अमरावती/दि.22– म्युकर मायकोसिस की बीमारी की वजह से चेहरा खराब हो जाता है. आंखे चली जाती है और जबडे में दोष निर्माण हो जाते है. जिसकी वजह से मरीज को लगता है, मानो उसके लिए सबकुछ खत्म हो गया है. किंतु हकीकत में ऐसा नहीं है, क्योंकि अब कृत्रिम तरीके से चेहरे की पुनर्रचना करना पूरी तरह संभव है. जिससे मरीज का सौंदर्य तो बढता ही है, साथ ही वह समाज में पूरे आत्मविश्वास के साथ जी सकता है. कृत्रिम दंत शाखा दिवस के उपलक्ष्य में दंत विशेषज्ञों द्वारा यह विश्वास जताया गया.
इस संदर्भ में जानकारी दी गई कि, म्युकर मायकोसिस का परिणाम भुगत चुके मरीजोें को वीएसपीएम दंत महाविद्यालय व इंडियन प्रोस्थोडोंटिक सोसायटी (आयपीएस) की नागपुर शाखा के संयुक्त तत्वावधान में डॉक्टरों व पदव्युत्तर विद्यार्थियों द्वारा सहायता का हाथ दिया जा रहा है. महाविद्यालय की अधिष्ठात डॉ. उषा रडके व आयपीएस के अध्यक्ष डॉ. हर्षवर्धन आरे के नेतृत्व में मई 2021 में एक कृति दल की स्थापना की गई थी. म्युकर मायकोसिस से संक्रमित मरीजों का इलाज करना इन कृत्रिम दंत शल्य चिकित्सकों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था. लेकिन सूक्ष्म नियोजन तथा संयुक्त रूप से प्रयास करते हुए अब तक करीब 40 मरीजों को कृत्रिम अवयव प्रदान कर उनके चेहरे का पुनर्वसन किया गया है.
* अनोखा उपक्रम, 115 मरीजोें को राहत
इस काम में डॉ. नीलम पांडे, डॉ. सई देशपांडे, डॉ. राजलक्ष्मी बैनर्जी, डॉ. तुषार मोपाडे, डॉ. अनुप चांडक, डॉ. प्रीति जैस्वाल, डॉ. अखिल राठी, डॉ. रूचा सहाय, डॉ. ओजस गजभिये ने अपना योगदान दिया. साथ ही वर्धा स्थित शरद पवार दंत महाविद्यालय में डॉ. सीमा साठे, डॉ. अंजली बुरले व डॉ. सुरेखा गोडबोले के नेतृत्व एवं नागपुर स्थित सरकारी दंत महाविद्यालय के डॉ. अरूण खलीकर के मार्गदर्शन में डॉ. सत्यम वानखेडे व डॉ. योगेश इंगोले ने भी आवश्यक सहयोग प्रदान किया. इसके साथ ही अमरावती के डॉ. अतुल आलसी सहित डॉ. प्रवीण सुंदरकर, डॉ. विनय कोठारी, डॉ. दिप्ती लांबाडे व डॉ. नेहा गर्ग ने भी म्युकर मायकोसिस संक्रमित मरीजों का इलाज किया. ऐसे मरीजोें की संख्या अब 115 के आसपास जा पहुंची है.