दीपावली के लिए कलात्मक मिट्टी के दीपो की आरास
खरीदी के लिए बाजार में उमड रही ग्राहकों की भीड
अमरावती/दि. ९ – दीपावली के त्यौहार पर दीपों का विशेष महत्व है. दीपावली के त्यौहार पर दीपो का महत्व देखते हुए बाजार में विभिन्न तरह के मिट्टी के कलात्मक दिये बेचने के लिए उपलब्ध कराये गए है. इसमें मिट्टी की पनती समेत कलात्मक दीपों की ग्राहकों व्दारा विशेष मांग की जा रही है.
भारतीय संस्कृति में दीपों का काफी महत्व है. इसलिए किसी भी त्यौहार उत्सव के समय दीप प्रज्वलित किये जाते है. खासतौर पर दीपावली रोशनाई का त्यौहार होने के कारण दीपावली पर दीपों की विशेष आरास की जाती है. दीप यह सुख समृध्दि और संपन्नता का प्रतिक होने के कारण लक्ष्मी पूजन के दिन भारतीय संस्कृति में दीप जलाने की परंपरा है. इसापूर्व ७० हजार वर्ष पहले धातुओं के दीपों की खोज लगी. उससे पहले पत्थर के दीप तैयार कर उसमें तेल डालकर जलाने की कला मानव ने आत्मसात की थी. कालांतर के बाद पत्थर के साथ ही मिट्टी का उपयोग कर दिये तैयार करने की कलाा मानव ने सिखी. आज भी दीपावली के त्यौहार पर मिट्टी के दीपों का उपयोग किया जाता है. दीपावली के त्यौहार पर विभिन्न प्रकार के मिट्टी के दिये बेचने के लिए लाए जाते है, इस बार दीपावली के लिए विभिन्न आकार व प्रकार के दीप बाजार में उपलब्ध कराये गए है. जिसमें मिट्टी की पनती से लेकर बडे दीप तक उपलब्ध है. मिट्टी की पनती २५ से ५० रुपए दर्जन के दाम में बाजार में उपलब्ध है और विभिन्न प्रकार के कलात्मक दीप ५० से १५० रुपए तक बेचे जा रहे है. साथ ही मिट्टी के आकाश दिये भी बाजार में उपयोग किये गए है. मिट्टी के दीपों में हाथी, शंख, समई, उंट, तुलसीघर जैसे विभिन्न आकार के दीप उपलब्ध है. बहुत ही आकर्षक दिखने वाले दीपों को खरीदने के लिए लोगों की भीड उमड रही है. शहर के बडनेरा रोड, गांधी चौक, खापर्डे बगीचा जैेसे अन्य क्षेत्रों में हर वर्ष की तरह इस बार भी दुकानें सजी है.
दीपो का महत्व
दीपो का भारतीय संस्कृति में काफी महत्व होने के कारण सभी मंगल कार्य के अवसर पर दीप व्दारा पूजा की जाती है. अमावश्य के दिन घर के सभी दीपों को धोकर, पोछकर उन्हें हल्दी, कुमकुम लगाकर घर भर में दीप लगाए जाते है. घर के हर कोने तक रोशन होकर दरिद्र्य रुपी, अज्ञात रुपी अंधेरा दूर होकर घर में सुख समृध्दि बनी रहे, यह इसके पीछे की भावना है.
– श्रीकांत रहाटगांवकर गुरुजी.
मिट्टी के दीपों की मांग
बाजार में कही तरह के दीपक बेचने के लिए उपलब्ध है फिर भी परंपरागत तरीके से बनाए गए मिट्टी के दीपों की हर वर्ष अच्छी मांग होती है. हम पिछले ४० वर्षाें से दीपों का व्यवसाय कर रहे है. बिक्री के लिए लाये गए कलात्मक दिये अहमदाबाद, कलकत्ता, मध्यप्रदेश व वलगांव से बुलाये गए है.
– चिंतामणी वडुरकर, दीप व्यवसायी खापर्डे बगीचा