.
भारत में, उत्तर से दक्षिण या दक्षिण पूर्व की ओर मुख्य शीतकालीन प्रवास आमतौर पर अक्टूबर, नवंबर के महीने से शुरू होता है. ये पक्षी अप्रैल-मई में अपनी वापसी यात्रा शुरू करते हैं. इन दोनों समयावधि में विदर्भ और अमरावती जिला महत्वपूर्ण हो जाता हैं.
* पक्षियों की दृष्टि से महत्वपूर्ण तालाब
छत्री तलाव, मालखेड सावंगा तलाव, वडाली तलाव, राजुरा तलावा, बोर बांध, केकतपुर तलाव, सिंभोरा बांध, वाघोली तलाव, सावर्डी तलाव, जलका शहापुर तलाव, शेवती तलाव.
* जिले में पाए जाने वाले कुछ विशिष्ट पक्षी
कलहंस, धीवर, चातक, छोटे कान वाला उल्लू, खवलेदार कस्तूर, तुर्रेवाला चंडोल, रानपिंगला, समुद्री बगुला, ह्युग्लिन का कुरव, ग्रेटर तापस, काली गर्दन वाला करकोचा, तिलोरी मैना, रानधोबी ऐसे पक्षी जिले के विभिन्न जलाशयों पर पाए जाते हैं.
* इस साल संख्या घटी
इस साल ज्यादा बारिश हुई है और जलस्रोत लबालब हैं. यदि पानी उथला है तो यह भोजन अधिक मात्रा में उत्पन्न होता है, उस पर पलने वाले छोटे-छोटे कीडे, इल्लियां आदि को भी भोजन मिलता है और एक उत्तम पारिस्थितिकी तंत्र विकसित होता है. इसलिए पक्षी भी बडी संख्या में दिखाई देते है. लेकिन इस बार संख्या घटी है.
* जिले में 385 पक्षी निरीक्षण दर्ज
इनमें से लगभग 250 पक्षी स्थानिक होकर स्थलांतर नहीं करते. लगभग 135 पक्षियों की गणना स्थलांतरित पक्षियों में की जाती है.
कुछ वर्षों में बेमौसम मौसम, चक्रवात और पर्यावरण के तापमान में अप्रत्याशित होने वाले परिवर्तन का दुष्परिणाम पक्षियों की संख्या को प्रभावित करता हैं. लेकिन जैसा कि विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस साल ठंड ज्यादा रहेंगी, जलाशयों की तुलना में जंगलों और वन क्षेत्रों में बेहतर पक्षी स्थलांतर देखा जा सकता है.
– मनोज बिंड (पक्षी निरीक्षक)