* परिवहन में प्रदूषण मानंदडों का उल्लंघन
तिवसा/दि.18– नांदगांव पेठ एमआईडीसी स्थित रतन इंडिया (पूर्व में सोफिया) थर्मल पावर प्लांट में हर दिन हजारों टन राख की निर्मिती होती है. इस राख के परिवहन के लिए रोजाना 300 से 400 ट्रकों का उपयोग किया जाता है. हालांकि, यह सच है कि गीली राख के परिवहन में प्रदूषण मानदंडों का उल्लंघन किया जा रहा है. राख से पानी सड़क पर फैल रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है.
मृदा संरक्षण के लिए सरकार ने निर्माण परियोजनाओं, ईंटों, टाइल्स में राख का उपयोग करने की नीति बनाई. साथ ही राख का परिवहन बंद कंटेनर में किया जाना चाहिए, इसके लिए मानक भी तय कर दिए गए है. लेकिन हाल ही में परिवहन में इन मानदंडों का उल्लंघन किया गया है. थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाली राखा को सीमेंट सड़कों, बडे निर्माण कार्य प्रकल्प, ईंट कारखाना, सीमेंट कारखाना इन स्थानों पर डिमांड है. इसलिए रतन इंडिया में तैयार होने वाली राख की अमरावती जिले सहित यवतमाल, अकोला, वर्धा जिले तक यातायात हो रहा है. पहले सूखी राख का परिवहन किया जाता था, जिससे वातावरण प्रदूषित होकर नागरिकों को काफी तकलीफ सहना पड रही थी. किंतु वर्तमान में राख को गीला कर ट्रकों के जरिए परिवहन किया जाता है. ट्रकपर ताडपत्री बांधी जाती है. जिससे कुछ प्रमाण में प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है. बावजूद इसके राख गीली रहने से राख का वजन बढ रहा है. ग्रामीण क्षेत्र सहित शहर की सडकों खस्ताहाल हो रही है. गीली राख से सडक पर गिरने वाला पानी मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो रहा है. इतनाही नहीं तो यात्रियों की सुविधा के लिए तैयार की गई सडकें राख के भारी यातायात के कारण बदहाल हो रही है. इस गंभीर विषय की ओर प्रशासन ने ध्यान केंद्रीत करने की मांग नागरिक कर रहे है.
* थर्मल प्लांट के राख के निपटान की जिम्मेदारी निश्चित की गई है. राख के दो प्रकार है. एक है सीमेंट निर्मिती फैक्टरी में तथा दूसरी ईंट निर्मिती के लिए भेजी जाती है. अमरावती के रतन इंडिया थर्मल प्लांट से अधिकांश गीली राख ट्रक द्वारा ताडपत्री से ढंककर यातायात की जाती है. तथा सूखी राख सीमेंट निर्मिती फैक्टरी में वेसलद्वारा भेजी जाती है. इस संदर्भ में कई बार वाहनों की जांच भी की है.
– संजय पाटील,
जिला प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी