अमरावती

दान लीला का स्मरण होते ही प्रभु की याद आती है

आचार्य पू.पा. गोस्वामी 108 हरीराय महोदय का आशीर्वचन

अमरावती/दि.12– दान लीला का स्मरण होते ही हमारे नटखट प्रभु की याद आ जाती है. ठाकुर ने जो ब्रज में गोप-गोपियों के साथ गोरस की लीला की, वहीं दान लीला है. दान लीला में ठाकुर और गोपियों के साथ प्रेम का मीठा झगडा का अरस-परस संवाद है. क्या वो गोपीजनों का भाव था कि, ठाकुरजी के साथ मीठा झगडा कर सके? जब भी दान लीला बोले या सुने तब अपने सेव्यस्व रुप का स्मरण अवश्य करना चाहिए. अपने सेव्यस्व रुप को भी विनंती करनी चाहिए कि गोपीजनों के पास जैसे हठ करके दान लीला की ऐसी ही कृपा हम पर करों, क्योंकि ब्रज में विराजमान श्री ठाकुरजी और अपने घर में विराजमान श्री सेव्यस्वरुप दोनों एक ही है. ऐसा आशीर्वचन पुष्टि मार्ग प्रवर्तक जगद्गुरु श्रीमद् वल्लभाचार्य महाप्रभु वंशानु वंशज युवा आचार्य पू. पा. गोस्वामी 108 हरीराय महोदय ने दिए.

शहर के रॉयली प्लॉट स्थित गोवर्धननाथ हवेली में गोवर्धननाथ हवेली सत्संग मंडल व्दारा दान लीला विषय पर वचनामृत का आयोजन किया गया है. पुष्टि मार्ग प्रवर्तक जगद्गुरु श्रीमद् वल्लभाचार्य महाप्रभु वंशानु वंशज युवा आचार्य पू. पा. गोस्वामी 108 हरीराय महोदय ने वचनामृत के अंतिम दिन दान लीला को जीवन में अपनाकर खुद को ठाकुरजी के चरणों में समर्पित कर देने का आहवान किया. बुधवार को तीन दिवसीय अलौकिक वचनामृत का समापन हुआ. इस अवसर पर अध्यक्ष मुकेशभाई श्रॉफ कृष्णदास गगलानी, गोविंददास दम्माणी, हितेशभाई राजकोटिया, कन्हैया पच्चीगर, आशीष करवा, गिरधरदास दम्माणी, विनू जनानी, मन्नू जवेरी, हेमंत पच्चीगर, राजेश संतोषिया, सतीश मकवाना, समीर बाबरिया, स्वप्नील श्रॉफ, राजू पारेख, राजू धानक, रमेश धानक, मनोज सेठ, ब्रजेश वसानी, प्रफुल खिमानी, किशोर कुनाटकर, ज्योतिबेन गगलानी, नीरुबेन राजकोटिया, कश्मीरा बेन सेठ, मीनाक्षीबेन सांगाणी, अलकाबेन राजकोटिया, वंदनाबेन हिंडोचा, नेहाबेन हिंडोचा, शिल्पाबेन पारेख, पूर्वीबेन गगलानी, रश्मीबेन, सोनलबेन संतोषिया, रीनाबेन संतोषिया, कल्पनाबेन संतोषिया, पिंकीबेन राजकोटिया, हिनाबेन बाबरीया, कुंजन वेद समेत भक्तगण बडी संख्या में उपस्थित थे.

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