लोकसभा चुनाव के निपटते ही अब सबका ध्यान विधान परिषद चुनावों पर
21 जून को खत्म हो जाएगा विधायक पोटे का कार्यकाल
* स्थानीय निकाय चुनाव के बिना कैसे संभव होगा विप चुनाव
अमरावती/दि.4- एक ओर जहां बडी राजनीतिक पार्टियों पर अभी लोकसभा चुनाव का बोझ हल्का भी नहीं हुआ है. जहां चुनाव खत्म होने के बाद अब परिणामों की घोषणा के लिए 4 जून का इंतजार बडी ही बेसब्री से किया जा रहा है. वही दूसरी ओर अब इन पार्टियों ने विधान परिषद चुनाव पर ध्यान केंद्रीत किया है. पार्टियों व्दारा अपने उम्मीदवार को जीताने के लिए अभी से फिल्डींग लगाना शुरू कर दिया हैै. एक ओर विधान परिषद के विधायक प्रवीण पोटे का कार्यकाल जल्द ही लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद यानी 21 जून को खत्म होने जा रहा है. वही दूसरी ओर स्थानीय निकाय चुनाव न होने से संस्थाओं के सदस्य कम होने से आने वाला विधान परिषद चुनाव कितना आसान और संभव होगा यह भी प्रश्न उठता नजर आ रहा है. देखा जाए तो स्थानीय स्वराज संस्थाओं में अभी फिलहाल में प्रशासक राज है. जिसके कारण इस पार्श्वभूमी पर जिला चुनाव विभाग ने जिले के स्थानीय स्वराज संस्था की ओर से जानकारी संकलित की गई है. यह जानकारी राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी के पास भेजी गई है.
विधायक प्रवीण पोटे यह जिले में स्थानीय निकाय संस्थाओं के प्रतिनिधियों का प्रतिनिधित्व करते है. वर्ष 2018 में हुए विधान परिषद के चुनाव में विधायक प्रवीण पोटे ने इस चुनाव को एक तरफा खीचते हुए अपनी जीत सुनिश्चित की थी और वह भारी मतों से विजयी भी हुए थे. जहां इस चुनाव में स्थानीय स्वराज संस्थाओं के 441 सदस्यों ने पोटे को 424 वोट दिए थे. वही कॉग्रेस के पूर्व पार्षद अनिल माधोगढिया को सिर्फ 17 वोंट लेकर ही संतुष्ट होना पडा था. प्रवीण पोटे के 6 वर्ष के कार्यकाल का 21 जून को समापन हो रहा है. जिले में कुल 30 स्थानीय स्वराज संस्था है. जिसमें से मनपा, जिला परिषद,10 नगर परिषद, 4 नगर पंचायत व 14 पंचायत समिती का समावेश है. विगत समय के चुनाव में इन स्थानीय स्वराज संस्था में कुल 441 सदस्यों का मतदान के लिए पंजीयन किया गया था. अब इनमें से सिर्फ तीन पंचायत समिती व इसी तरह तिवसी व भातकुली इन दो नगर पंजायत में से कुल 8.39 प्रतिशत सदस्य ही कार्यरत है. ऐसे में यह चुनाव किस तरह से संभव होगा इस पर सभी की निगाहे टिकी हुई है.
जानकारी मंगाई है
विधान परिषद के रिक्त होने वाले पद के चलते शासन ने जिले के सभी स्थानीय स्वराज संस्थाओं से जानकारी मांगी है. जो जानकारी शासन के पास भेजी गई है. यह नियमित प्रक्रिया रहने से अभी तक चुनाव के बारे में किसी भी तरह का आदेश नहीं है.
सौरभ कटियार, जिला चुनाव निर्णय अधिकारी
तब तक रहेगी जगह खाली
जिले के स्थानीय स्वराज संस्थाओ के चुनाव अभी भी नहीं हुए है. जिसके कारण वहां फिलहाल में प्रशासकराज है. पुरा कारभार प्रशासन के हाथ मेें है. परिणाम में जहां मतदाता नहीं वहां चुनाव होने का संभावना ही नहीं. जिसके कारण सभी स्थानीय स्वराज संस्था का चुनाव होने तक विधानपरिषद की जगह खाली ही रहने की संभावना जताई जा रही है.