परतवाड़ा/दि.11- सितंबर के पहले सप्ताह में ही परतवाड़ा में सीताफल दिखाई दे रहे हैं. उच्च प्रति के पूर्ण वृद्धि हुए यह दर्जेदार बड़े आकार के मीठे सीताफल किसानों के खेतो व सीताफल के बगीचों के है. गुरुवार को बड़े पैमाने पर दाखल हुए सीताफलों की 100 सेे 120 रुपए प्रति किलो दर से शहर में चिल्लर बिक्री की गई.
इस वर्ष सीताफल का सिजन शुरु होने से पूर्व ही कम-अधिक प्रमाण में अगस्त के तीसरे सप्ताह से ही परतवाड़ा में सीताफल दाखल होने की शुरुआत हुई है.लेकिन इस बार वह एक महीने पहले ही बाजार में दाखल हुए है.
अचलपुर राजस्व विभाग के अचलपुर तहसील में चंद्रभागा, शहानूर, सपन, बिच्छन नदी एवं चांदूरबाजार तहसील की पूर्णा, चारघड, मेघा नदी किनारे के परिसर में, समीप के जंगली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सीताफलों के पेड़ है. यह पेड़ नैसर्गिक रुप से आये है. कुछ भागों में तो सीताफल के पेड़ों के जंगल निर्माण हो गये है. वडगांव, बहिरम, शिरजगांव कसबा, घाटलाडकी, देऊरवाडा, कालजी, ब्राह्मणवाड़ा थडी परिसर में निसर्गतः ही सीताफल बन की निर्मिति हुई है. परतवाड़ा, बैतुल, परतवाड़ा, अंजनगांव मार्ग के दोनों तरफ एवं अचलपुर, चांदूर बाजार तहसील से सटे सातपुडा पर्वथ की तलहटी में सीताफल के पेड़ दिखाई देते हैं. मेलघाट सहित अचलपुर व चांदूर बाजार तहसील के डोंगरी परिसर में भी सीताफल के पेड़ बड़े पैमाने पर है.
* राज्य में सभी ओर प्रसिद्ध
मध्यप्रदेश सहित राज्य में सीताफल सभी ओर प्रसिद्ध है. सीताफलों की मांग सभी तरफ होकर यह फल ग्राहकों को आकर्षित करते हैं. ये सीताफल स्वादिष्ट व मीठे है.
* शासकीय नीलामी
शासकीय जमीन पर सीताफलों के पेड़ों की, वनों की नीलामी शासकीय यंत्रणा द्वारा की जाती है. इस नीलामी को लेने दूर-दूर से व्यापारी परिसर में दाखिल होते हैं.
* किसान करते हैं बिक्री
किसानों ने सीताफल की बुआई की है. किसान बाग के फलों की छटनी कर स्वयं बेचते हैं. कुछ किसान खेत के बाहर के रास्ते पर ही सीताफल के स्टॉल लगाते हैं. किसानों के खेतों के सीताफलों के बाद नवंबर, दिसंबर में डोंगरी सीताफल आदिवासी बंधु बाजार में बिक्री के लिए लाते हैं. ग्राहकों को इन सीताफलों की प्रतीक्षा रहती है.