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आशा पनपालिया का देहदान

पूर्ण जीवन रहा है प्रेरणास्पद

* पीडीएमसी को सौंपा पार्थिव, गणमान्य की उपस्थिति
अमरावती/दि.31 – कैम्प दोतीवाला कोर्ट निवासी आशा देवीदास पनपालिया (77) का बीमारी पश्चात आज सबेरे निधन हो गया. उनकी इच्छा के अनुसार परिजनों ने उनका पार्थिव आज दोपहर डॉ. पंजाबराव देशमुख स्मारक वैद्यकीय महाविद्यालय को सौंपा गया. ब्रम्हकुमारी की अनुयायी आशा देवी ने पहले ही देहदान करने का प्रण व्यक्त किया था. देहदान के समय शहर के अनेक प्रतिष्ठित उपस्थित थे. उनके पीछे चार संतानें योगेश पनपालिया, यश झंवर, जया भरतारिया और योगिता मिहारिया हैं.
* संघर्षमय जीवन
उनकी सुपुत्री योगिता ने अमरावती मंडल को बताया कि 20 सितंबर 1953 को मध्यप्रदेश के शाहगंज जैसे छोटे गांव में जन्मी आशा देवी का जीवन संघर्षपूर्ण रहा. उनका पहला विवाह असफल रहा. उन्होंने देवीदास पनपालिया से दूसरा विवाह किया. दोनों को दो संतानें हैं.
* नई डिशेज बनाने और खिलाने का चाव
योगिता ने बताया कि श्रीमती पनपालिया को नई-नई डिशेज बनाने और उसे सभी को खिलाने का बडा चाव रहा. वह जहां भी अवसर मिलता नई डिशेज सीखती और उनके यजमान के बिजनेस में भी यथायोग्य सहयोग करती. योगिता के अनुसार मां आशा देवी अनेक मायनों में प्रेरणास्त्रोत थी. यजमान देवीदास पनपालिया के लकवा के शिकार होने पर उन्होंने काफी समय तक अकेले उनकी सेवा की. उनका 4 वर्ष पूर्व निधन हो गया. गत ढाई वर्ष से आशा पनपालिया भी गुर्दे की बीमारी की चपेट में आ गई थी. दो वर्षो से उन्हें डायलिसीस कराना पडता था. फिर भी बगैर किसी को कोई शिकायत किए वे सभी से हंस बोलकर रहती थी. योगिता के अनुसार आशा पनपालिया सचमुच प्रेरणा का स्त्रोत थी. वह सभी आयुवर्ग के लोगों को अपना मित्र बनाने की अदभुत क्षमता रखती.

 

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